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दोस्तो, परमाणु ऊर्जा का सुरक्षित इस्तेमाल अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और आम लोगों का व्यापक ध्यान खींचने वाला एक मुद्दा है, खासकर रूस के चेरनोबेली न्यूक्लियर पावर प्लान्ट में विस्फोट की घटना और जापान के फुकुशिमा परमाणु संयंत्र में हादसा होने के बाद दूनिया में विभिन्न देशों ने परमाणु सुरक्षा को अपूर्व रूप से भारी महत्व दिया है। चीन में 3 जुलाई को परमाणु ऊर्जा के विकास और परमाणु सुरक्षा की गारंटी विषय पर परमाणु सुरक्षा आपदा प्रबंधन-प्रचार सप्ताह का आयोजन शुरू हुआ। इसके साथ नवसंशोधित राष्ट्रीय परमाणु आपदा प्रबंधन आपातकालीन योजना भी जारी की गई, जो चीन में परमाणु ऊर्जा-कार्य के स्वस्थ एवं सतत विकास के लिए यथार्थ मायने रखती है।
सर्वविदित है कि परमाणु ऊर्जा ने स्वच्छ, सुरक्षित एवं किफायती ऊर्जा के रूप में मानव के अस्तित्व के वातावरण को सुरक्षित रखने, आर्थिक एवं सामाजिक विकास और विज्ञान-तकनीकी प्रगति को आगे बढाने में भारी योगदान किया है। वर्तमान समय में चीन में परमाणु बिजली जनरेटर-सेटों की संख्या 17 है और अन्य 28 निर्माणाधीन हैं। परमाणु बिजली-कार्य बड़े पैमाने पर सुव्यवस्थित औऱ तेज गति से आगे बढ रहा है। परमाणु कार्य की दृष्टि से बड़े देश से शक्तिशाली देश बनने के लिए यह जरूरी है कि परमाणु सुरक्षा को पहली प्राथमिकता दी जाए।
हाल ही में चीनी राज्य परिषद ने नवसंशोधित राष्ट्रीय परमाणु आपदा प्रबंधन आपातकालीन योजना का अनुमोदन किया और उसे 3 जुलाई को सार्वजनिक भी किया। राष्ट्रीय परमाणु आपदा प्रबंधन समंवय समिति के उपप्रधान मा शिंग-रुए का मानना है कि `नवसंशोधिक योजना` में चीन में परमाणु आपदा प्रबंधन का मूल कार्य साफ़ तौर पर तय किया गया है। उन्होंने कहाः
` चीन में परमाणु आपदा प्रबंधन का मूल कार्य परमाणु संयंत्रों एवं परमाणु गतिविधियों के कारण हुई घटनाओं या संभावित घटनाओं का प्रभावी निपटान करना, घटनाओं को जितना संभव हो, उतनी मेहनत से नियंत्रित करना, उनसे जान-माल के नुकसान को कम करने की यथासंभव कोशिश करना और सार्वजनिक सुरक्षा, पर्यावरणीय सुरक्षा एवं सामाजिक स्थिरता को सुनिश्चित करना है।`
इस समय चीन में परमाणु आपदा प्रबंधन-कार्य तीन स्तरीय व्यवस्था के तहत चल रहा है। ठोस रूप से कहा जाए, तो यह व्यवस्था राष्ट्रीय, प्रांतीय और संस्थागत जैसे 3 स्तरों पर आधारित है। मा शिंग-रुए ने कहाः
`पहले स्तर पर राष्ट्रीय परमाणु आपदा प्रबंधन समंवय समिति है। इस समिति के सदस्य राज्य परिषद और सैन्य संस्थाओं के 24 विभाग होते हैं। दूसरे स्तर पर प्रांतीय परमाणु आपदा प्रबंधन संस्थान हैं। अब चीन में 16 प्रांतीय परमाणु आपदा प्रबंधन-समितियां और कार्यालय हैं। तीसरे स्तर पर परमाणु संयंत्र ऑपरेटर इकाइयों के आपदा-प्रबंधन संगठन हैं। जरूरत पड़ने पर राष्ट्रीय परमाणु आपदा प्रबंधन हेडक्वाटर बनाया जाएगा।`
गौरतलब है कि वर्ष 1996 में चीन ने परमाणु आपदा प्रबंधन संबंधी कदमों के मानकीकरण के लिए राष्ट्रीय परमाणु आपदा प्रबंधन योजना जारी की थी, फिर 2005 में इस का नाम बदलकर राष्ट्रीय परमाणु आपदा प्रबंधन आपातकाली योजना कर लिया। राष्ट्रीय परमाणु आपदा प्रबंधन कार्यालय के उपप्रधान श्यू फिंग के अनुसार अपने पुराने रूप के मुकाबले नवसंशोधिक `आपातकालीन योजना` में आपदा-प्रबंधन के कदमों को और अधिक वैज्ञानिक, व्यावहारिक एवं कारगर बनाया गया है। संक्षेप में यह योजना लागू करना आसान हो गया है। उन का कहना हैः
` इस नवसंशोधित योजना में आपदा-निपटान के कदमों की व्यावहारिकता सब से उल्लेखनीय है। परमाणु आपदा यों ही चार स्तरों पर बांटा गया है, लेकिन उनसे अलग-अलग तौर पर निपटने के लिए जो कदम उठाए जाने चाहिए, वे और भी स्पष्ट रूप से निश्चित किए गए हैं। मतलब कि जिस स्तर की परमाणु आपदा उत्पन्न होती है, उसी स्तर पर स्थापित परमाणु आपदा प्रबंधन संस्थान को सब से पहले उससे निपटने में जुट जाना चाहिए।`
नवसंशोधित योजना न केवल अमलीकरण में आसान है, बल्कि आम लोगों को भी परमाणु त्रासदी से अपने खुद को बचाने में मदद दे सकती है। परमाणु पर्यावरण-संरक्षण एवं विकिरण संबंधी विशेषज्ञ प्रोफ़ेसर छन चू-ज़ो ने कहा कि नवसंशोधित योजना में ऐसे कदम स्पष्ट रूप से तय किए गए हैं, जो परमाणु हादसा होने के बाद आम लोगों के लिए बहुत उपयुक्त साबित होंगे। उन के अनुसार इस योजना में लोगों को साफ़ और विस्तृत रूप से बताया गया है कि कब और कैसे मास्क का प्रयोग किया जाए ? रूमाल से कैसे मुंह और नाक को ढका जाए?किस तरह से घटनास्थल से सुरक्षित बाहर निकले?और कैसे सुरक्षित खाद्य पदार्थ चुने जाए इत्यादि।
अगर परमाणु सुरक्षा को परमाणु ऊर्जा-कार्य का जीवन माना जाता है, तो परमाणु आपदा-प्रबंधन को परमाणु सुरक्षा की गारंटी का अंतिक रक्षा-मोर्चा माना जाना चाहिए। इस मोर्चे को मजबूत बनाने के लिए पूरे समाज का पुरजोर प्रयास अत्यंत जरूरी है।