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2013 में तिब्बत की यात्रा पर आए भारतीयों का स्वागत
2013-07-04 18:50:37

चार जुलाई को 50 भारतीय यात्रियों के एक दल ने तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के आली प्रिफेक्चर में अपनी नौ दिवसीय तीर्थ यात्रा समाप्त की। तिब्बत में इस तीर्थ यात्रा के साथ ही यहां आने वाले भारतीय श्रद्धालुओं के सत्कार का मौसम आ गया है।

सूत्रों के अनुसार भारतीय धार्मिक अनुयायियों की मांगों को पूरा करने के लिए चीन ने वर्ष 1982 में तिब्बत के आली प्रिफेक्चर में तीर्थ यात्रा के लिए भारतीय धार्मिक अनुयायियों का सत्कार करना शुरु किया। पहले भारतीय श्रद्धालुओं के हर दल में करीब दस से बीस लोग ही होते थे। वर्ष 1990 में चीन और भारत के बीच संपन्न समझौते के अनुसार भारत ने तिब्बत में तीर्थ यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं के 16 दलों को निश्चित किया, हर दल में 40 से 50 लोग शामिल हैं। वे मुख्य तौर पर हर साल जून से सितम्बर के महीने में चीन आते हैं।

आली प्रिफेक्चर के विदेशी मामलों के कार्यालय के प्रधान केसांग च्यात्सो ने जानकारी देते हुए कहा कि पिछले कुछ वर्षों में चीन ने आली प्रिफेक्चर के भारतीय धार्मिक अनुयायियों की तीर्थ यात्रा के लिए आधारभूत संस्थापनों में सुधार के लिए एक करोड़ युआन की राशि लगाई है। भारतीय अनुयायियों समेत विदेशी अनुयायियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। वर्ष 2012 में आली प्रिफेक्चर में 13 हज़ार विदेशी श्रद्धालुओं का सत्कार किया गया।

गौरतलब है कि तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के आली प्रिफेक्चर में कांगरिनपोचे पर्वत (कैलाश) और माफांग योंगत्सो झील (मानसरोवर) हिंदू धर्म के अनुयायियों का पवित्र स्थल माना जाता है।

(श्याओ थांग)

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