चीनी राष्ट्राध्यक्ष शी चिनफिंग ने 7 अप्रैल को उद्घाटित वर्ष 2013 बोआओ एशिया मंच के वार्षिक सम्मेलन में भाषण दिया, जिस पर भारतीय विशेषज्ञों का व्यापक ध्यान केंद्रित हुआ और सकारात्मक टिप्पणी भी दी।
इंडो-एशियाई न्यूज़ एजेंसी के प्रमुख तरूण बसु ने इंटरव्यू देते हुए कहा कि राष्ट्राध्यक्ष शी के भाषण में चीन की शांतिपूर्ण विकास की नीति पर फिर से बल दिया गया है। चीन प्रभुत्व का पिछा नहीं करेगा। इसके साथ साथ राष्ट्राध्यक्ष शी ने इस पर भी ज़ोर दिया कि चीन एशियाई देशों से आर्थिक सहयोग को मज़बूत करना जारी रखेगा, ताकि चीन और विश्व के दूसरे क्षेत्रों के समान विकास को बढ़ावा मिल सके। इसके अलावा चीन अपने आर्थिक ढांचे में सुधार लाएगा, ताकि चीन दूसरे देशों में आई आर्थिक मंदी से बच सकें।
भारतीय प्रतिष्ठित रणनीतिक विश्लेषक उदय पास्कल के अनुसार राष्ट्राध्यक्ष शी के भाषण में एशिया व विश्व की समृद्धि को बढ़ावा देने, शांति व स्थिरता की सुरक्षा करने और क्षेत्रीय सहयोग बढ़ाने का आहवान दिया गया है। यह भावना भारत और चीन के मैत्रीपूर्ण सहयोग के विषय से मेल खाती है। इस भावना को अमल में लाने से चीन और दुनिया पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। (लिली)