भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निमंत्रण पर चीनी प्रधानमंत्री ली खछ्यांग 19 मई को भारत की यात्रा करेंगे। प्रधानमंत्री बनने के बाद ली खछ्यांग की यह पहली विदेश यात्रा है। इसलिये दोनों देशों की जनता इस यात्रा से चीन व भारत के बीच सहयोग को गहन करने, आपसी विश्वास को मज़बूत करने, और ड्रैगन व हाथी को एक साथ नृत्य करते हुए देखने की प्रतीक्षा कर रही हैं।
पेइचिंग के कई विशेषज्ञों ने चीनी न्यूज़ एजेंसी के संवाददाता को इन्टरव्यू देते समय कहा कि ली खछ्यांग की यात्रा से यह जाहिर है कि चीन के नए नेतागण चीन-भारत संबंधों पर बड़ा ध्यान देते हैं और चीन आपसी विश्वास को मजबूत करने, दोनों देशों के रणनीतिक सहयोग साझेदार संबंधों की रक्षा करने की कोशिश करना चाहता है।
चीनी दक्षिण एशिया संस्थान के अध्यक्ष सून शी हाए ने कहा कि दोनों पक्षों की समान कोशिश से चीन भारत संबंधों में चतुर्मुखी विकास का अच्छा रुझान दिख रहा है।
पेइचिंग विश्वविद्यालय के दक्षिण एशिया अनुसंधान केंद्र के अध्यक्ष च्यांग चिन ख्वेइ ने कहा कि चीन-भारत संबंध सुदृढ़ हो रहे हैं। अगर कोई मतभेद या संघर्ष है, तो दोनों पक्ष समग्र स्थिति से काम कर सकेंगे और आपसी लाभ पर ध्यान दे सकेंगे। साथ ही समस्याओं का समाधान करने की व्यवस्था भी दिन-ब-दिन सुधर रही है।
चीन व भारत के बीच राजनीति, अर्थव्यवस्था, व्यापार व मानव आदि क्षेत्रों में सहयोग की निहित शक्ति भी बहुत बड़ी है। चीनी अंतर्राष्ट्रीय मामला अनुसंधान प्रतिष्ठान के प्रधान छू शिंग ने कहा कि आर्थिक क्षेत्र दोनों देशों के बीच सहयोगों का एक महत्वपूर्ण भाग है। चीन व भारत दोनों नवोदित बाजार हैं और अर्थव्यवस्था में दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। इसलिये आर्थिक व व्यापारिक सहयोग की निहित शक्ति बहुत बड़ी है।
मानवीय आदान-प्रदान पर सून शी हाए ने कहा कि इस आदान-प्रदान से प्राप्त अच्छा फल शायद राजनीतिक व आर्थिक आदान-प्रदान से कभी नहीं पहुंच सकता है। मानवीय आदान-प्रदान दोनों देशों के बीच राजनीतिक, आर्थिक व व्यापारिक संबंधों को स्थिर बनाने की बुनियादों में से एक है। वह भी दोनों देशों के बीच आपसी विश्वास को मजबूत करने और मतभेदों को दूर करने का एक महत्वपूर्ण तरीका है।
चंद्रिमा