हाल ही में बांग्लादेश की विपक्ष पार्टी जमात-ए-इस्लामी के नेता को आजीवन कारावास की सज़ा मिली। इस का विरोध करने के लिये देशभर में गतिविधियां आयोजित हो रही हैं, जिसमें 70 से ज्यादा लोग घायल भी हुए हैं। बी.बी.सी. की 17 फ़रवरी की रिपोर्ट के अनुसार इस विरोध की वजह से बांग्लादेश की संसद को विवश होकर कानून में संशोधन करना पड़ा, ताकि इस्लामी पार्टी के नेता को दी गयी आजीवन कारावास की सज़ा को लेकर दया याचिका दायर करने की अनुमति दी जाए।
संशोधन के नये प्रारूप के अनुसार सरकार व आम लोग अंतर्राष्ट्रीय फौजदारी अदालत में मुकदमे के फ़ैसले को लेकर याचिका दायर कर सकते हैं। साथ ही विशेष अदालत को किसी संगठन या पार्टी के युद्ध अपराध के खिलाफ मामला दर्ज करने का अधिकार भी दिया गया। अगर संबंधित पार्टी अपराध के दोषी पाए गए, तो वे राजनीति में भाग नहीं ले सकेंगे।
राजधानी में प्रदर्शनकारियों ने नए कानून का स्वागत किया है। लेकिन जमात- ए- इस्लामी ने कहा कि सरकार ने केवल इस्लामी पार्टी को नष्ट करने के लिये नया कानून पेश किया है।
चंद्रिमा