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इजराइल की यात्रा कर रहे चीनी तिब्बती विद्या के विशेषज्ञों ने 27 मई को येरुशेलम में हिब्रू विश्विद्यालय के विद्वानों के साथ संगोष्ठी आयोजित की। दोनों पक्षों ने तिब्बत की संस्कृति, इतिहास और वर्तमान परिस्थित पर चर्चा की।
चीनी तिब्बती विद्या विशेषज्ञ प्रतिनिधिमंडल के नेता चालो ने इजराइली विद्वानों को बाज़ार अर्थव्यवस्था में तिब्बत में कारोबारों के विकास की स्थिति से अवगत कराया। उन्होंने कहाः
"तिब्बत में पारंपरिक हस्तशिल्प कारीगर हैं। उनके द्वारा बनाए गए हस्तशिल्प न सिर्फ गांव में रहने वालों की जरूरतों को पूरा करते हैं, बल्कि ल्हासा, छंगतू और पेइचिंग आदि क्षेत्रों तक बेचे जाते हैं। अतिरिक्त पशुधन उत्पादन भी बाजार में बेचे जाते हैं। अब तिब्बत में हाई टेक उद्योग के विकास की प्रेरणा भी दी जा रही है।"
चालो ने तिब्बत में शिक्षा और धर्म की वर्तमान व पूर्व स्थिति, पेंशन बीमा और चिकित्सा बीमा जैसी प्रतिभूति व्यवस्था के विकास और तिब्बत के प्रति केन्द्र सरकार की उदार नीतियों समेत कई पहलुओं की जानकारी दी।
तिब्बत पर बाहरी संस्कृति के प्रभाव की चर्चा में चालो ने कहा कि तिब्बत बाहरी संस्कृति के प्रभाव से इनकार नहीं कर सकता। इसके साथ साथ तिब्बती संस्कृति का बाहर तक प्रचार भी हो रहा है। इस पर चालो ने कहाः
"हम डिजिटल युग में जी रहे हैं। बाहरी संस्कृति का प्रभाव इतिहास में किसी भी समय से बड़ा है। दुनिया में हर जगह की सूचना ल्हासा में आती-जाती है, लेकिन इसके साथ साथ ल्हासा की संस्कृति का प्रचार भी दुनिया में हो रहा है। अगर आप पेइचिंग में जाते हैं, तो सड़क पर तिब्बती संस्कृति वाले तत्तव बहुत लोकप्रिय हैं। यह एक इंटरएक्टिव प्रक्रिया है।"
तिब्बत की संस्कृति, इतिहास और वर्तमान स्थिति पर तिब्बती विद्या विशेषज्ञों द्वारा दी गई जानकारी पर हिब्रू विश्विद्यालय के विद्वानों ने व्यापक रुचि दिखाई। हिब्रू विश्वविद्यालय में पढ़ रहे जापानी वासेटा विश्वविद्यालय के प्रोफेसर क्रिस्टोफर पोकरेर ने कहा कि पारंपरिक उद्योग का आधुनिक समाज में ज्यादा मूल्य है। तिब्बत को परंपरागत उद्योग के विकास के जरिए आर्थिक लाभ मिलेगा। उन्होंने कहाः
"तिब्बत एक मजबूत ब्रांड बन गया है। तिब्बती संस्कृति चीन, यहां तक कि पूरी दुनिया में प्रभावशाली है। इसलिए यह ब्रांड संभवतः तिब्बती उत्पादन के मूल्य बढ़ाएगा। अगर तिब्बत में परंपरागत उद्योग या कृषि का विकास किया जाए और इसे तिब्बती शैली वाले ब्रांड से संबंध बनाया जाए, तो तिब्बती लोगों को और ज्यादा आर्थिक लाभ मिल जाएगा।"
हिब्रू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मेरन मेड्जिनी ने चीनी तिब्बती विद्या विशेषज्ञों को यात्रा करने के लिए आभार प्रकट किया। उन्होंने कहा कि अब चीन-इजराइल संबंध विकास के बेहतर दौरे से गुजर रहे हैं। विभिन्न क्षेत्रों में दोनों पक्षों ने व्यापक आवाजाही की। मेरन मेड्जिनी ने कहाः
"इससे न सिर्फ चीन ने इजराइल के मूल्यों का पता लगाया, बल्कि इजराइल ने भी अपने विकास पर एशियाई देशों के महत्व पर ध्यान दिया है। कहा जाता है कि पहले हमारा ध्यान यूरोप और अमेरिका पर केन्द्रित होता है, तो अब इसका और विस्तार हो गया है। हमने पूर्वी देशों पर ध्यान बढ़ाया है। तिब्बती प्रतिनिधिमंडल की यात्रा से भी यह बात प्रतिबिंबित हुई है।"
प्रतिनिधिमंडल के नेता चालो ने कहा कि अल्पसंख्यक जातीय मुद्दों पर चीन और इजराइल विचारों और अनुभवों पर आवाजाही कर सकते हैं। आशा है कि भविष्य में अल्पसंख्यक जातीय नीति पर अध्ययन करने के लिए चीनी विद्वान इजराइल जा सकेंगे। चीन की यात्रा करने के लिए भी चीन इजराइली विद्वानों का स्वागत करता है।