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छोटा नगर चाओ श्येन
2013-03-02 19:15:49

चाओ श्येन नगर उत्तरी चीन के हपे प्रांत के मध्य-दक्षिण में स्थित है और उस का इतिहास कोई दो हजार पांच सौ वर्ष पुराना है। इस छोटे नगर की दो मशहूर धरोहरें आज तक अच्छी तरह सुरक्षित हैं। इन में से एक है एक हजार चार सौ वर्ष पुराना चाओ चओ पुल और दूसरी है हजार वर्ष पुराना पो लिन मठ। चाओ चओ पुल चाओ श्येन के दक्षिणी भाग में है। हालांकि वह हजार वर्ष से भी अधिक पुराना है, पर हू-ब-हू संरक्षित है और विश्व का सब से पुराना गोलाकार पत्थर पुल माना जाता है। चाओ चओ पुल पत्थरों से निर्मित है, इसलिए स्थानीय लोग इसे बड़ा पत्थर पुल भी कहते हैं।

देखने में वह एक छेद वाला पत्थर पुल जान पड़ता है, पर गौर से देखने पर आम पुलों से अलग लगता है। छेद से पुल के ऊपर तक पत्थर बिछाने के बजाय दोनों तरफ दो बराबर गोलाकार ढांचे बनाये गये हैं । इस अनोखे डिजाइन से पुल के निर्माण में बड़ी तादाद में पत्थरों की किफायत ही नहीं की गयी, पुल का भार लगभग पांच सौ टन कम किया जा सका और साथ ही बाढ़ के पुल को नुकसान पहुंचाने की शक्ति को कमजोर बना कर पुल की सुरक्षा सुनिश्चित की गयी। अतीत के कोई एक हजार चार सौ वर्षों में चाओ चओ पुल ने दस बार भयंकर बाढ़, आठ बार युद्ध और अनेक बार भूकम्पों का सामना किया, पर इस के बावजूद वह आज तक अच्छी तरह सुरक्षित रहा, जो सच में कमाल की एक बात है। उसका डिजाइन भी आज तक विश्व के पुलों के इतिहास में अपना विशेष स्थान बनाये रखे है। यूरोप में इस प्रकार के गोलाकार पुलों का निर्माण 18 वीं शताब्दी में शुरू हुआ। ऐतिहासिक ग्रंथों के अनुसार चाओ चओ पुल का निर्माण चीन के प्रसिद्ध प्राचीन नक्काश ली छुन ने दूसरे अनुभवी नक्काशों का नेतृत्व कर किया। बहुत से लोग मानते हैं कि इतने आश्चर्यजनक टिकाऊ पुल को मानव शक्ति बनाने में असमर्थ रही होगी। इसलिए स्थानीय लोगों की मान्यता है कि इस पुल के निर्माता चीन की भवन निर्माण कला के संस्थापक लू पान रहे होंगे। हमारी गाइड ऊ फिंग श्या ने बताया कि इस किम्वदंती के अनुसार असाधारण पुल निर्माता लू पान ने केवल एक रात में इस पुल का निर्माण पूरा किया, पर स्वर्ग के देवता को इस खबर पर विश्वास नहीं हुआ, इसलिए वे इस पुल की जांच के लिए धरती पर आये। उन में से काष्ठ देवता इस पुल पर अपना एकपहिया रथ ढकेलते समय असावधानीवश गिर पड़े।

यह उस रथ के पहिये की लकीर है। कहा जाता है कि काष्ठ देवता के रथ पर पांच बड़े पर्वत रखे थे। यह लकीर पुल पार करते समय एकपहिये रथ ने छोड़ी। और देखिए, यह गोलाकार गड्ढा काष्ठ देवता के घुटने की छाप है। काष्ठ देवता के एकपहिया रथ पर पांच बड़े पर्वत थे और उसे ढकेलना बहुत कठिन था, इसीलिए पुल पार करते समय वे पांव फिसलने के कारण गिर पड़े और उनके घुटने की छाप बड़े गड्ढे के रूप में पुल पर पड़ी। पुल पर हमें सचमुच इस किम्वदंती में प्रचलित एकपहिया रथ की लकीर और घुटने की छाप दिखाई दी, पर हमें मालूम है कि इन का किसी देवता से कोई वास्ता नहीं है। गाय चराना नामक एक चीनी लोकगीत में भी इस कहानी की चर्चा हुई है।

गीत के बोल हैं, चाओ चओ पुल लू पान दादा ने बनाया, संगमरमर की बाड़ आचार्य ने खड़ी की, देवता चांग क्वो लौ के कंधे पर सवार होकर पुल के पार गये और काष्ठ देवता के एकपहिया रथ ने पुल पर एक लकीर छोड़ी।

चाओ चओ पुल पर रथ की लकीर देखने के साथ आप इस पुल के संगमरमर की बाड़ पर खुदी विभिन्न प्रकार की नक्काशी का आनन्द उठा सकते है। यहां विभिन्न प्रकार के कल्पित जल-जंतुओं की तस्वीरें इतने सजीव रूप में चित्रित की गयी हैं कि देखते ही बनती हैं। पहली बार यहां पहुंचने वाले चाओ क्वांग के पर्यटक चाओ चओ पुल पर एकदम मोहित हो गये । उन्हों ने कहा

मुझे लगता है कि चाओ चओ पुल बहुत ही बढ़िया है। यह चीनी राष्ट्र के प्राचीन इतिहास का द्योतक है और चीनी राष्ट्र की चतुरता व बुद्धिमत्ता का सार भी। यह वाकई एक करिश्मा है कि एक हजार चार सौ साल पहले इतने वैज्ञानिक ढंग से यह शानदार पुल बना और पुल की बाड़ पर तराशी गयी जानवरों व मानवों की आकृतियां भी जीती-जागती लगती हैं।

अच्छा श्रोताओ, चाओ चओ पुल से अब हम चलें प्राचीन पोलिन साधना मठ देखने। यह प्राचीन मठ इस पुल से बहुत दूर नहीं है पर इस का इतिहास चाओचओ पुल से भी पुराना है। यह एक हजार सात सौ साल पुराना मठ चीन के प्राचीनतम मठों में गिना जाता है। इस प्राचीन मठ के छोटे-बडे भवनों में बुद्ध की मूर्तियां रखी हैं, प्रागण में खड़े छायादार वृक्ष आकाश से बातें करते हैं और धूपबत्तियों का धुआं चारों तरफ छाया रहता है। इसके दर्शन के लिए बहुत से पर्यटक आते हैं। पर्यटक सुश्री चांग रूंग ने बताया कि उन्हें यह प्राचीन मठ बहुत अच्छा लगता है।

मैं दूसरी बार यहां आयी हूं । मेरे विचार में यह मठ शुद्ध बौद्ध धार्मिक संस्कृति से युक्त है। यहां विभिन्न अनुयायी आने-जाने को स्वतंत्र ही नही हैं, उन्हें पूजा की भी बड़ी सुविधा हासिल है।

बहुत से पर्यटक इस मठ में इसका भवन निर्माण देखने या पूजा करने के लिए ही नहीं आते, बल्कि सुबह इसके पहले घंटे की आवाज में आचार्य द्वारा जपे जाने वाले सूत्र भी सुनना चाहते हैं। साधना चीनी बौद्ध धर्म की शाखाओं में से एक है। यह मुख्य तौर पर साधना के जरिए अपने आप को शुद्ध करने का एक तरीका है। पोलिन मठ का चीनी बौद्ध धर्म की साधना शाखा के इतिहास में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। चीन के कई सुप्रसिद्ध आचार्य इस मठ में रहे और यहां अनुयाइयों के लिए सूत्रों की व्याख्या करते रहे। अब चिंग ह्वा नामक आचार्य ने इस मठ में सूत्रों के अध्ययन के आधार पर जीवन सूत्र पेश किया है। इस जीवन सूत्र का अर्थ है बौद्ध धर्म की केंद्रीय भावना व बुद्धि का वास्तविक जीवन के साथ आत्मसात कर आधुनिक मानव जीवन में उत्पन्न विभिन्न प्रकार के भ्रमों व मनोबाधाओं को दूर किया जा सकता है। 1993 से इस मठ में आयोजित होने वाले सात दिवसीय वार्षिक जीवन सूत्र ग्रीष्म शिविर में 250 व्यक्तियों को प्रशिक्षण दिया जाता है। इस दौरान यहां उन के लिए साधना, सूत्र जाप और वार्ता जैसे दिलचस्प धार्मिक आयोजन होते हैं। आज तक इसी प्रकार का वार्षिक जीवल सूत्र ग्रीष्म शिविर आयोजित किया जाता है और कोई भी पर्यटक अपनी इच्छा के अनुसार नाम दर्ज कर उस में भाग ले सकता है ।

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