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विश्व में बेरोज़गारों की संख्या 20 करोड़ से अधिक होगी
2013-06-04 19:55:54


अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन यानी आईएलओ ने 3 जून को जिनेवा में"वर्ष 2013 विश्व कार्य रिपोर्ट:आर्थिक पुनरुत्थान और सामाजिक ढांचा"शीर्षक वार्षिक रिपोर्ट जारी की, जिसमें कहा गया कि 2015 तक विश्व भर में बेरोज़गारों की संख्या 20 करोड़ 80 लाख तक जा पहुंचेगी। लेकिन नवोदित आर्थिक समुदाय और विकासमान आर्थिक समुदाय में रोज़गार स्थिति की बहाली गति विकसित देशों से अधिक होगी।

"विश्व कार्य रिपोर्ट"आईएलओ द्वारा जारी वार्षिक रिपोर्टों में से एक है, जो मुख्य तौर पर विश्व की रोज़गार स्थिति का विश्लेषण करके सुझाव पेश करते है। रिपोर्ट में कहा गया कि इस वर्ष भूमंडलीय वित्तीय संकट पांचवें साल में प्रवेश कर गया हैं। विश्व भर में रोज़गार की बहाली स्थिति फिर भी असंतुलित हैं। नवोदित आर्थिक समुदाय और विकासमान आर्थिक समुदाय में रोज़गार की बहाली दर तेज़ रही, जो अधिकांश विकसित आर्थिक देशों से कहीं ज्यादा है। अंतरराष्ट्रीय श्रम अनुसंधान केंद्र के प्रधान रेमोंड टोरेस ने कहा:

"विभिन्न देशों की स्थिति देखी जाए, तो रोज़गार की बहाली स्थिति असंतुलित है। एक तरफ़ चीन, भारत, लाटिन अमेरिका और दक्षिण सहारा के कुछ देशों समेत नवोदित आर्थिक समुदाय और विकासमान देशों की आर्थिक वृद्धि बनी रहेगी, इस तरह रोज़गार की स्थिति में सुधार आएगा। इन देशों में मध्यम स्तरीय आय वालों की संख्या बढ़ेगी, पर दूसरी तरफ़, एक अच्छी खबर नहीं है कि विकसित देशों और अरब देशों में संकट के बादल मंडरा रहे हैं। इन देशों की आर्थिक वृद्धि दर कम होगी, यहां तक कि ऋणात्मक वृद्धि पैदा होगी। कुछ देशों को आर्थिक मंदी से लगातार जूझना पडे़गा। मसलन् दक्षिण युरोप की बेरोज़गारी दर बहुत ऊंची है और कुछ देशों में बेरोज़गारी दर बढ़ती जा रही है।"

"विश्व कार्य रिपोर्ट"में अनुमान लगाया गया कि भावी कुछ सालों में विश्व भर में बेरोज़गारों की संख्या लगातार बढ़ेगी। अब यह संख्या 20 करोड़ है, और वर्ष 2015 तक 20 करोड़ 80 लाख तक जा पहुंचेगी। वर्तमान स्थिति के मुताबिक वर्ष 2015 में नवोदित आर्थिक समुदाय और विकासमान समुदाय में रोज़गार दर वित्तीय संकट की पूर्व वाली स्थिति के समान हो जाएगी, लेकिन विकसित आर्थिक समुदाय में वर्ष 2018 तक वित्तीय संकट के पूर्व वाले स्तर के बराबर पहुंचेगा। इसके साथ ही संपत्ति और श्रम के बीच फ़र्क भी बढ़ रहा है। नवोदित आर्थिक समुदाय में मध्यम स्तरीय जगत फिर भी कमज़ोर है, जबकि विकसित आर्थिक समुदाय में मध्यम स्तरीय जगत में कमी आएगी। इस तरह संकट के मुकाबले के लिए दीर्घकालिक नीति बनाकर आर्थिक और सामाजिक ढांचे को बहाल करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसकी चर्चा में रेमोंड टोरेस ने कहा:

"आज तक अपनाए गए कदम अल्पकालिक कदम हैं। यह स्पष्ट है कि आर्थिक और सामाजिक ढांचे की बहाली एक दीर्घकालिक चुनौती है। अर्थशास्त्री के दृष्टि से देखा जाए, तो वर्तमान में बहुत सी कंपनियों का मुनाफ़ा वित्तीय संकट के पूर्व वाले स्तर तक जा पहुंचा है। लेकिन उनके पूंजी निवेश में बढ़ोत्तरी नहीं हुई। मुनाफ़ा और निवेश के बीच संपर्क टूट गया है।"

"विश्व कार्य रिपोर्ट"में कहा गया कि वर्ष 2012 में विकसित आर्थिक समुदाय का निवेश भूमंडलीय निवेश का एक तिहाई था, लेकिन दस साल पूर्व इसका अनुपात 60 प्रतिशत था। फलस्वरूप रोज़गार के बाज़ार पर प्रत्यक्ष कुप्रभाव पड़ा है। इसके अलावा रिपोर्ट में बल दिया गया कि न्यूनतम वेतन आय-संतुलन का कारगर साधन है। जिससे श्रमिक प्रतिष्ठा की गारंटी ही नहीं, बल्कि सामाजिक मांग की उन्नति के लिए भी लाभदायक है। 

रिपोर्ट का मानना है कि श्रम बाज़ार में पैदा हुए सवालों के समाधान के लिए आर्थिक सुधार के साथ-साथ सामाजिक नीति की मज़बूती भी जरूरी है। अगर लोग बेहतर रोज़गार का भविष्य नहीं देख पाते हैं और उन्हें अपने जीवन स्तर को उन्नत करने का मौका नहीं मिल पाता है, तो लोग असंतुष्ट और निराश हो जाएंगे। यहां तक कि सामाजिक स्थिरता को भी क्षति पहुंचेगी। इस तरह ज्यादा संपूर्ण रोज़गार नीति और सामाजिक नीति बनाना बहुत महत्वपूर्ण है। रिपोर्ट में खासकर विश्व में युवाओं की ऊंची बेरोज़गारी दर की चर्चा की गई, इसके बारे में रेमोंड टोरेस ने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा:

"युवाओं की बेरोज़गारी दर बहुत ऊंची है, और लगातार बढ़ भी रही हैं। चीन और तूर्की जैसे तेज़ आर्थिक वृद्धि वाले देशों को भी इसी क्षेत्र में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। अनुमान है कि इस वर्ष चीन में 70 लाख युवा श्रमिक बाज़ार में प्रवेश करेंगे। उनके लिए कार्यों का अवसर देना, अच्छा और प्रतिष्ठित रोज़गार देना चीन सरकार के सामने भारी चुनौती है।"

वर्ष 2009 में विश्व-वित्तीय संकट पैदा होने के कुछ समय बाद अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने"विश्व रोज़गार संधि"बनाई, ताकि वित्तीय और आर्थिक संकट से पैदा होने वाले रोज़गार संकट को हल किया जा सके।

(श्याओ थांग)

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