22 मार्च से चीनी राष्ट्राध्यक्ष शी चिनफिंग ने रूस, तंज़ानिया, दक्षिण अफ़्रीका और कोंगो गणराज्य की राजकीय यात्रा शुरू की, जिसके दौरान वह दक्षिण अफ़्रीका के दर्बन शहर में ब्रिक्स देशों (ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ़्रीका) के पांचवें शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। रुस की यात्रा राष्ट्राध्यक्ष शी चिनफिंग की पहली विदेश यात्रा का पहला पड़ाव माना जा रहा है। रूस के विभिन्न जगत शी चिनफिंग की इस यात्रा पर बहुत ध्यान दे रहें है।
रूस के उप विदेश मंत्री सर्गेई रयाब्कोव ने 21 मार्च कहा कि रूस इसे अहम मानता है कि राष्ट्राध्यक्ष शी चिनफिंग की पहली विदेश यात्रा का पहला पड़ाव रूस को चुना गया। रयाब्कोव के अनुसार शी की यात्रा द्विपक्षीय संबंधों का महत्वपूर्ण मामला है, जिसके लिये रूस ने काफ़ी समय से तैयारी की है। इधर के कुछ सालों में रूस और चीन के बीच विशेष रणनीतिक साझेदारी संबंध कायम रहे हैं। दोनों देशों को विभिन्न क्षेत्रों में बड़ी उपलब्धियां हासिल हुई हैं। उम्मीद है कि राष्ट्राध्यक्ष शि चिनफिंग की इस यात्रा से दोनों देशों के वर्तमान संबंध बरकरार रहेंगे और मज़बूत भी होंगे।
उसी दिन रुस की आवाज़ नामक वेबसाइट पर छपे लेख के अनुसार मॉस्को पेइचिंग के इस विचार पर राज़ी हुआ है कि दोनों देशों के संबंध इतिहास में बेहतरीन दौर से गुज़रे हैं। चीन रुस का सबसे बड़ा व्यापार सहयोगी है। दोनों देशों में एक दूसरे का निवेश बढ़ता जा रहा है। ऊर्जा के बारे में सहयोग बढ़ाने के लिये नयी शक्ति दिखती है। साथ ही क्षेत्रीय व सीमा क्षेत्र में दोनों देशों के सहयोग भी उभर रहे हैं। आशा है कि चीनी राष्ट्राध्यक्ष शी चिनफिंग की रूस यात्रा से रूस और चीन के संबंधों का नया पन्ना खोला जाएगा।(लिली)