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रूस और जापान के बीच होगा शांति समझौता
2013-04-30 18:33:33

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 29 अप्रैल को क्रेंलिन में जापानी प्रधानमंत्री शिंजो अबे से मुलाकात की। दोनों ने शांति समझौते पर हस्ताक्षर संबंधी कार्य शुरू करने की घोषणा की। साथ ही दोनों ने कई समझौतों पर हस्ताक्षर भी किए, जो द्विपक्षीय आर्थिक व व्यापारिक सहयोग, क्षेत्रीय सहयोग, संस्कृति, चिकित्सा और खेल आदि से संबंधित हैं।

मुलाकात के दौरान पुतिन ने इन वर्षों में रूस-जापान संबंधों के विकास, खासकर आर्थिक व व्यापारिक संबंधों का सक्रिय मूल्यांकन किया। उन्होंने यह भी कहा कि रूप और जापान को द्विपक्षीय व्यापार और बढ़ाने की ज़रूरत है। अबे ने कहा कि पुतिन ने रूस का अच्छा प्रशासन किया, उनके नेतृत्व में रूस लगातार ताकतवर हो रहा है। जापान और रूस के बीच सहयोग से न सिर्फ दोनों देशों को, बल्कि क्षेत्रीय शांति व स्थिरता को भी लाभ मिलेगा।

उल्लेखनीय है कि शिंजो अबे ने क्रेंलिन के पास स्थित एक शहीद कब्रिस्तान का दौरा भी किया। इस कब्रिस्तान द्वितीय विश्व युद्ध में सोवियत लाल सेना के शहीदों के लिए बनाया गया है। इससे पहले शिंजो अबे ने जापान में यासुकुनी जिनज्या का दौरा भी किया था। इसलिए माना जा रहा है कि मॉस्को में शिंजो अबे का यह कदम रूस को खुश करने के लिए है।

मुलाकात के बाद दोनों ने द्विपक्षीय संबंधों और मुख्य अंतर्राष्ट्रीय व क्षेत्रीय मामलों पर दोनों के रुख के बारे में संयुक्त बयान जारी किया। बयान में दोनों ने शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने की बात भी कही। दोनों का मानना है कि द्वितीय विश्व युद्ध खत्म होने के बाद 67 सालों में दोनों पक्षों ने किसी भी शांति समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किए, यह एक असाधारण बात है। द्विपक्षीय संबंधों के विकास के लिए दोनों ने मौजूदा समझौतों के आधार पर समझौते संबंधी वार्ता आगे बढ़ाने पर सहमति हासिल की।

इलके अलावा दोनों ने कोरिया प्रायद्वीप मामले, सीरिया मुद्दे समेत कई अंतर्राष्ट्रीय मामलों पर चर्चा कर सहमति भी हासिल की। दोनों ने ज़ोर देते हुए कहा कि राजनीतिक व राजनयिक तरीके से कोरिया प्रायद्वीप में स्थिति स्थिर बनाई जानी चाहिए। लेकिन पुतिन ने दोनों देशों के बीच प्रादेशिक विवाद के बारे में कुछ भी नहीं कहा।

रूसी मीडिया ने पुतिन और शिंजो अबे की मुलाकात को विशेष महत्व दिया है। उनका मानना है कि इस मुलाकात से दोनों देशों के संबंधों के विकास, खासकर आर्थिक व व्यापारिक सहयोग पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। लेकिन शिंजो अबे की इस मुलाकात से प्रादेशिक विवाद का समाधान करने की इच्छा पूरी नहीं हो सकी।

रूसी मीडिया का कहना है कि द्विपक्षीय संबंध को सामान्य करने के लिए प्रादेशिक विवाद को दूर रखा गया है। समाचार रूस वेबसाइट ने कहा कि शिंजो अबे ने शहीद कब्रिस्तान की यात्रा और पुतिन की प्रशंसा की, यह एक चीनी लेपित गोला लगता है, शिंजो अबे का मकसद शायद पुतिन से कुछ द्वीप मांगना है। लेकिन पुतिन इस गोले से बच गए। युवा प्रावदा समाचार पत्र ने कहा कि रूस और जापान के बीच शांति समझौते पर हस्ताक्षर करना एक अच्छी बात है, लेकिन देश की प्रादेशिक अखंडता ज्यादा अहम है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद कुरिल द्वीप पर रूस की संप्रभुता निर्विवाद है। अगर शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने की शर्त रूस को कुरिल द्वीप छोड़ना है, तो हस्ताक्षर करने की ज़रूरत नहीं है।

शिंजो अबे आर्थिक सहयोग के ज़रिए प्रादेशिक विवाद का समाधान करना चाहते हैं, लेकिन रूस के सार्वजनिक मानना से देखे जाए यह असंभव होगा। क्योंकि रूस जापान के साथ प्रादेशिक विवाद नहीं मानता है। रूस का रुख यह है कि वह खुद कुरिल द्वीप का विकास करेगा, यह जापान को इसमें शामिल कर एक साथ करेगा।

(दिनेश)

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