च्यांगसू प्रांत पहुंचने के बाद इस प्रांत की राजधानी नानचिंग शहर का दौरा करना जरूरी है । चीन के प्रसिद्ध समकालीन साहित्यकार चू ची छिंग ने नानचिंग के दौरे के बाद नानचिंग नामक अपने एक लेख में लिखा कि नानचिंग का दौरा प्राचीन दुकानों के दौरे के समान जितना मजेदार है , हर जगह पर पुराने कालों का आसार नजर आ रहा है , जिस से आप मुक्त रुप से लदे युगों की कल्पना कर सकते हैं । इस से जाहिर है कि नानचिंग शहर चीनी ऐतिहासिक व सांस्कृतिक निचोड रखने वाला शहर ही है ।
नानचिंग चीन की चार महत्वपूर्ण पुराने राजधानियों व विख्यात ऐतिहासिक व सांस्कृतिक शहरों में से एक जाना जाता है , उस का इतिहास कोई हजार वर्ष पुराना है । नानचिंग शहर में कदम रखते ही मिंग राजवंश में निर्मित शहरी दीवार नजर आती है , यह शहरी दीवार 600 वर्ष से पहले स्थापित हुई है , उस की कुल लम्बाई 23 किलोमीटर है और वह आज की दुनिया में सब से लम्बी पुरानी शहरी दीवार मानी जाती है । इस पुरानी शहरी दीवार को पार करते समय ऐसा लगता है , मानो चीन की आधुनिक व ऐतिहासिक औजपूर्ण संस्कृतियों का दौरा किया जा रहा हो ।
नानचिंग शहरी क्षेत्र की सभी सड़कों के दोनों किनारों पर पेड़ उगे हुए हैं , कड़ाके की गर्मियों में पूरा शहर घने छायादार पेडों के बीच झांक देता है । यहां पर कन्फ्युशेस मंदिर और छिन ह्वाइ नदी का दर्शनीय दृश्य देशी विदेशी पर्यटकों को अपनी ओर खिंच लेता है । गाइड ने छिन ह्वाइ नदी के दोनों किनारों पर निर्मित निर्माणों की विशेषताओं का परिचय देते हुए कहा
जरा उधर गौर से देखिये , इस नदी के दोनों किनारों पर जो निर्माण खड़े हुए हैं , वे आनह्वी प्रांत की वास्तु शैली से युक्त निर्माणों की ठेठ मिसाल माने जाते हैं । आनह्वी प्रांत की वास्तु शैली की सब से बड़ी विशेषता यह है कि मकान की दीवार काले पत्थरों से निर्मित है , जबकि छत पर छोटे आकार वाले खपरैल लगे हुए हैं , साथ ही छत के दोनों छोर उड़ते हुए दिखाई देते हैं , देखने में सुंदर ही नहीं , आग की रोकथाम करने में भी सक्षम है । साथ ही छत पर लगे खपरैल छोटे कटोरे से भी छोटे हैं , जिस से सर्दी व गर्मी से बचने का काम किया जा सकता है ।
कन्फ्युशेस मंदिर में चीन के प्राचीन महान विचारक व शिक्षक कन्फ्युशेस की पूजा की जाती है , यह मंदिर करीब हजार वर्ष पुराना हो गया है । पिछले हजार वर्षों की हवाओं व वर्षाओं के मार से यह प्रसिद्ध शानदार निर्माण समूह काफी पुराना पड़ गया है , पर अब उस की सूक्ष्म रुप से मरम्मत करने के बाद उस में फिर नया निखार आ गया है ।
छिन ह्वाइ नदी नानचिंग शहर की माता नदी मानी जाती है , उस के दोनों किनारों पर बेशुमार रमणीय स्थल निर्मित हुए हैं , जहां पर नानचिंग शहर के पिछले दो हजार वर्ष का पुराना ऐतिहासिक व सांस्कृतिक निचोड़ निहित ही नहीं , बल्कि नानचिंग शहर का ऐतिहासिक , सांस्कृतिक व व्यापारिक केंद्र है और वह नानचिंग शहर की भव्यता का द्योतक भी है ।
शाम को छिन ह्वाइ नदी पर विहार करने के लिये नाव चलाना नानचिंग शहर के पर्यटन की एक विशेषता बन गया है । इस नदी के तटों पर प्रसिद्ध ऐतिहासिक चान य्वान व पाइ लू चओ पार्क , चीन का सब से बड़ा प्राचीन परीक्षा स्थल और बहुत से प्राचीन विख्यात साहित्यकारों व हस्तियों के शानदार निवास स्थान भी देखने को मिलते हैं । ये बगीचे जैसे आलीशान निवास स्थान मानो चमकदार मोतियों की तरह छिन ह्वाइ नदी के दोनों किनारों पर जड़े हुए हो ।
नानचिंग शहर से निकलकर चीन के प्रसिद्ध कस्बे ई शिंग पहुंचता है । पर्यटक ई शिंग के ग्रामीण क्षेत्र में घूमते हुए मानो जीते जागते चीनी स्याही चित्रों को देख रहे हो । ई शिंग के ग्रामीण क्षेत्र में हजारों हैक्टर चाय बागान व विशाल बांस समुद्र सब से मनमोहित हैं । यहां के बांस समुद्र पर्यटन स्थल की गाइड ह्वांग ने कहा कि यहां पर गर्मियों में पर्यटन का सब से बढ़िया मौसम माना जाता है । उन का कहना है ई शिंग च्यांगसू प्रांत के दक्षिण छोर पर स्थित है , यहां पर 15 हजार हैक्टर बांस बागान पाये जाते हैं , और तो और यहां के बांस ऊबड खाबड़ पहाड़ी क्षेत्रों पर बिखरे हुए हैं , इसलिये यहां चीन के प्रथम बांस समुद्र के नाम से नामी हो गया है । यहां के पर्वत पानी से जुड़े हुए हैं , मौसम बेहद सुहावना होता है । बायं तरफ चिंग हू झील भी है , झील की चारों ओर सौ बांग बागान भी हैं , इन बागानों में 150 से अधिक किस्मों वाले बांस भी उगे हुए हैं ।
इस के अलावा ई शिंग में चीनी मिट्टी बर्तन कला भी कोई चार पांच हजार वर्ष पुरानी हो गयी है , जिस में चीनी मिट्टी से बने ची शा नामक केतलियां सब से विश्वविख्यात हैं । यहां पर निर्मित ची शा नामक चीनी मिट्टी केतलियां मूल्यवान ही नहीं , बल्कि वे चाय बनाने का बड़ा काम देती हैं , इसी केतली से बनाने वाली चाय का स्वाद हू ब हू बरकरार रहा है और कभी भी खराब नहीं होती । इसलिये पर्यटक यहां पर गिफ्ट के रुप में इसी प्रकार की केतलियां खरीद लेते हैं ।
ई शिंग से निकलकर सुंदर सू चओ शहर पहुंच सकता है । सू चओ शहर से शांगहाई शहर तक पहुंचने में मात्र एक घंटे का समय लगता है । यह स्थल शांगहाई विश्व मेले के चर्चित पर्यटन स्थलों में से एक है । सू चओ का लिखिल इतिहास कोई चार हजार वर्ष पुराना है , यहां दर्शनीय प्राकृतिक दृश्य व सुंदर बगीचेनुमा प्राचीन निवास स्थानों से देश विदेश में बड़ा नामी है । सू चओ शहर के नौ बगीचेनुमा प्राचीन निवास स्थान विश्व सांस्कृतिक विरासतों की नामसूची में शामिल हो गये हैं , साथ ही शहरी क्षेत्र में जाल जैसी नद नदियों और विविधतापूर्ण अनौखा सेतुओं की वजह से उसे पूर्वी वेनिस और पूर्व की जलीय राजधानी कहकर कहा जाता है । सू चओ के शी ची बागान में कार्यरत कर्मचारी तंग च्या छन ने इस का परिचय देते हुए कहा
सू चओ के बागान यानी बगीचेनुमा निवास स्थान आम तौर पर प्राइवेट हैं , बागान पानी , सेतुओं , नकली पर्वतों और मंडपों से सुसज्जित हैं , देखने में बड़े सुंदर हैं , हमारा यह बागान बहुत ज्यादा देशी विदेशी पर्यटकों को मोह लेता है । छिंग राजवंश का राजा छ्येन लुंग कुल 6 बार दक्षिण चीन के दौरे पर गया था , हर बार वह अवश्य ही हमारे इसी बागान आता था ।
च्यांगसू प्रांतीय पर्यटन ब्यूरो के उप प्रधान य्वान तिन ने कहा कि हमें आशा है कि शांगहाई विश्व मेले के दौरान और अधिक पर्यटक च्यांगसू प्रांत के दौरे पर आयेंगे और विश्व सांस्कृतिक विरासत की नामसूची में शामिल सू चओ के प्राचीन बगीचेनुमा निवास स्थानों की सूक्ष्म वास्तु शैला का लुत्फ लेंगे ।