आज हम आप को दक्षिण पूर्वी चीन के च्यांगशी प्रांत स्थित मिंगय्वे पर्वत के दौरे पर ले चलते हैं । इस हरे भरे पर्वत के घने आदिम जंगल और स्वच्छ पानी बहुत चर्चित है , पर इस पर्वत का गर्म चश्मा पिछले कई सौ वर्षों में अपना विशेष स्थान बना रहा है ।
मिंगय्वे पर्वत दक्षिण पूर्वी चीन के च्यांगशी प्रांत के ईछुन शहर के उपनगर में स्थित है । यह पर्वत समुद्र सतह से हजार मीटर की ऊंचाई पर स्थित 12 गगनचुम्बी चोटियों से बना हुआ है । दूर से देखा जाये , उस की प्रमुख चोटी अर्धगोलाकार चंद्रमा जान पड़ती है , इसलिये स्थानीय निवासी उसे मिंगय्वेशान यानी चमकदार चंद्रमा पर्वत कहकर पुकारते हैं । इस पर्वतीय क्षेत्र में एक 130 वर्गकिलोमीटर विशाल राष्ट्रीय स्तरीय वन पार्क भी कम मनमोहक नहीं है ।
कोई भी पर्यटक जब मिंगय्वे पर्वत के दौरे पर आता है , तो वह अवश्य ही विशेष केबलकार पर सवार होकर पर्वत की चोटी पर पहुंचने में मजा लेता है । नीचे से ऊपर तक पहुंचने में कम से कम चालीस मिनट लगता है । और तो और आप केबलकार पर सवार होकर यदि चारों तरफ नजर दौड़ाए , तो आप को पता लगेगा कि चारों तरफ हल्का कोहरा चलता फिलता नजर आता है , मानो लोग किसी कल्पनीय परिवर्तनशील दुनिया में प्रविष्ट हो गये हो , नीचे गहरी पहाड़ी घाटियां और ऊपर हरी भरी ऊंची ऊंची चोटियां सब के सब हल्के कोहरे में धुंधली सी लगती हैं , इन अनौखे प्राकृतिक दृश्य ने पर्यटकों को एकदम रहस्य व शांति का आभास दे दिया है । जब केबलकार धीरे धीरे ऊपर पहुंच जाती है , तो ऊंचे हरे भरे मिंगय्वे पर्वत की खूबसूरत देखने को मिल सकती है ।
पर्यटक मिंगय्वे पर्वत की चोटी पर पहुंचने के बाद समुद्र सतह से हजार मीटर की ऊंचाई पर अनुपम प्राकृतिक सौंदर्य का मन भरकर आनन्द उठा लेते हैं , फिर पैदल से नीचे उतरने का विकल्प कर लेता है । क्योंकि पैदल से उतरते समय पर्यटक अपनी इच्छा से अजीबोगरीब सीधी चटानें , घने जंगल और शानदार झरने देख सकते हैं । विशेषकर यदि आप वसंत या गर्मियों में टेढ़े मेढे पहाड़ी रास्ते पर चले जाते हैं , तो आप को हल्की सी हवा के मुलायम झोके से तुरंत ही शीतल महसूस होती है , बेशुमार रंगबिरंगे जंगली फूल खिले हुए दिखाई देते हैं , झरनों का कलकल और चीड़ियों की चहक सुनाई देती है , प्रकृति के यह असाधारण कारनामा देखकर पर्यटकों का मन खुश हो उठता है ।
जब हम रास्ते में ऐसे रमणीय प्राकृतिक सौंदर्य का लुत्फ लेने में मस्त थे , तो पूर्वी चीन के शांनतुंग प्रांत से आयी पर्यटक सुश्री सथिंगथिंग से हमारी मुलाकात हुई । उस ने कहा कि उसे यहां का मनोहर प्राकृतिक सौंदर्य बहुत अच्छा लगता है ।
उस ने कहा कि वह पहली बार यहां आयी है , यहां का सुंदर प्राकृतिक दृश्य अत्यंत आकर्षित है । उसे बहुत आश्चर्य हुआ है कि उस ने इसी मिंगय्वे पर्वतीय क्षेत्र में जो जितने भी घने आदिम जंगल देखे हैं , उन सब के सब को जरा भी क्षति नहीं पहुंची , उन का संरक्षण बहुत प्रशंसनीय है । यहां पर कोई भी तथाकथिक सांस्कृतिक धूम भी नहीं है , बहुत स्वाभाविक और आरामदेह है ।
मिंगय्वे पर्वतीय क्षेत्र में और बहुत सी सुंदर प्राकृतिक पर्यटन क्षेत्र देखने लायक हैं । कुछ प्राकृतिक क्षेत्रों के पीछे प्रचलित किम्वदंतियां भी बेहद दिलचस्प हैं । जिन में बादलों में उड़ता झरना नामक चश्मा बहुत चर्चित है ।
इस झरने के ऊपर से नीचे तक का अंतर 110 मीटर है । झरने के नीचे से ऊपर देखा जाये , तीन चार चौड़ा झरना मानो सफेद ड्रेगन की तरह गरजते हुए ऊपर से तेजी से पहाड़ की तलहटी की ओर बहकर आगे निकल जाता है । स्वच्छ पानी सीधी चट्टानों से टकराते हुए बेशुमार चमकदार मोतियों की तरह चारों ओर छिड़कता है । कहा जाता है कि बहुत पहले इस मिंगय्वे पर्वत के पास जल व आग्नि नामक दो ड्रेगन रहते थे । जल ड्रेगन स्थानीय लोगों को तंग करने के लिये जानबूझकर जरूरत से ज्यादा पानी बरसाता था , जिस से बाढ़ व भूस्खलन अकसर पड़ जाता था , जबकि आग्नि ड्रेगन आग्नि लहरे बहाकर फसलों को बरबाद करता था , जिस से स्थानीय लोगों का जीवन बहुत दूभर था । एक दिन स्वर्ग देवता ने सुना कि इन दोनों ड्रेगनों ने इतने मनमाने ढ़ंग से लोगों को परेशान किया , तो उस ने उन दोनों क्रुर ड्रेगनों को नष्ट करने की ठान ली । दोनों पक्षों के बीच लगातार 81 दिन की भीषण लड़ाई हुई , अंत में स्वर्ग देवता ने उक्त दोनों क्रुर ड्रेगनों को काबू में पा लिया । देवता ने जल ड्रेगन को सजा देने के लिये बादल पर बंद कर दिया और उसे स्थानीय लोगों की जरूरत के अनुसार उचित मात्रा में पानी बरसने का आदेश दिया । धीरे धीरे इस पानी ने बादलों में उड़ते झरने का रूपधारण कर लिया । जहांतक उस आग्नि ड्रेगन का ताल्लुक है कि देवता ने उसे सजा देने के लिये बर्फ से जमीन के नीचे दबा दिया । पर बर्फ इस आग्नि ड्रेगन से धीरे धीरे पिघलकर बाहर निकलकर गर्म चश्मा बन गयी ।
यह गर्म चश्मा मिंगय्वे पर्वत की तलहटी में स्थित उन थांग कस्बे में है । गर्म चश्मा स्वास्थ्य केंद्र में कार्यरत कर्मचारी श्री ल्यू व्ई ने हमें परिचय देते हुए बताया कि यह गर्म चश्मा स्वास्थ्य को बनाये रखने में आसाधारण भूमिका निभाता है । इसलिये पिछले 800 वर्ष से स्थानीय निवासियों के बीच अपने स्वास्थ्य के लिये इसी गर्म चश्मे के पानी से नहाने की पुरानी परम्परा बनी रही है ।
श्री ल्यू व्ई ने कहा कि वन थांग का गर्म चश्मा जमीन के नीचे चार सौ मीटर की ज्वलंत चट्टानों की दरारों से निकल कर बाहर आता है , उस के पानी का तापमान साल भर में 68 से 72 सेल्सियल्स डिग्री बना हुआ है , उस का पानी बहुत स्वच्छ व पारदर्शी होता है और कोई गंध भी नहीं है , पानी में निहित खनिज पदार्थ लोगों के स्वास्थ्य बनाये रखने और कैंसर की रोकथाम के लिये अत्यंत फायदेमंद है ।
स्थानीय निवासियों के अनुसार वनथांग क्षेत्र में कैंसर रोगी बहुत कम देखने को मिलते है , स्थानीय निवासियों की औसत आयु दूसरे क्षेत्रों के लोगों से पांच से दस साल लम्बी है । अब पर्यटन कार्य के तेज विकास के चलते अधिकाधिक पर्यटक अपने स्वास्थ्य के लिये इस गर्म चश्मा के पानी से नहाने आते हैं ।
ईछुन क्षेत्र के निवासी न केवल इस गर्म चश्मा पर गर्व महसूस करते है , बल्कि मिंगय्वे पर्वत के प्राकृतिक सौंदर्य का उल्लेख करना भी कभी भी नहीं भूलते । जब हम ने यहां रहने वाली सुश्री च्यांग वन फूंग के साथ बातचीत शुरू की , तो उस ने बिना किसी संकोच के कह डाला
मुझे लगता है कि मिंगय्वे पर्तव बहुत सुंदर है , सब से सुंदर है , चाहे जवान हो या बूढे हो , हम उन सभा का हार्दिक स्वागत कर लेते हैं और उन्हें यहां का दिलकश प्राकृतिक दृश्य देखने में अवश्य ही बड़ा मजा आयेगा ।