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मिस्र में राष्ट्रपति चुनाव समय से पहले होगा
2013-07-04 15:32:26

मिस्र के रक्षा मंत्री एल-सिसि ने तीसरी जुलाई की रात को राष्ट्र के नाम अपने टी.वी संबोधन में घोषणा की कि राष्ट्रपति-चुनाव को समय से पहले कराया जाएगा और सर्वोच्च संविधान- अदालत के प्रमुख अस्थाई तौर पर राष्ट्रपति का कर्तव्य निभाएंगे।

अल-सिसि ने अपने संबोधन में कहा कि कई महीनों से सेना विभिन्न राजनीतिक पक्षों को सुलह करने के लिए प्रोत्साहन देती रही है और राष्ट्रीय संवाद का आह्वान करती रही है। लेकिन अंत में सेना की सभी कोशिशों को नकार दिया गया है। सिसि ने कहा कि इससे विवश होकर सेना ने राष्ट्र का ऐतिहासिक जिम्मा निभाते हुए विभिन्न राजनीतिक शक्तियों, धार्मिक संगठनों एवं युवा नेताओं से व्यापक तौर पर रायों का आदान-प्रदान किया है। वर्तमान राजनीतिक प्रबंधन के बारे में उन का कहना हैः

`समय से पहले राष्ट्रपति चुनाव कराए जाने और नए राष्ट्रपति को चुने जाने से पूर्व सर्वोच्च संविधान-अदालत के प्रमुख अस्थाई तौर पर राष्ट्रपति का कर्तव्य निभाएंगे। संक्रमणकाल में सर्वोच्च संविधान-अदालत के प्रमुख को संविधान संबंधी वक्तव्य जारी करने का हक होगा, सुयोग्य व्यक्तियों से ताकतवर और उच्च कार्यक्षमता वाली सरकार बनाई जाएगी और इसे देश का प्रशासन करने का पूरा अधिकार दिया जाएगा। इसके अलावा विभिन्न पक्षों के प्रतिनिधियों एवं विशेषज्ञों की भागीदारी वाली एक समिति भी कायम की जाएगी, जो संविधान में संशोधन करेगी।`

टी.वी पर संबोधन करते समय सिसि के साथ सेना के अन्य वरिष्ठ अफसर, धार्मिक नेता और विपक्षी दलों के मुख्य नेता भी दिखाए गए।

कहा जा सकता है कि मिस्र में तमाम जनता के लिए सेना का यह बयान बहुप्रतीक्षित है। स्थानीय समयानुसार पहली जुलाई को सेना ने विभिन्न राजनीतिक पक्षों को 48 घंटे के भीतर जनता की मांग मानने और उस समय की राजनीतिक परिस्थिति पर एकमतता बनाने के लिए अल्टीमेटम दिया था और कहा था कि ऐसा नहीं किया गया, तो सेना राजनीतिक विकास का अपना रूडमैप जारी करेगी। लेकिन राष्ट्रपति मोहम्मद मोर्सी सेना की ओर से आए अल्टीमेटम की अनदेखी और अनसुनी करते रहे।

तीसरी जुलाई के तड़के मोर्सी ने सेना से अल्टीमेटम वापस लेने की मांग की और इसके बाद करीब 50 मिनट लम्बे टी.वी भाषण में अपना राष्ट्रपति होने की संवैधानिक वैधता दोहराई। मोर्सी ने कहाः

`जनता ने स्वतंत्र एवं पारदर्शी चुनाव के जरिए मुझे राष्ट्रपति बनाया है। जनता ने संविधान तय किया है और भारी कार्य मुझे सौंप दिया है। पूरा देश प्रबंधन और निर्माण के लिए मेरी प्रतीक्षा कर रहा है। मैं राष्ट्रपति के रूप में अपनी वैधता की ढृढ़ता से रक्षा करूंगा और हमारे सभी लोगों की संविधान की रक्षा करूंगा। जिम्मा निभाए बिना मेरे पास कोई और विकल्प नहीं है।`

मोर्सी के इस बयान में कोई नयापन नहीं आया। इससे विपक्ष को औऱ भी निराशा हुई। फलस्वरूप राजनीतिक संकट और गहरा गया है। मिस्र की सरकारी अखबार अल-अहराम की वेबसाइट पर प्रकाशित एक खबर के अनुसार मोर्सी के भाषण देने के तुरंत बाद काहिरा विश्वविद्यालय के पास गंभीर मुठभेड छिड़ी, जिसमें 16 व्यक्ति मारे गए और अन्य 200 से अधिक लोग घालय हुए।

बुधवार के दिन में भी मोर्सी इस्तीफा नहीं देने के विकल्प पर जिद्दी रहे। उधर रक्षा मंत्री ने सेना और विभिन्न राजनीतिक पक्षों के प्रमुख नेताओं के साथ सघन तौर पर बैठकें कीं। मुस्लिम ब्रदरहुड को भी आमंत्रित किया गया, लेकिन उसके अधीन स्वतंत्रता एवं न्याय पार्टी के सर्वोच्च नेता वालेड ने आमंत्रण से इन्कार करते हुए बैठक में अपनी हिस्सेदारी को अनावश्यक बताया और कहाः ` वर्तमान समय में हमारा एक राष्ट्रपति है, यह पर्याप्त है।`

मिस्र में वास्तविक स्थिति को देखा जाए, तो ऐसा निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि सामाजिक अस्थिरता के बीच मोर्सी और उन के पीछे बहुत से इस्लामिक दल, अनेक विपक्षी दल और सेना जैसी 3 शक्तियां `त्रिकोण स्थिति` बनाने में पूरी तरह सक्षम है। लेकिन मोर्सी ने अपने बयान के जरिए इन तीन शक्तियों में मौजूद संतुलन को बिगाड़ दिया और सेना को पूरी तरह से विपक्ष की ओर धकेल दिया। इस की चर्चा करते हुए राजनीतिक विश्लेषक अमेल.अहमेद ने कहाः

`वास्तव में मोर्सी एक विशेष और असाधारण राजनीतिक शख्स नहीं हैं। जी हां, उन्होंने बहुत सारे असाधारण काम किये हैं, तो भी राजनीतिक स्तर पर प्रतीत होता है कि वो यह नहीं जानते कि विरोधी आवाज का सामना करते समय विभिन्न पक्षों में एकमतता की प्राप्ति एक अहम कार्य है। दरअसल उन्हें एकमतता के लिए एक बड़ी प्रेरकशक्ति बननी चाहिए थी।`

बुधवार को तीसरे पहर सेना और अन्य ताकतवर विभागों ने अपने-अपने जरूरी काम किए। समाचार-पत्र अल-अहराम की वेबसाइट पर छपी खबर के अनुसार रिपब्लिकन गार्ड रेडियो और टी.वी स्टेनश को अपने नियंत्रण में ले चुका है। कार्यक्रमों का सीधा प्रसारण करने के काम में हिस्सा नहीं लेने वाले कर्मचारी सब के सब दफ्तर से हटाए जा चुके हैं। गृह मंत्रालय ने भी एक वक्तव्य जारी कर दावा किया कि वह सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर संघर्ष करेगा। स्थानीय मीडिया के अनुसार सेना ने हिंसा की रोकथाम के बहाने उस स्थान पर टैंक भी तैनात किए हैं, जहां बड़ी तादाद में मोर्सी के समर्थक जमा रहे हैं।

तीसरी जुलाई को गहरी रात में मोर्सी ने अल-जजीरा टी.वी चैनल के माध्यम से भाषण देते हुए कहा कि वो किसी भी पक्ष के साथ वार्ता करने को तैयार है। सूत्रों के अनुसार इस समय मोर्सी किसी गु्प्त स्थान में है। उन्होंने टी.वी भाषण देने से पहले फेसबुक पर लिखा था कि रक्षा मंत्री सिसि द्वारा अपने बयान में उल्लिखित `रूडमैप` सरासर सैन्य राजविप्लव है। उन्होंने देश के सभी लोगों से संविधान और कानूनों का पालन करने तथा सैन्य राजविप्लव में शामिल नहीं होने की अपील की थी।

यद्यपि सेना राजविप्लव की निंदा करती रही है और जनता के साथ रहने की बात करती रही है, लेकिन राजनीतिक परिस्थिति में सीधा दखल देने से उसे कुछ लोगों की नाराजगी का सामना करना पड़ा है। मोर्सी की प्रमुख विरोधी सुश्री सामिरा इब्राहिम ने भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि सड़कों पर सैकड़ों सैनिक और बख्तरबंद गाड़ियां दिखाई दिए हैं। अधिकांश लोगों की तरह मैं भी मिस्र को एक सामान्य देश के रूप में देखना चाहती हूं। मिस्र में सत्ता को सेना के हाथ में नहीं पड़ने दिया जाना चाहिए और देश को विभाजन की स्थिति में बने रहने नहीं दिया जाना चाहिए।

 

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