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बोस्टन विस्फोट के पीछे एक कहानी
2013-05-13 19:38:28
दोस्तो, एक श्रेष्ठ डांसर बनना तमाम अभिनेताओं का सपना होता है, लेकिन अमेरिका के बोस्टन में हुए विस्फोट में अमेरिका की एक डांस टीचर ने अपना बायां पैर खो दिया। और शारीरिक व मानसिक दोनों नुकसान झेलने के बाद यह डांस टीचर उम्मीदों के सहारे जीवन बिता रही हैं। उन्होंने कभी भी अपना सपना नहीं छोड़ा और हार के सामने भी सिर नहीं झुकाया। 

घायल होने से पहले 32 वर्षीय अडेलियन हासलेड एक श्रेष्ठ डांस शिक्षक थी। बोस्टन मैराथन प्रतियोगिता के दौरान वे अपने पति के साथ प्रतियोगिता की अंतिम लाइन पास खिलाड़ियों का हौसला बढ़ा रही थी। अचानक हुए विस्फोट ने उन्हें विकलांग बना दिया। इस हादसे की याद करते हुए हासलेड बहुत दुःखी हुई। उन्होंने कहा, बाद में टीवी पर दिखाये गये विस्फोट वीडियो से मुझे पता चला जहां हम खड़े हुए थे, वह घटनास्थल से केवल चार फुट दूर था। विस्फोट के बाद मैंने अपने पति को बताया कि मेरे पैर में दर्द हो रहा है। जब हम दोनों ने नीचे देखा, तो पता लगा कि उनके व मेरे पैर पर खून इधर-उधर बह रहा है। और इस तरह मैंने अपना बायां पैर खो दिया। बाद में जब मुझे बचाव कर्मियों ने अस्पताल भेजा, तो चिल्ला-चिल्ला कर कह रही थी कि मेरा पैर बचाइये, मैं एक डांस टीचर हूं।

लेकिन अंत में हासलेड को अपना बायां पैऱ खोना पड़ा। अब भी उनकी पिंडली पर मोटी पट्टी बांधी हुई है। कृत्रिम पैर लगाने से पहले वे नृत्य के मंच पर वापस नहीं लौट सकेंगी। पर हासलेड ने उम्मीद नहीं छोड़ी है, संवाददाता से नृत्य की चर्चा में वे बहुत जोश से भरी हैं। उन्होंने कहा, मैं डांस करते समय सब चीजें भूल सकती हूं। शायद मुझे कभी कभी मुसीबत होगी, लेकिन केवल पांच मिनट तक नाचने के बाद मैं सभी दुःख भूल जाउंगी। इसलिये मेरे लिये सबसे बुरी बात यह है कि अब मैं खड़ी होकर डांस नहीं कर सकती।

साधारण लोग शायद एक आपदा से प्रभावित होने या पीड़ित होने के बाद बहुत उदास या दुःखी बन जाएं। यहां तक कि कुछ लोग जीने का साहस भी छोड़ देते हैं। लेकिन पक्के इरादे वाली हासलेड न सिर्फ़ अपने सबसे पसंदीदा काम डांस को जारी रखेंगी, बल्कि उन्होंने अगले वर्ष आयोजित होने वाली बोस्टन मैराथन प्रतियोगिता में भाग लेने का वादा भी किया है। विकलांग बनने की वास्तविकता से उनके खुशहाल जीवन बिताने और नृत्य के प्रति उनके जोश पर कोई असर नहीं पड़ा।

उन्होंने कहा, मैं फिर खड़ी होकर डांस करना चाहती हूं। और इसके अलावा मैं अगले वर्ष मैराथन प्रतियोगिता में भी भाग लेना चाहती हूं। अब बहुत लोग मेरा समर्थन करते हैं। मुझे विश्वास है कि उस समय चाहे मैं खिलाड़ी की हैसियत से मैराथन में दौड़ सकूंगी या नहीं, मुझे लोगों का समर्थन ज़रूर मिलेगा।

हासलेड का अनुभव शायद बहुत दुख भरा है, लेकिन उनके साहस व आशावादी सोच ने हर व्यक्ति को प्रेरित किया है। हमें भी आशा है कि आधुनिक चिकित्सा के तेज विकास से हासलेड को ज़रूर अच्छा इलाज मिल सकेगा। और उनके डांस करने और दौड़ने का सपना भी पूरा होगा।

चंद्रिमा

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