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तीन तिब्बती विद्या के विशेषज्ञों से गठित एक चीनी प्रतिनिधि मंडल ने 21 मई को ब्रिटेन की राजधानी लंदन की यात्रा की और स्थानीय मीडिया को तिब्बत के विकास की नवीनतम स्थिति से अवगत कराया।
ये तीन विशेषज्ञ तिब्बती जाति के हैं। इस प्रतिनिधि मंडल के नेता, चीनी सामाजिक विज्ञान अकादमी के अधीन जाति विद्या और मानव विद्या अनुसंधान केंद्र के प्रधान के सहायक चा लो हैं। उन्होंने परिचय देते हुए कहा कि वर्ष 1949 में चीन लोक गणराज्य की स्थापना के बाद से लेकर अब तक केंद्र सरकार और तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की स्थानीय सरकार ने तिब्बत में आर्थिक विकास को बढ़ाने, जनजीवन में सुधार करने और जातीय व धार्मिक संस्कृति की रक्षा करने के लिये कई कारगर नीतियां लागू कीं। वर्ष 2012 में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की 18वीं राष्ट्रीय कांग्रेस के बाद तिब्बत के विकास में गति देने के लिये सरकार ने निरंतर नये कदम उठाये हैं। तिब्बती विद्या के विशेषज्ञ चा लो ने कहा:
"संस्कृति की रक्षा की तुलना में हम तिब्बती संस्कृति के विकास को अधिक महत्व देते हैं। हमारा अधिक ध्यान तिब्बती परम्परागत संस्कृति का आधुनिक जीवन से मेल करवाने के बढ़ावे पर केंद्रित है। उदाहरण के लिये तिब्बती भाषा का अंकीकरण करना है। तिब्बती परम्परागत संस्कृति के संरक्षण के लिए हमने कुछ बड़ी परियोजनाओं का कार्यान्वयन किया हैं। मसलन गैर-भौतिक सांस्कृतिक विरासत के उत्तराधिकारी और बड़े पैमाने वाले प्रकाश की परियोजना आदि शामिल है।"
चा लो ने कहा कि अभी तिब्बत में लागू किया गया सबसे बड़ा नागरिक कार्यक्रम सामाजिक प्रतिभूति, चिकित्सा प्रतिभूति, छात्रों का पौष्टिक भोजन और छात्रों का शिक्षा भत्ता समेत परियोजनाएं है। संबंधित विभागों ने पठार की पारिस्थितिकी संरक्षण को भी काफी महत्व दिया है। उन्होंने कहा:
"अभी तिब्बत की 34 प्रतिशत प्रादेशिक भूमि राष्ट्र स्तरीय प्राकृतिक संरक्षण क्षेत्र में शामिल हुई है। इसके अलावा हमने तिब्बत में भूमि के प्रयोग के बारे में सबसे गहन विकास अनुमति व्यवस्था की स्थापना की हैं। तिब्बत की पारिस्थितिकी संरक्षण अत्यन्त महत्वपूर्ण है। इसके संदर्भ में बड़ी मात्रा में धनराशि लगायी गयी है और संबंधित नीति भी बनायी गयी है।"
तिब्बती विद्या के विशेषज्ञ चा लो ने माना कि तिब्बत के सामने सामाजिक व आर्थिक विकास के साथ साथ बहुत-सी चुनौतियां भी मौजूद है। उनका कहना है:
"पहला, तिब्बती परंपरागत संस्कृति की अधुनिकता कैसे साकार होगा?आज के सूचनाकरण और बाजारीकरण युग में तिब्बती संस्कृति नए वातावरण में कैसे मेल खाएगा?दूसरा, तिब्बत की विकसित क्षमता कैसे बढेगी और तिब्बत की विशेषता वाले आर्थिक विकास का रास्ता कैसा बनाया जा सकता है?और तीसरा, तिब्बती के सामने एक बड़ी समस्या खड़ी है----शहरों और देहातों के बीच सामाजिक प्रतिभूति के स्तर में भारी फर्क मौजूद है।"
तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के वैदेशिक सांस्कृतिक आदान-प्रदान संघ की सदस्या सुश्री चाओ क्वोछिंग ने गत वर्ष तिब्बत के शिकाजे प्रिफैक्चर के एक गांव में काम किया। वहां उन्हें तिब्बती नागरिकों के जीवन स्तर की उन्नती को महसूस किया। उन्होंने इसका परिचय देते हुए कहा:
"एक साल के काम के जरिये मुझे लगता है कि शांतिपूर्ण मुक्ति के बाद से लेकर अब तक के 60 वर्षों के भीतर तिब्बत का काफी तेज विकास हुआ है।"
तिब्बती विश्वविद्यालय के अर्थव्यवस्था और प्रबंधन कॉलेज के उप-प्रोफैसर मेइलांग चोंगचङ ने तिब्बती भाषा के प्रचार-प्रसार और प्राचीन पुस्तकों के अनुसंधान के बारे में तिब्बती विश्वविद्यालय के कार्यों से अवगत कराया। उन्होंने कहा:
"हमारे विश्वविद्यालय में तिब्बती भाषा की कक्षा होती हैं। हमने लगभग 800 हान जाती छात्रों के लिये तिब्बती भाषी की कक्षा स्थापित की है। वे तिब्बती भाषा भी सीखते है। इसके साथ ही हमारे विश्वविद्याल में संस्कृत के अध्ययन समेत बहुत से परम्परगात कॉर्स भी होते हैं और हम मेहनत से अनुसंधान करते हैं।"
गौरतलब है कि ब्रिटेन की यात्रा के दौरान तिब्बती विद्या के विशेषज्ञ केंब्रिज विश्वविद्यालय की यात्रा करेंगे और ब्रिटिश तिब्बती विद्या के विद्वानों के साथ भी अकादमिक आदान-प्रदान करेंगे।
(रूपा)