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दोस्तो, 30 जून को ब्रितानी प्रधान मंत्री डेविड कैमरन अपनी आकस्मिक अफगान-यात्रा समाप्त कर इस्लामाबाद पहुंचे। उनका कहना है कि उन की दो दिवसीय पाक-यात्रा का मकसद अफगानिस्तान की शांति-प्रक्रिया को आगे बढाने के सुअवसर का फायदा उठाकर अफगानिस्तान एवं पाकिस्तान के बीच अविश्वास जैसे संबंधों को सुधारना है।
रविवार को कैमरन ने इस्लामाबाद में पाक प्रधान मंत्री नवाज शरीफ से बातचीत की। कैमरन ने कहा कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान दोनों देशों को लम्बे समय से आतंकवादी खतरे का सामना करना पड़ा रहा है। इसलिए अपने-अपने भावी विकास के लिहाज से दोनों देश साझा ऱूख अपनाते हैं। उन्होंने कहाः
`पाकिस्तान का मित्र ब्रिटेन का ही मित्र है और पाकिस्तान का दुश्मन ब्रिटेन का ही दुश्मन है। हम एक दूसरे के साथ खड़े होकर उग्रवाद और आतंकवाद पर प्रहार करने की समान कोशिश करेंगे। मुझे विश्वास है कि पाकिस्तान एक ऐसा अफगानिस्तान देखना चाहता है, जो स्थिरता, समृद्धि एवं घरेलू शांति से संपन्न है।`
बातचीत में नवाज शरीफ़ ने अफगानिस्तान की शांति-प्रक्रिया के प्रति पाकिस्तान का रूख व्यक्त किया और कहा कि अफगानिस्तान की शांति-प्रक्रिया अफगानियों द्वारा तय और दिशानिर्देशित की जानी चाहिए। पाकिस्तान ब्रिटेन के साथ मिलकर अफगानिस्तान की शांति-प्रक्रिया को जल्द ही सफल बनाने का प्रयास करने का इच्छुक है। उन्होंने कहाः
`हमें उम्मीद है कि ब्रिटेन अफगानिस्तान में शांति एवं स्थायित्व की प्राप्ति के लिए अपनी अथक कोशिश जारी रखेगा। हमें यकीन है कि शांति-प्रक्रिया को अफगान सरकार की अध्यक्षता में चलाया जाना चाहिए। हमने कैमरन को आश्वासन दिया है कि हम अफगानिस्तान की शांति-प्रक्रिया को आगे बढाने की कोशिश करते रहेंगे, ताकि पाकिस्तान में ठहरे करीब 30 लाख अफगान शरणार्थी सम्मान और इज्जत के साथ यथाशीघ्र वापस स्वदेश लौट सके।`
नवाज शरीफ के साथ बातचीत के बाद कैमरन ने कहा कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान दोनों ने अपने भावी द्विपक्षीय संबंधों के मुद्दे पर मिलते-जुलते रूख प्रकट किए हैं। ब्रिटेन उन दोनों के बीच अच्छे, मजूबत और विश्वसनीय संबंधों की स्थापना के लिए आवश्यक मदद देने को तैयार है। कैमरन ने कहाः
`मैं अफगान राष्ट्रपति और पाक प्रधान मंत्री के साथ अनेक ऐसी वार्ताएं कर चुका हूं, जो अतीत का अंत करके भविष्योंम्मुख मानी गई हैं। मुझे आशा है कि इन वार्ताओं के माध्यम से अफगानिस्तान और पाकिस्तान एक दूसरे के साथ नजदीकी संपर्क में रहेंगे। इन वार्ताओं में एकमतता बनी है कि अफगानिस्तान और पाकिस्तान दोनों अच्छे, स्थिर एवं मजबूत द्विपक्षीय संबंध बनाना चाहते हैं। ब्रिटेन भी इन संबंधों के पुनःनिर्माण में मदद देनी चाहता है।`
बातचीत के अंत में कैमरन ने कहा कि उन की पाक-यात्रा का मकसद अफगानिस्तान की शांति-प्रक्रिया को आगे बढाने के सुअवसर का लाभ लेते हुए अफगान-पाक संबंधों को सुधारने के अतिरिक्त आर्थिक एवं व्यापारिक क्षेत्रों में ब्रिटेन-पाक सहयोग के जरिए पाकिस्तान के विकास को बल देना और आतंकवाद पर प्रहार करने की ब्रिटेन एवं पाकिस्तान दोनों की क्षमताओं को बढाना भी है। कैमरन का कहना हैः
`मेरा इस पाक-यात्रा का और एक कारण है, वह यह कि लोग कहते हैं कि ब्रिटेन भूमंडलीकरण में एक प्रतियोगी है। इसलिए ब्रिटेन को बड़ी तेजी से आर्थिक विकास करते देशों के साथ व्यापार एवं निवेश के क्षेत्रों में सहयोग करना चाहिए। पाकिस्तान भी दुनिया में एक बड़ी आबादी वाला देश है। ब्रिटेन और पाकिस्तान के बीच मित्रता बनी रही है। ऐसे में हमें और अधिक व्यापार एवं निवेश करना चाहिए। इसका यह मतलब भी है कि मैं रोजगार के अधिक अवसर वापस ले जा सकता हूं। लेकिन यहां हमें इस स्थिति को साफ तौर पर देखना चाहिए कि पाकिस्तान आतंकवादी खतरे से जूझ रहा है। यहां हुए आतंकी हमलों में कई हजारों की संख्या में लोगों की जान चली गई है। मैं समझता हूं कि ब्रिटेन और पाकिस्तान के मैत्रीपूर्ण संबंध व्यापार, निवेश औऱ लोगों के बीच आवाजाही को बढाने के लिए हितकर है। वास्तव में इस समय कोई 10 लाख पाक प्रवासी ब्रिटन में रहते हैं और उन्होंने ब्रिटेन के विकास में बड़ा योगदान किया है। हमें मैत्रीपूर्ण संबंध की खूबियां देखनी चाहिए और इस तरह के संबंध के सहारे आतंकवाद पर साझा प्रहार करना चाहिए। मैत्रीपूण संबंध ही हमारे लिए जरूरी है और इस किस्म का संबंध बनाना भी मेरा पाक-यात्रा का एक उद्देश्य है।`