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दोस्तो, 4 जुलाई को भारत के रक्षा मंत्री एके.एंटनी एक उच्च स्तरीय शिष्टमंडल के साथ पेइचिंग पहुंचकर चीन की 4 दिवसीय यात्रा शुरू की। 7 सालों के बाद भारत के किसी रक्षा मंत्री की यह पहली चीन-यात्रा है। इससे पहले यानी 2006 में तत्कालीन रक्षा मंत्री, यानी वर्तमान राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने चीन की यात्रा की थी। एंटनी की वर्तमान चीन-यात्रा की ओर व्यापक ध्यान चला गया है।
एंटनी के साथ चीन आया शिष्टमंडल उच्च स्तर और बड़े पैमाने का है, जिसमें रक्षा सचिव आर.के. मटर, थलसेना के पूर्वी कमान के प्रमुख जनरल दाल्बिर सिंह और नौसेना के दक्षिणी कमान के चीफ़ ऑफ़ स्टाफ़ जनरल सटिश सोनी तथा अन्य वरिष्ठ सैन्य अफसर शामिल हैं। भारतीय मीडिया ने दावा किया है कि चीन में प्रवास के दौरान भारतीय शिष्टमंडल चीनी शिष्टमंडल के साथ क्षेत्रीय एवं वैश्विक सुरक्षा के परिदृश्य, सैन्य सहयोग और सीमा मुद्दे पर विचार-विमर्श करेगा। बेशक सीमा मुद्दे पर विचार-विमर्श का फोकस रहेगा।
दो महीने पहले चीन और भारत की सेनाओं के बीच कश्मीर के लद्दाख क्षेत्र में तंबू खड़े करने के कारण उत्पन्न आमने-सामने की स्थिति 20 दिनों से अधिक समय तक बनी रही। अंत में दोनों पक्षों ने समझौता कर इस समस्या का शांतिपूर्ण समाधान कर लिया। एंटनी की वर्तमान चीन-यात्रा के दौरान नए सीमा रक्षा सहयोग समझौते के लिए वार्ता की जाएगी, ताकि संपर्क को मजबूत करने के जरिए आपसी सैन्य विश्वास को बढाया जाए और सीमा पर तनाव-शैतिल्य लाया जाए। सूत्रों के अनुसार एंटनी सीमा रक्षा सहयोग समझौते से जुड़े कई ठोस पहलुओं पर चीनी पक्ष के साथ रायों का आदान-प्रदान करेंगे। लेकिन कई रिपोर्टो के अनुसार इस बार इस समझौते को अंतिम रूप देना असंभव है।
गौरतलब है कि चीन औऱ भारत की सेनाओं के बीच आदान-प्रदान और सहयोग भी एंटनी की वर्तमान चीन-यात्रा का एक उद्देश्य है। भारतीय मीडिया ने कहा है कि भारत चीन के साथ फौजी संपर्क को कदम-ब-कदम बढाकर अधिक निर्बाध विचार-विनिमय करना चाहता है, ताकि आमने-सामने जैसी स्थिति की पुनरावृत्ति की संभावना समाप्त की जाए। इसके अलावा चीन और भारत के बीच साझे आतंकविरोधी सैन्याभ्यास के आयोजन और सीमा सम्मेलन संबंधी चौथी व्यवस्था की स्थापना जैसे मुद्दों पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा। ध्यान रहे कि चीन और भारत के बीच साझा आतंकविरोधी सैन्याभ्यास पिछले 5 वर्षों से गतिरोध में रहा है।
अब तक चीन में एंटनी की विस्तृत कार्यसूची के बारे में अधिक जानकारी नहीं मिली है। कुछ विदेशी रिपोर्टों के अनुसार एंटनी पेइचिंग में अपने चीनी समकक्ष यानी चीनी रक्षा मंत्री छांग वान-छ्वान से वार्ता करेंगे। इसके अलावा चीन के अन्य राजनेता भी उनसे भेंट करेंगे। एंटनी चीनी सैनिक अड्डे, संस्थापन एवं साजोसामन देखने के लिए थ्यैनचिन और पूर्वोत्तर बन्दरगाह शहर भी जाएंगे।
एडीटीवी ने कहा कि 7 सालों के बाद खासकर चीनी प्रधान मंत्री ली ख-छ्यांग के सफल भारत-दौरे के कुछ समय बाद किसी भारतीय रक्षा मंत्री का दुबारा चीन जाना निस्संदेह एक सकारात्मक संदेश देता है। भारत के सैन्य विश्लेषक श्री उदय भास्कर ने मीडिया को दिए अपने इंटरव्यू में कहा कि एंटनी चीन और भारत के बीच राजनीतिक एवं सैन्य स्तर पर रणनीतिक विश्वास को आगे बढाने के लिए चीन गए है। उन का यह उद्देश्य दोनों देशों के बीच साझे सैन्याभ्यास के नए आयोजन और रणनीतिक सहयोग का आधार है।
उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान के प्रधान मंत्री नवाज शरीफ भी इस समय चीन के दौरे पर हैं। लेकिन अभी तक कोई ऐसा संकेत नहीं मिला है कि पेइचिंग में एंटनी की शरीफ से मुलाकात होगी।