无烟日
|
दोस्तो, 31 मई को 26वां विश्व तंबाकू निषेध दिवस है। सभी लोग यह जानते हैं कि धूम्रपान कई बीमारियों का कारण बनता है। और वह लोगों के स्वास्थ्य के लिये बहुत हानिकारक है। हालांकि लोग धूम्रपान से होने वाले नुकसान को समझते हैं, लेकिन विश्व में धूम्रपान करने वालों की संख्या हर वर्ष बढ़ रही है। इसलिये विश्व तंबाकू निषेध दिवस के अवसर पर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने विभिन्न देशों से सभी तरीकों के तंबाकू संबंधी विज्ञापनों को बंद करने की अपील की, ताकि धूम्रपान करने वालों की संख्या कम हो सके। खासतौर पर युवाओं को तंबाकू के नुकसान से दूर किया जा सके।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार हर वर्ष दुनिया भर में लगभग 60 लाख लोग धूम्रपान से मारे जाते हैं। उनमें से अधिकतर ने 20 वर्ष की उम्र से पहले धूम्रपान करना शुरू किया। इसलिये तंबाकू के विज्ञापन व तंबाकू के प्रसार-प्रचार से जुड़ी गतिविधि बंद करना युवाओं के बीच धूम्रपान की रोकथाम करने व धूम्रपान के खर्च को कम करने का सबसे अच्छा तरीका है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के गैर संचार रोगों की रोकथाम विभाग के प्रमुख डगलस बेत्तचेर ने कहा, हमने इसलिये यह अपील की है, क्योंकि अध्ययन के परिणाम से यह जाहिर है कि लगभग एक तिहाई युवाओं ने तंबाकू विज्ञापन व इससे जुड़े प्रसार-प्रचार के कुप्रभाव से धूम्रपान शुरू किया। विश्व में 13 से 15 वर्ष तक की उम्र के किशोरों में 78 प्रतिशत अक्सर तंबाकू संबंधी विज्ञापन व प्रचार-प्रसार आदि देख सकते हैं। ऐसे में सभी तरह से तंबाकू के विज्ञापनों व प्रसार-प्रचार गतिविधि को बंद करना इस समस्या का समाधान करने का एकमात्र उपाय है।
वास्तव में इसे रोकने की कोशिश व तंबाकू उद्योग के बीच हुई प्रतिस्पर्द्धा कभी नहीं रुकी। समाज में ज्यादा से ज्यादा दबाव डालने के कारण तंबाकू उद्योग प्रचार-प्रसार के नये तरीके को ढूंढ़ने की कोशिश करता रहा। उदाहरण के लिये वे फ़िल्म या टीवी में तंबाकू विज्ञापन शामिल करते हैं, प्रसिद्ध व्यक्तियों द्वारा प्रमोशन गतिविधि करते हैं, या इंटरनेट व नई मीडिया के ज़रिए प्रचार करते हैं। डॉक्टर बेत्तचेर ने कहा, जब एक सामान्य विज्ञापन को बंद किया गया, जैसे बिलबोर्ड, टीवी या रेडियो पर विज्ञापन, तो वे अन्य क्षेत्रों में स्थानांतरित हो गए। उदाहरण के लिये खेल या सांस्कृतिक गतिविधियों में वे अपने ब्रांड का प्रचार करते हैं। शायद वे अपने ब्रांड को टी शर्ट पर प्रिंट करके प्रमोशन कार्य करते हैं, या इन्टरनेट व नयी मीडिया का इस्तेमाल करते हैं।
वर्ष 2003 में विश्व स्वास्थ्य महासभा में विश्व स्वास्थ्य संगठन के तंबाकू नियंत्रण ढांचागत संधि की अनुमति दी गयी, और व्यापक तौर पर सभी तरीके के तंबाकू विज्ञापन, प्रमोशन व प्रायोजकों को बंद करने का आग्रह किया गया। हाल के कई वर्षों में विश्व में तंबाकू सेवन की रोकथाम के लिए कदम दिन-ब-दिन तेज हो रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2011 में विश्व भर में केवल 19 देशों में व्यापक तौर पर तंबाकू विज्ञापनों पर मनाही है। पर वर्ष 2012 तक ऐसे देशों की संख्या 83 तक पहुंच गयी। ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, फ़िनलैंड, आयरलैंड, नेपाल, न्यूजीलैंड, नॉर्वे आदि देशों ने बिक्री स्थल पर तंबाकू से जुड़े उत्पादों को दिखाने पर रोक लगाई।
इसकी चर्चा में विश्व स्वास्थ्य संगठन के गैर संचार रोगों की रोकथाम कार्यक्रम के प्रमुख अरमांडो पेरुगा ने कहा, तंबाकू संबंधी उत्पादों का पैकेज व्यापारियों के प्रचार-प्रसार का मुख्य तरीका है। इसलिये तंबाकू नियंत्रण ढांचागत संधि में सबसे बुनियादी पैकेज का प्रयोग करने का आग्रह किया गया। यानी पैकेज पर कोई प्रचार नहीं होना चाहिये। ऑस्ट्रेलिया ने सबसे पहले यह कदम उठाया है। न्यूजीलैंड ने भी यह कदम उठाने की घोषणा की है। आयरलैंड ने भी कहा है कि वह तंबाकू के पैकेज पर कोई सजावट नहीं करेगा।
विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि वर्ष 2030 तक हर वर्ष धूम्रपान से मारे गये लोगों की संख्या शायद 80 लाख पहुंच जाएगी। धूम्रपान कैंसर, हृदय, मधुमेह व श्वास संबंधी रोगों का मुख्य कारण है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की महानिदेशक छनफ़ेन फूचेन ने कहा कि तंबाकू स्वास्थ्य के लिये सबसे हानिकर है। विभिन्न देशों को इस पर व्यापक ध्यान देना चाहिये, खासतौर पर युवाओं पर तंबाकू से होने वाले नुकसान के बारे में।
चंद्रिमा