हालांकि य्वेन वेई चेन दिखने में चीनी जैसा लगता है, लेकिन उसका जन्म पोलैंड में हुआ है, और लंबे समय तक पोलैंड में रहने के कारण वह पूरी तरह से पोलिश लड़का बन गया। और उसकी चीनी भाषा पोलिश भाषा से कमज़ोर है। साधारण जीवन में वह एक शांत और प्यारा लड़का दिखता है, लेकिन तलवार चलाते समय वह अचानक एक चपल कुंफू मास्टर बन जाता है। उसे वूशू सीखते हुए तीन साल हो चुके हैं।
इसकी चर्चा में उसने कहा, मैंने वर्ष 2010 से वूशू सीखना शुरू किया। पहली बार अभ्यास करते हुई मुझे वूशू बहुत पसंद आया। इसलिये मैंने वूशू सीखते हुए तीन साल बिताये हैं। सबसे पहले मैं हर हफ्ते दो बार अभ्यास करता था, अब तीन बार हो गया हैं। और हर बार मैं दो या ढाई घंटे अभ्यास करता हूं। मैं पूरी कोशिश कर रहा हूं, ताकि मेरा प्रदर्शन और बेहतर हो सके।
य्वेन वेई चेन बहुत बुद्धिमान है, तीन साल में उसे वूशू में बड़ी सफलता मिली। पोलैंड में आयोजित सभी वूशू प्रतियोगिताओं में उन्होंने वर्ष 2011 से एक ही उम्र के समूह में छांगछ्वान इवेंट की सभी चैंपियनशिप प्राप्त की। उसकी प्रशिक्षक यानी पोलैंड की राष्ट्रीय वूशू टीम की प्रमुख प्रशिक्षक हो शी चिन ने उसकी खूब प्रशंसा की। उन्होंने कहा, य्वेन वेई चेन को देखने पर मैंने पाया कि उसके अंदर चीनी लोगों की जैसी भावना है। विदेशी खिलाड़ियों के अंदर इस तरह का जज्बा कम होता है। इसके चलते वह वूशू को आसानी से समझ सकता है। इसके अलावा चीनी वूशू के प्रति विशेष लगाव और प्यार भी है। इसलिये वह बहुत जल्द ही चीज़ें समझ लेता है।
बेशक, य्वेन वेई चेन की सफलता अथक मेहनत से अलग नहीं की जा सकती है। क्योंकि वूशू का अभ्यास बहुत मुश्किल होता है, हालांकि प्रदर्शन करते समय खिलाड़ी बहुत सुन्दर दिखते हैं, लेकिन साधारण अभ्यास में उन्हें बारी बारी इसे करना पड़ता है। इसकी चर्चा में य्वेन वेई चेन ने कहा, वूशू के अभ्यास में सबसे बड़ी मुश्किल ताज़गी बनाए रखना होता है, क्योंकि बहुत जल्दी थकान हो जाती है। क्योंकि वूशू एक बहुत चुनौती भरा खेल है। कई लोग थकान के डर से बीच में ही छोड़ देते हैं। इसलिये अगर आप वूशू में कुछ हासिल करना चाहते हैं, तो आपको थकान का मुकाबला करके कोशिश करनी पड़ती है। इस तरह आपका कौशल दिन-ब-दिन बढ़ता है।
य्वेन वेई चेन का प्रदर्शन और मेहनत पर उसकी मां को गर्व है। उनके ख्याल से वूशू ने न सिर्फ़ अपने बेटे के शरीर का मजबूत किया है, बल्कि उसकी मानसिक दृढ़ता भी अच्छी हुई है। उन्होंने कहा, पहली बार उसने वूशू का अभ्यास किया, तो उसे यह पसंद आया। इसलिये उसने कहा कि चाहे यह कितना भी मुश्किल क्यों न हो, मैं सीखता रहूंगा। हालांकि उस वक्त मुझे उससे ज्यादा उम्मीद नहीं थी। मैं कहा कि अगर शौक है तो खेल, मुश्किल हो तो छोड़ सकता है। उस पर खेलने का कोई दबाव नहीं था। लेकिन वूशू खेलते खेलते हुए दो साल बीत चुके हैं। मैंने देखा कि मेरे बेटे को सचमुच वूशू में बड़ा शौक है। वरना वह इतने समय तक टिक नहीं सकता। खासतौर पर सर्दी के मौसम में चाहे बाहर कितनी भी बर्फ पड़ी हो, वह अभ्यास के लिए ज़रूर जाता है।
वर्तमान में पोलैंड में य्वेन वेई चेन जैसे वूशू को पसंद करने वाले बच्चों की संख्या कम नहीं है। प्रशिक्षक हो शी चिन के क्लब में दस से ज्यादा बच्चे वूशू सीख रहे हैं। और इस तरह के क्लब पोलैंड में सौ से ज्यादा हैं। साथ ही पोलैंड के वूशू जगत के व्यक्ति भी वूशू को प्राइमरी व मिडिल स्कूलों की खेल शिक्षा में शामिल करने की कोशिश कर रहे हैं।
पोलैंड में स्थित चीनी परंपरागत वूशू व संस्कृति संघ के अध्यक्ष पिओटर ओसुच ने कहा, पोलैंड के कई परिजनों को आशा है कि उनके बच्चे चार या पाँच वर्ष की उम्र में खेलकूद शुरू कर सकते हैं। पहले यह स्थिति असंभव थी। लेकिन हाल के कई वर्षों में ज्यादा से ज्यादा माता-पिता यह चाहते हैं कि उनके बच्चे बचपन से ही वूशू खेलें। यह वूशू को पोलैंड के प्राइमरी व मिडिल स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था में शामिल करने के लिए अच्छा है।
ज्यादा बच्चों के वूशू सीखने की वजह से य्वेन वेई चेन के कई दोस्त बन गए हैं। साथ ही अधिक वूशू खेलने वालों के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा से उसका कौशल भी लगातार बढ़ेगा। उसने संवाददाता से कहा कि वह जानता है कि हाल ही में वूशू को ओलंपिक में शामिल करने के आवेदन की कोशिश हो रही है। और उसका बडा सपना एक दिन ओलंपिक के मंच पर दिखना है। उसने कहा, अगर मौका मिला, तो मैं ओलंपिक में भाग हिस्सा लेना चाहूंगा। इसलिये मैं हमेशा कोशिश करके अभ्यास कर रहा हूं। आशा है किसी न किसी दिन मैं ओलंपिक के मंच पर खड़ा हो सकता हूं। अगर ऐसा अवसर नहीं भी मिला तो, मैं एक वूशू प्रशिक्षक बनना चाहता हूं, और ज्यादा बच्चों को प्रशिक्षण दे सकता हूं। शायद उन्हें ओलंपिक में भाग लेने का मौका मिल सके, और वे चैंपियन बन सकेंगे।
चंद्रिमा