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चीन-भारत संबंधों में जुड़ेगा नया अध्याय - खुर्शीद
2013-05-08 21:20:25

भारतीय विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद का मानना है कि हाल के वर्षों में चीन-भारत संबंधों का बेहतर विकास हुआ है। दोनों देशों के बीच पैदा हुए सीमा विवाद का भी सफल समाधान हुआ। इससे भारत और चीन दोनों संतुष्ट हैं। खुर्शीद ने आशा जताई कि दोनों देश आपसी सहयोग को और मजबूत कर संबंधों का नया अध्याय जोड़ेंगे। वे 8 मई को दिल्ली में सीआरआई समेत अन्य मी़डिया के साथ संयुक्त साक्षात्कार में बोल रहे थे।

गौरतलब है कि सलमान खुर्शीद 9 से 10 मई तक चीन की दो दिवसीय यात्रा करेंगे। इससे पूर्व उन्होंने चीनी मीडिया के साथ हुए साक्षात्कार में कहा कि भारत चीन-भारत संबंधों को आगे बढ़ाने के इंतजार में है। उन्होंने कहा:"मैं इस बारे में बहुत आशावान हूं, मेरा विचार है कि यह एक बहुत अच्छा अवसर है। चीन के नए नेताओं ने चीन-भारत संबंधों को लेकर सक्रिय और मैत्रीपूर्ण रूख जताया। हम इसका स्वागत करते हैं, साथ ही समान वादे और कोशिश करने को तैयार है, ताकि द्विपक्षीय मैत्री और सहयोग आगे बढ़ाया जा सके।"

खुर्शीद ने कहा कि पिछले दस वर्षों में चीनी और भारतीय नेताओं की कोशिशों से द्विपक्षीय संबंधों का लगातार विकास हुआ। भारत को उम्मीद है कि आगामी दस सालों में चीन के नए नेताओं के साथ व्यापक सहयोग करते हुए दोनों देशों के संबंधों में नया अध्याय जुड़ सकेगा। मौजूदा चीन यात्रा की चर्चा करते हुए खुर्शीद ने कहा कि वे और चीनी विदेश मंत्री दोनों नए हैं। आशा है कि दोनों के बीच बेहतरीन समन्वय स्थापित होगा और इन संबंधों को दोनों देशों के विभिन्न विभागों और स्तरों तक पहुंचाया जाएगा। ताकि चीन-भारत सहयोग के लिए अच्छा आधार तैयार हो सके। अपने चीन दौरे का उद्देश्य बताते हुए उन्होंने कहा:"मौजूदा यात्रा का मुख्य मकसद चीनी और भारतीय नेताओं के बीच द्विपक्षीय संबंधों का नया अध्याय जोड़ने की तैयारी करना है। यह अध्याय चीन और भारत के लिए ही नहीं, एशिया और पूरी दुनिया के लिए भी महत्वपूर्ण और सार्थक होगा।"

दोनों देशों के बीच नए अध्याय की चर्चा करते हुए खुर्शीद ने चीन और भारत के बीच आर्थिक व व्यापारिक क्षेत्र में तेज़ विकास करने की बात पर ज़ोर दिया। साथ ही आशा जताई कि दोनों देश पूंजी निवेश के क्षेत्र में सहयोग मज़बूत करेंगे, ज्यादा से ज्यादा चीनी उद्योग पूंजी निवेश के लिए भारत आएंगे, ताकि द्विपक्षीय आर्थिक और व्यापारिक सहयोग नई मंजिल पर पहुंचाया जा सके और चीन-भारत संबंध आगे बढ़ें।

भारतीय विदेश मंत्री ने माना कि चीन-भारत संबंध में कुछ मुद्दे और चुनौतियां मौजूद हैं, जिनके समानधान के लिए दोनों पक्षों को धैर्य से काम लेना चाहिए। हाल में हुए विवाद की चर्चा में उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों की समान कोशिश से इस समस्या का सफल समाधान किया गया है। इस पर भारत संतुष्ट है। उन्होंने कहा:"हमने एक दूसरे के प्रति व्यापक समझ और पारस्परिक विश्वास दिखाया। दोनों पक्षों के लिए बुनियादी आपसी विश्वास अत्यंत महत्वपूर्ण है। मुझे खुशी है कि पिछले कुछ समय में दोनों देशों के बीच इस प्रकार की आपसी समझ कायम हुई है। मैं नहीं मानता कि सीमा मसले का शीघ्र ही समाधान किया जा सकता है। हमें ज्यादा समय चाहिए, इसमें पर्याप्त धैर्य व आपसी विश्वास की आवश्यकता है। हाल में सीमा विवाद के निपटारे के लिए हुई वार्ता में दोनों पक्षों ने धैर्य और आपसी विश्वास दिखाया और इसका संतोषजनक नतीजा सामने है।"

खुर्शीद का मानना है कि चीन-भारत मैत्री और सहयोग द्विपक्षीय स्तर पर ही नहीं रूकना चाहिए, कई महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चीन, भारत और रूस आदि ब्रिक्स देशों ने कारगर सहयोग किया। इस प्रकार का सहयोग विकासशील देशों के लिए बहुत अहम है। उन्होंने कहा:"हमने चीन और रूस के साथ ब्रिक्स देशों के ढांचे में कारगर सहयोग किया। इस प्रकार का सहयोग विभिन्न देशों के हित में है। हमने कुछ अंतरराष्ट्रीय मुद्दे, खासकर अंतरराष्ट्रीय वित्तीय व्यवस्था में सुधार आदि मसलों पर एक दूसरे के साथ सामंजस्य स्थापित किया। वास्तव में द्विपक्षीय स्तर पर, ब्रिक्स देशों के ढांचे में और संयुक्त राष्ट्र संघ के मामलों में विभिन्न देशों की व्यापक कोशिशों की जरूरत है, हमें एक दूसरे के रूख का समन्वय करना चाहिए।"

अंत में खुर्शीद ने कहा कि भविष्य में चीन और भारत अंतरारष्ट्रीय मामलों में और मज़बूत भूमिका निभाएंगे। लोग कहते हैं 21वीं सदी एशिया की सदी है, लेकिन इसके लिए चीन और भारत के वास्तिवक सहयोग की ज़रूरत है। हमारी वास्तविक उपलब्धियों से लोग विश्वास करते हैं कि नई सदी एशिया की सदी ही होगी।

(श्याओ थांग)

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