चीनी राष्ट्राध्यक्ष बनने के बाद अपनी पहली विदेश यात्रा के दौरान शी चिनफिंग ने 25 मार्च को तांजानिया में《हमेशा विश्वसनीय दोस्त और सदिच्छापूर्ण साझेदार बने》शीर्षक भाषण दिया। उन्होंने चीन और अफ्रीका के बीच मैत्री के दीर्घकालिक विकास के दौरान प्राप्त अनुभवों का सारांश करते हुए कहा कि चीन और अफ्रीका के मध्य समान ऐतिहासिक अनुभव होता है, इसके साथ ही दोनों के विकास और रणनीतिक हित भी मिलते जुलते हैं। नई परिस्थिति में चीन अफ्रीका के साथ संबंधों के विकास पर जोर देगा।
"हबारी। हबारी। आज तंजानिया के नियरेर अंतरारष्ट्रीय सम्मेलन केंद्र में आप सभी लोगों से मिलकर मुझे बेहद खुशी हुई।"
स्थानीय समयानुसार 25 मार्च की सुबह शी चिनफिंग ने नियरेर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन केंद्र में स्वाहिली भाषा से विभिन्न जगत के व्यक्तियों को हबारी यानी नमस्कार कह रहे हैं। इसके बाद उन्होंने अपना भाषण दिया। हालांकि यह चीनी राष्ट्राध्यक्ष बनने के बाद शी चिनफिंग की पहली अफ्रीकी यात्रा है, लेकिन यह उनकी खुद की छठी अफ्रीका यात्रा भी है। अपने भाषण के शुरूआत में शी चिनफिंग ने कहा कि हर बार की अफ्रीका यात्रा से उन्हें गहरी यादें जुडीं है। उन्हें लगा कि अफ्रीका का विकास बहुत तेज़ी से है और चीन अफ्रीकी मैत्री बहुत घनिष्ठ है।
आधी शताब्दी में चीन अफ्रीकी मैत्री का सिंहावलोकन करते हुए शी चिनफिंग ने बल देते हुए कहा कि चीन और अफ्रीका के संबंध इतना घनिष्ठ होने का मुख्य कारण है कि दोनों पक्ष मुश्किलों में एक दूसरे का समर्थन और सहायता देते हैं। सदिच्छापूर्ण मैत्री, पारस्परिक सम्मान, समानता व आपसी लाभ और समान विकास चीन अफ्रीका संबंध की मूल विशेषता है। शी चिनफिंग ने कहा:
"चीन और अफ्रीका के पास समान भाग्य, समान ऐतिहासिक अनुभव, समान विकास लक्ष्य और समान रणनीतिक हित होते हैं। हम अपने विचारों को जबरन दूसरे तक नहीं पहुंचाते। दूसरों के मूल हितों से संबंधित सवालों को लेकर हमारा रूख हमेशा स्पष्ट है, और एक दूसरा का समर्थन भी करते हैं। हम दूर्गामी दृष्टि से चीन अफ्रीका संबंध के विकास के दौरान समानताएं खोजते हैं और बढ़ाते भी हैं।"
शी चिनफिंग ने कहा कि आज का अफ्रीका विश्व में आर्थिक वृद्धि की सबसे तेज़ गति वाले क्षेत्रों में से एक बन गया है। साथ ही चीन इस प्रकार की बहतरीन रूझान भी बरकरार रखता है। चीन अफ्रीका संबंध नई ऐतिहासिक शुरूआत पर खड़ा है। चीन अफ्रीका का सच्चा मित्र बनना चाहता है। इसमें चीन का विकास और अंतरारष्ट्रीय स्थान की उन्नति के कारण कोई बदलाव नहीं आएगा। चीन अपने और अफ्रीका के विकास पर अग्रसर हैं। चीन द्वारा दिए गए वचनों का अच्छी तरह कार्यान्वयन किया जाएगा। द्विपक्षीय सहयोग में पैदा होने वाले नए सवाल को लेकर चीन आपसी सम्मान, सहयोग और उभय जीत के सिद्धांत पर अच्छी तरह समाधान करने को तैयार है।
चीन और अफ्रीका के बीच वास्तविक सहयोग की चर्चा में शी चिनफिंग ने कहा:
"चीन अफ्रीका में पूंजी निवेश और सहयोग को लगातार बढ़ाएगा। तीन वर्षों के भीतर अफ्रीका को 20 अरब अमेरिकी डॉलर का ऋण देने वाले वचन का पालन करेगा। साथ ही अफ्रीकी देशों के साथ कृषि, निर्माण उद्योग में पारस्परिक सहयोग और सहयोग को मज़बूत करेगा। ताकि अफ्रीकी देशों में अनवरत विकास साकार हो सके। आने वाले तीन सालों में चीन अफ्रीकी देशों के लिए 30 हज़ार सुयोग्य व्यक्तियों को प्रशिक्षण देगा, और 18 हज़ार अफ्रीकी विद्यार्थियों को छात्रावृत्ति भी देगा। इसके अलावा चीन अफ्रीका को बिना किसी राजनीतिक शर्त के सहायता देता रहेगा।"
शी चिनफिंग ने अपने भाषण में यह भी कहा कि चीन को आशा है कि दूसरे अफ्रीकी देशों के साथ संबंधों का अच्छे से अच्छा विकास हो सकेगा। अफ्रीका अफ्रीकी जनता का अफ्रीका है। किसी भी देश को अफ्रीका के साथ संबंधों का विकास करने के दौरान उसकी प्रतिष्ठा और स्वाधीनता का सम्मान करना चाहिए। चीन के नए सर्वोच्च नेता के रूप में शी चिनफिंग चीन अफ्रीका संबंध के भविष्य पर विश्वस्त हैं। उन्होंने कहा:
"चाहे चीन का विकास कितना ही क्यों न हो, वह अफ्रीकी देशों को अपना सच्चा मित्र मानता है। चीन का विकास विश्व से अलग नहीं हो सकता और साथ ही अफ्रीका से भी अलग नहीं हो सकता। विश्व और अफ्रीका की समृद्धि और स्थिरता चीन की आवश्यकता भी है। चीन और अफ्रीका के बीच का फ़ासला दूर होने के बावजूद भी दोनों के दिल बहुत नज़दीक होते हैं।"