14 और 15 मार्च को शी चिन फिंग और ली ख छांग क्रमश:चीन के नए राष्ट्राध्यक्ष और प्रधानमंत्री निर्वाचित हुए। विश्व के प्रमुख मीडिया ने इस पर बड़ा ध्यान दिया और इस की रिपोर्ट दी। उन के विचार में चीन के नए राज नेताओं के सामने अर्थतंत्र की तेज वृद्धि को बनाए रखने, शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच अंतर को कम करने आदि चुनौतियां मौजूद हैं।
अमरीकी अखबार न्यूयार्क टाइम्स पर 15 तारीख को छपे एक लेख में कहा गया है कि शी चिन फिंग ने अपनी छवि को और अधिक सुशील, मिलनसार और स्नेहपूर्ण पेश किया है और उम्मीद प्रकट की है कि सरकार और अधिक स्वच्छ व कारगर होगी और आम लोगों के और करीब आएगी। इस लेख में यह भी कहा गया है कि बीते दिनों में श्री शी चिन फिंग ने एनपीसी के प्रतिनिधियों के साथ मुकाबला में कई बार घोषित किया कि उपभोक्ता को प्रेरित करने, शहरों और कस्बों में किसानों के प्रवेश संबंधी नियमों में नरमी लाने के जरिए आर्थिक वृद्घि की धीमी गीत से निपटाया जाएगा।
अमरीकी वाल स्ट्रीट अखबार पर छपे लेख में कहा गया है कि श्री ली ख छांग श्री वन चा पाओ का स्थान लेकर चीन के अर्थतंत्र और घरेलू मामलों के प्रमुख प्रबंधक बन गए हैं। वे वर्ष 1949 के बाद पश्चिमी देशों में कानून और राजनीतिक विचारधारा सीखने वाले पहले खेप के विद्यर्थियों में से एक हैं।
बी.बी.सी के अनुसार इस साल 57 वर्षीय ली ख छांग अपने पूर्ववर्ती की जनता से घनिष्ठ संबंध रखने वाली छवि का अनुसरण करेंगे। उन के लिए फौरी सवाल यही है कि चीन की आर्थिक वृद्धि को बदलने में गति दी जाएगी, अर्थतंत्र की तेज वृद्धि को बनाए रखेगा, शहरों और गावों के बीच आय के अंतर को कम किया जाएगा। लेकिन चुनौतियां यहीं तक सीमित होना दूर की बात है।
रायटर की रिपोर्ट के अनुसार श्री शी चिन फिंग चीन के सर्वोच्च नेता हैं और चीनी प्रधानमंत्री ली ख छांग सरकार की नीति लागू करने और अर्थतंत्र पर निगरानी और प्रबंधन करने का काम करेंगे। विश्व की दूसरी बड़ी आर्थिक ताकत के प्रधानमंत्री के रूप में ली ख छांग गरीबों व अमीरों के बीच अन्तर और जमीन जायदाद के बाजार के बुदबुदा आदि सवालों का मुकाबला करेंगे और उपभोग को बढाने से आर्थिक वृद्धि बनाए रखने के प्रति कटीबध रहेंगे।
(वनिता)