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ल्हासा में पुराने इलाके के संरक्षण की परियोजना पूरी होने को है
2013-06-21 15:52:22

दोस्तो, तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की राजधानी ल्हासा में पिछले साल के अंत में पुराने इलाके के पुनःनिर्माण एवं संरक्षण की परियोजना पर काम औपचारिक रूप से शुरू किया गया। अब यह काम अपने अंतिम चरण में है। इस परियोजना का लक्ष्य प्राचीन नगर की प्राकृतिक विशेषता को बनाए रखने, सुरक्षा को पैदा होने वाले खतरे का खात्मा करने एवं जनजीवन के वातावरण को सुधारने के लिए सारे पुराने इलाके के पुनःनिर्माण एवं संरक्षण करना है।

ल्हासा के केंद्र में स्थित पागोर सड़क बहुत मशहूर है। जब हमारे संवाददाता वहां पहुंचे, तो निर्माण-कार्य के लिए जरूरी तमाम मशीनों, उपकरणों, औजारों और अन्य साजोसामानों की बजाए तिब्बती वास्तुशैली में पुनःनिर्मित मकान दिखाई दिए। गौरतलब है कि पुनः निर्माण-कार्य पूरा के नजदीक है।

हां, ल्हासा में पागोर सकड़ को केंद्र बनाकर पुराना इलाका पर्यटकों के लिए बेहद लोकप्रिय हैं। यहां जातीय एवं धार्मिक विशेषताएं मजबूत हैं और तिब्बती वास्तुशैली में बने मकान भी निराले हैं। बड़ी संख्या में दुर्लभ एवं मूल्य़वान सांस्कृतिक अवशेष और ऐतिहासिक इमारतें देखने को मिलने की वजह से इस इलाके को ल्हासा का व्यापार, पर्यटन, धर्म एवं संस्कृति के लिहाज से केंद्र माना गया है, जिसका कुल क्षेत्रफल 1.33 वर्ग कि.मी है और स्थाई आबादी 80 हजार से ज्यादा है।

लम्बे इतिहास और कुदरती नुकसान होने के कारण इस इलाके में बहुत से मकान और अन्य निर्माण बेहद पुराने हो चुके हैं, बढ़ते धार्मिक और व्यापारिक गतिविधियों के मुकाबले बुनियादी सुविधाएं पिछड़ी होने के साथ-साथ अपर्याप्त हुई हैं। बिजली और पानी की आपूर्ति जैसी जनजीवन से जुड़ी व्यवस्थाएं भी बहुत पुरानी हुई हैं, जिनमें बार-बार हुई गड़बड़ियों से स्थानीय लोगों को बड़ी परेशानियां झेलनी पड़ी हैं। खास तौर पर इन गडबड़ियों से सुरक्षा को खतरा पैदा होने की आशंका बनी रही है। गांग ज़ु नामक बुजुर्ग इस इलाके के रहने वाले हैं और ल्हासा शहर की 8वीं, 9वीं एवं 10वीं जन प्रतिनिधि सभाओं के सदस्य हैं। इस इलाके के प्रति उन की गहरी भावना है। उन्होंने कहाः

`इस पुराने इलाके में बिजली-लाइनें अस्त-व्यस्त हैं, जो देखने में मकड़ी का जाल सा लगती है। कुछ लोगों ने स्वार्थ के लिए चोरी-छिपे इस कथित जाल से अपनी निजी बिजली-लाइनें भी जोड रखी हैं। इससे न केवल इलाके के दृश्य को खराब किया गया है, बल्कि सुरक्षा को भी खतरा पैदा हुआ है। इसके अलावा यहां जल-सप्लाई और जल-निकासी की प्रणाली भी अपरिपक्व है। जब पानी का दबाव कम होता है, तो इमारतों की तीसरी से अधिक ऊपर वाली मंजिलों को पानी नहीं मिल पाता है। जो भी हो, यह ल्हासा शहर का मूल्यवान पुराना इलाका है, जिसकी जो ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक कीमत है, वह अमूल्य है। इसलिये इस इलाके का पुनःनिर्माण अत्यंत जरूरी है। जन प्रतिनिधि के रूप में मैं ने संबंधित सरकारी विभाग के समक्ष जनता की आवाज़ उठाई।`

खुशी की बात यह है कि उन्होंने जो पुराने इलाके के पुनःनिर्माण संबधी सुझाव दिया, उन्हें सकारात्मक जवाब मिला है। वर्ष 2012 के अंत में इस पुराने इलाके के पुनःनिर्माण के लिए 1 अरब 50 करोड़ चीनी युआन की लागत वाली परियोजना का क्रियानव्यन शुरू किया गया। इस परियोजना में जल-निकासी, बिजली-आपूर्ति और दूर संचार व्यवस्था जैसे बुनिदायी ढांचे में सुधार और प्राचीन नगर की प्राकृतिक विशेषता के संरक्षण आदि विषय शामिल हैं। इस परियोजना के जिम्मेदार व्यक्ति यू योंग-होंग ने कहाः

`इस परियोजना पर निर्माण-काम करने के दौरान हम ने कोई कठिनाइयों को दूर किया है, जैसी कि निर्माण-स्थल बहुत तंग था, जिसने काम करने की गति को बुरी तरह प्रभावित किया, भीड़-भाड़ होने के समय सुरक्षा पर खतरा मंडरा रहा था इत्यादि। लेकिन अब सब कुछ ठीक-ठाक हो गया है। हमारा उद्देश्य पुराने इलाके के निवासियों को व्यावहारिक सुविधाएं मुहैया कराना है। इसके लिए हम ने जो काम किये हैं, उन्हें व्यापक मान्यता मिली है।`

पागोर सड़क पर दूकानदारों ने निर्माण-कार्य के समर्थन के लिए किसी तरह अपनी दूकानों को दूसरी सड़क पर स्थानांतिरत किया, जिससे तिब्बती बौद्ध अनुयाइयों को परंपरागत धार्मिक आयोजन के लिए सहुलियत मिल सके।

पुनःनिर्माण की परियोजना पूरी होने वाली है। पुराने इलाके में लगभग सभी सड़कें और मकान नए से दिख रहे हैं और जनजीवन से जुड़ी बुनियादी सुविधाएं भी बहुत सुधर गई हैं। त्सी ची नामक एक महिला इस इलाके में वर्षों से चाय-घर चलाती रही हैं। पुनःनिर्माण की परियोजना के कारण वो बिजली से संबंधी परेशानी से मुक्त हो गई है। उन के अनुसार

`पहले पुराने इलाके की बस्तियों में प्रति प्रांगण में सिर्फ एक ही बिजली मीटर लगा हुआ था, जिसके अनुसार जो बिजली-बिल भेजी जाती थी, उसका प्रांगण में रहने वाले सभी लोगों को एक साथ मिलकर भुगतान करना पड़ता था, जिससे झगड़ा हुआ करता था। लेकिन पुनःनिर्माण की परियोजना के कारण यहां बिजली-आपूर्ति में सुधार लाया गया है और प्रति परिवार में एक बिजली-मीटर लगाया गया है, जिससे बिजली-बिल का भुगतान आसानी से हो जाता है।`

सूत्रों के अनुसार अब तक ल्हासा में पुराने इलाके के पुनःनिर्माण एवं संरक्षण की परियोजना 90 प्रतिशत तक पूरी हो चुकी है। विश्वध्यानाकर्षक जोख़ान मठ के चौक के नवीनीकरण का काम भी पूरा हो गया है। दूर संचार व्यवस्था को सुधारने का काम इस महीने के अंत तक पूरा हो जाएगा।  

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