चीनी राष्ट्राध्यक्ष शी चिन फिंग ने 27 मार्च को दक्षिण अफ्रिका के डर्बन में भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात की।
शी चिन फिंग ने कहा कि चीन और भारत दुनिया में दो सबसे बड़े विकासशील देश हैं। आर्थिक विकास को आगे बढाना दोनों देशों का समान ऐतिहासिक कर्तव्य है। दुनिया में चीन और भारत के समान विकास के लिए पर्याप्त गुजाइश है और दुनिया को दोनों देशों के समान विकास की जरूरत है। वर्तमान में दोनों देश महत्वपूर्ण रणनीतिक दौर से गुजर रहे हैं और चीन-भारत संबंधों के विकास की व्यापक संभावनाएं हैं।
शी चिन फिंग ने बल देकर कहा कि चीन भारत के साथ संबंध को अपने सब से प्रमुख द्विपक्षीय संबंधों में एक मानता है और भारत के साथ रणनीतिक साझेदारी को आगे बढाने का प्रयास कर रहा है। दोनों देशों को उच्च स्तरीय आवाजाही और संपर्क बनाये रखना चाहिए, सभी स्तरों पर राजनीतिक वार्ता और बातचीत का अच्छा उपयोग करना चाहिए , रणनीतिक एवं राजनीतिक विचार-विमर्श को मजबूत करना चाहिये, सैन्य आदान-प्रदान बढाने के साथ-साथ रक्षा एवं सुरक्षा के क्षेत्र में परस्पर विश्वास को मजूबत करना चाहिए।
सीमा मुद्दे पर शी चिन फिंग ने कहा कि चीन और भारत को सीमा मुद्दे संबंधी द्विपक्षीय विशेष प्रतिनिधि तंत्र का विकास और उपयोग अच्छी तरह से करना चाहिये और समस्या का निष्पक्ष, उचित और परस्पर स्वीकार्य समाधान ढूंढने में यथाशीघ्र सफलता प्राप्त करने की कोशिश करनी चाहिए।
मनमोहन सिंह ने कहा कि भारत को आशा है कि दोनों देशों के बीच उच्च स्तरीय आवाजाही और संपर्क बने रहेंगे। दोनों देश एक दूसरे से कंद्रीय हितों और प्रमुख चिंताओं का समादर करेंगे, आपसी रणनीतिक विश्वास को गहरा करेंगे, अंतर्राष्ट्रीय मामलों में समंवयन और सहयोग बढाएंगे। भारत दुनिया के सामने यह साबित करने के लिए चीन के साथ समान प्रयास करने को तैयार है कि भारत और चीन एक दूसरे के अच्छे सहयोगी हैं, न कि प्रतिद्वंद्वी हैं।
मनमोहन सिंह ने आगे कहा कि दोनों देशों के बीच सीमा क्षेत्रों की शांति और स्थिरता की रक्षा करने के लिये भारत लगातार प्रयास करता है। भारत के विचार में तिब्बत चीन का अभिन्न अंग है। भारत सरकार तिब्बतियों को भारत में चीन के विरुद्ध राजनीतिक गतिविधि चलाने की अनुमति नहीं देती।
(हैया)