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चीन में सेवा निवृत्ति के बाद खिलाड़ियों का रोजगार मामला
2013-03-20 18:28:43
मित्रों, सेवा निवृत्ति के बाद रोजगार नहीं मिलना खिलाड़ियों के सामने सबसे बड़ी समस्या है। आंकड़ों के अनुसार चीन में अब तक विभिन्न कारणों से सेवा निवृत्त होने वाले खिलाड़ियों की संख्या 3 लाख पहुंच चुकी है। हर वर्ष लगभग 3 हजार से ज्यादा खिलाड़ी सेवा निवृत्त हो रहे हैं। साथ ही तरह तरह के खेल स्कूलों में युवा खिलाड़ियों की संख्या अब लाखों तक पहुंच गयी है। सेवा निवृत्त होने के बाद उनके रोजगार का समाधान कैसे किया जाएगा?चीन की एनपीसी के प्रतिनिधि, क्वांगशी भारोत्तोलन विकास केंद्र के प्रशिक्षक थांग चिनबो ने इस मामले पर ज्यादा ध्यान दिया है। इस मामले पर हमारे संवाददाता ने खास तौर पर श्री थांग से साक्षात्कार किया।

थांग चिनबो क्वांगशी खेल ब्यूरो की पुरुष भारोत्तोलन टीम के प्रशिक्षक हैं। उन की लंबाई ऊंची नहीं है। और वे खेल पोशाक में हैं। इन्टरव्यू शुरू से ही उन्होंने सीधे से अपनी ध्यानाकर्षक बात की चर्चा की।

उन्होंने कहा, मैं खिलाड़ियों की सांस्कृतिक शिक्षा पर ज्यादा ध्यान देता हूं। क्योंकि सेवा निवृत्त होने के बाद उन्हें रोजगार की समस्या से जूझना पड़ेगा। सांस्कृतिक शिक्षा पाने की सबसे अच्छी आयु में वे खेल प्रशिक्षण करने के कारण अच्छी तरह से पढ़ाई नहीं कर पाते। इसलिये ज्ञान-विज्ञान के अभाव में बहुत खिलाड़ियों को सेवा निवृत्ति के बाद अन्य रोजगार ढ़ूंढ़ने में बहुत मुश्किलें होती हैं।

श्री थांग इसलिये खिलाड़ियों के रोजगार मामले पर ध्यान देते हैं, क्योंकि यह उनके अपने अनुभव से अलग नहीं है। 13 वर्ष की उम्र में थांग चिनबो ने भारोत्तोलन का अभ्यास शुरू किया था। 23 वर्ष की उम्र में चोट लगने के कारण वे जल्द ही सेवा निवृत्त हो गए। उसी समय वे भ्रम में फंस गये।

उन्होंने कहा, सेवा निवृत्ति के बाद मेरे सामने यह समस्या भी मौजूद थी। मैं क्या करूंगा?मैं विश्वविद्यालय में पढ़ना चाहता था, लेकिन दाखिला लेने के लिये परीक्षा कैसे पास करूंगा?भारोत्तोलन में इतने वर्ष बीत चुके हैं। मुझे सिर्फ भारोत्तोलन ही आता है। अगर मैं चैंपियन नहीं बना, तो मैं नई पीढ़ी को प्रशिक्षण देकर चैंपियन बनाऊंगा। जिससे मेरा स्वप्न भी पूरा होगा। इसलिये मैं भारोत्तोलन का प्रशिक्षक बन गया।

अभी तक थांग चिनबो 28 वर्षों से प्रशिक्षक का काम संभाल रहे हैं। इस दौरान उनके प्रशिक्षण में एक ओलंपिक चैंपियन, तीन ओलंपिक उप-विजेता, और सात विश्व चैंपियन बने। लेकिन सिर्फ कुछ खिलाड़ी ही चैंपियन बन सकते हैं, बाकी लोगों को सेवा निवृत्त होना पड़ा। उनके प्रति खेल टीम में प्राप्त ज्ञान रोजगार के लिये उपयोगी और काफ़ी नहीं है। इसलिये थांग चिनबो ने यह सुझाव दिया है कि खेल टीमों में प्रशिक्षण करने के साथ साथ खिलाड़ियों को और एक तकनीक सिखाना चाहिये। ताकि सेवा निवृत्ति के बाद आसानी से उन्हें रोजगार मिल सके।

उन्होंने कहा, हमारी खेल टीम में साधारण सांस्कृतिक शिक्षा सभी होती है। उदाहरण के लिये प्राइमरी स्कूल, मीडिल स्कूल, हाइ स्कूल, कॉलेज की शिक्षा हमारे पास होती है। लेकिन और कुछ विशेष तकनीकी शिक्षा भी होनी चाहिये। जैसेः रसोई का काम, गाड़ी की मरम्मत का काम इत्यादि। हम कुछ ऐसे अध्यापकों के माध्यम से खिलाड़ियों को विशेष तकनीक सिखा सकते हैं।

इसके अलावा थांग चिनबो ने खिलाड़ियों को दृढ़ता के साथ नये धन्धे खोलने को प्रोत्साहन भी दिया। उन्होंने एक उदाहरण देकर कहा कि उनके पास एक खिलाड़ी दंपति हैं, जिन्होंने अपने हाथों से नान निंग में भारोत्तोलन दंपति नाम का एक रेस्टरांट खोला है। अब वे इस क्षेत्र में बहुत अच्छा कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, तीन वर्षों में ही उन्होंने गाड़ी खरीद ली, और रेस्त्रां की तीन शाखाएं भी खोलीं। उन्होंने धीरे धीरे कोशिश करके यह सफलता प्राप्त की है। काम करने में वे अनुभव इकट्ठा करने पर ध्यान देते हैं। नये धन्धे खोलने पर उन्होंने खेल टीम में अच्छी भूमिका निभाई है।

चंद्रिमा

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