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गेहूं के खेत में फुटबाल स्टार
2013-02-17 18:20:05
श्रोता दोस्तो, पेइचिंग क्वोआन फुटबाल टीम को शायद सभी चीनी लोग जानते हैं। अगर यह टीम मैच खेलती है, तो मैदान पर बड़ी संख्या में फुटबाल प्रेमी आते हैं, और वे अपनी पसंदीदा टीम को समर्थन करते हैं। क्योंकि ये खेल प्रेमी फुटबाल सितारों के दीवाने होते हैं, इसलिए क्वोआन टीम के प्रसिद्ध खिलाड़ियों का इन पर बहुत प्रभाव है। और इस टीम के कई सितारों ने अपने समय व पैसे को समाज सेवा में लगाया।

इस लेख में हम एक ऐसे खिलाड़ी के बारे में चर्चा करेंगे, जो वर्ष 1999 से 2006 तक क्वोआन टीम के सदस्य थे। वे इस टीम के बड़े स्टार खिलाड़ी होने के साथ सछ्वान प्रांत में एक प्राइमरी स्कूल के लिए चंदा भी देते रहे हैं। साथ ही खाली वक्त में वे अक्सर मुफ्त में स्कूल के छात्रों को ट्रेनिंग देते हैं। उनका नाम है काओ लेले। एक सर्द शाम को हमारे संवाददाता को काओ लेले से मिले। वे एक साधारण स्पोर्ट्स ड्रेस पहने हुए थे, उन पर बड़े स्टार होने का कोई घमंड नहीं दिखता था। हमारे संवाददाता ने उनके साथ फुटबाल की चर्चा शुरू की।

संवाददाताः आपने फुटबाल खेलना कब शुरू किया?

काओ लेलेः लगभग पाँच साल की उम्र में। उस समय मेरे पिता जी मेरे कोच थे।

संवाददाताः और कब आप एक पेशेवर खिलाड़ी बने?

काओ लेलेः 16 वर्ष की उम्र में मैंने प्रोफेशनल टीम में प्रवेश किया। सबसे पहले मैं वू हान की याछी टीम में खेलता था। 1998 के अंत में मैंने क्वोआन टीम में खेलना शुरू किया।

संवाददाताः तो आपने पेशेवर टीम में कितने साल फुटबाल खेला?

काओ लेलेः मैंने चीन में कुल मिलाकर नौ सत्र खेले थे।

अपने जिन्दगी में सबसे अहम वक्त की चर्चा में काओ लेले ने वर्ष 1999 को याद किया। यह साल उनके लिए गोल्डन ईयर रहा। तभी से काओ लेले फुटबाल प्रेमियों की नज़र में एक फ़ोकस बन गये। इसकी चर्चा में उन्होंने कहा, वर्ष 1999 में पेइचिंग क्वोआन टीम में शामिल होने के बाद मैंने पहली प्रतियोगिता में भाग लिया। हमारी प्रतिद्वंद्वी शेनयांग की चिनडे टीम थी। एक स्थानापन्न खिलाड़ी के रूप से मैदान में जाने के 15 मिनट के बाद मैंने एक गोल किया। यह गोल हमेशा मेरे लिए बहुत खास रहा। क्योंकि यह मेरा पहला गोल था, जो मैंने चीन की सबसे उच्च स्तरीय प्रतियोगिता में किया था। उस समय मेरे पिता जी की मृत्यु हुए एक महीना बीता था, इस तरह यह मैने अपने डैड को समर्पित किया।

पेइचिंग क्वोआन टीम के अहम सदस्य बनने के बाद काओ लेले ऑस्ट्रेलिया, फिनलैंड व अमेरिका की पेशेवर टीमों के लिए भी खेले। उस दौर में यूरोपीय कनफ़ेडरेशन कप में हिस्सा लेने वाले पहले चीनी खिलाड़ी बने। विदेश में फुटबाल खेलने के अनुभव की चर्चा में काओ लेले ने कहा कि उस दौर में तीन पेशेवर लीगों में भाग लेने वाला मैं एकमात्र चीनी फुटबाल खिलाड़ी था। जब संवाददाता ने पूछा कि यूरोप व चीन में फुटबाल खेलने में क्या फ़र्क है?

काओ लेले ने जवाब दिया कि, यूरोप में फुटबाल खिलाड़ी व प्रतियोगिता अधिक पेशेवर होती हैं। फुटबाल तो फुटबाल है। लेकिन चीन में फुटबाल खेलने में बहुत सामाजिक संबंध भी शामिल हैं। इसलिये मेरे ख्याल से चीनी फुटबाल की राह में कई मुश्किलें हैं।

लंबे समय तक फुटबाल खेलने पर उन्होंने क्या पाया?इसकी चर्चा में काओ लेले ने कहा कि मेरा सबसे मूल्यवान् अनुभव है, हमेशा डटकर कोशिश करना। और इसी के चलते वे एक खिलाड़ी से समाजसेवी भी बने। और अब भी इस काम में लगे हुए हैं। उन्होंने कहा कि,पाँच वर्ष की आयु से मैंने फुटबाल की ट्रेनिंग शुरू की। सुबह से देर शाम तक फुटबाल के मैदान में ही मेरा समय बीतता था। तभी से मुझे मुसीबत में काम करने की आदत हो गयी। मुझे लगता है कि कोशिश करने पर ज़रूर सफलता मिलती है। पर अगर आपने कुछ भी नहीं किया, तो कुछ पाने की उम्मीद न करें।

जब संवाददाता ने उनसे पूछा कि अब आप समाज सेवा के काम में व्यस्त हैं। क्या आप इसके बारे में हमें कुछ बता सकते हैं। काओ लेले ने जवाब दिया, असल में यूरोप में फुटबाल खेलते वक्त ही मैंने समाज सेवा का काम शुरू कर दिया था। तब मैंने पहले प्राइमरी स्कूल की स्थापना की। वर्ष 2008 से अब तक यह स्कूल लगभग छह वर्ष का हो गया है। वह स्छ्वान प्रांत के एक गांव में स्थित है। क्योंकि तब चीनी फुटबाल के बारे ज्यादातर ख़बरें नकारात्मक होती थी, और समाज में फुटबाल खिलाड़ियों के प्रति अच्छा नज़रिया नहीं था। एक पेशेवर खिलाड़ी के रुप में मैं इस स्थिति को बदलने के लिये कुछ काम करना चाहता था। इसलिये मैंने गरीब बच्चों को मदद देने के लिये एक स्कूल की स्थापना की। हर साल मैं इस स्कूल का दौरा करता हूं। और इस बार मैंने आधे साल तक निःशुल्क ट्रेनिंग देने की योजना बनाई है। छह महीने में, मैं अच्छी तरह से बच्चों को जानने के साथ साथ गरीब क्षेत्रों में लोगों की दिनचर्या भी करीब से समझ सकता हूं। क्योंकि मैं उन्हें मदद देने के लिये ज्यादा अच्छा उपाय ढूंढ़ना चाहता हूं। मेरे ख्याल से केवल समाज में एकत्र हुआ कुछ चंदा व पूंजी काफ़ी नहीं होती है। पैसा शायद ज्यादा है, लेकिन लोग उनका अच्छा इस्तेमाल नहीं जानते, इसलिये अच्छा रिज़ल्ट नहीं मिलता। यह बात ज्यादा महत्वपूर्ण है।

संवाददाताः आपके आशावान् स्कूल में पढ़ रहे बच्चे कैसे हैं?

काओ लेलेः उनके परिवार मुख्य तौर पर बहुत गरीब हैं। वास्तव में पिछले तीन सालों में मैंने उनकी अलग-अलग तरीके से मदद की है। शुरू में मैंने उनके जीवन पर ज्यादा मदद दी, पर अब मैं उन्हें संसाधनों का इस्तेमाल करना सिखा रहा हूं। इसके अलावा मैं उन्हें एक दूसरे का सम्मान करने, एक दूसरे पर विश्वास कराना सिखा रहा हूं।

काओ लेले द्वारा स्छ्वान में स्थापित किए गए आशावान् स्कूल का नाम है गेहूं के खेत में नंबर 10 प्राइमली स्कूल। क्योंकि काओ लेले अपने आप को गेहूं के मैदान का रक्षक मानते हैं। और उन्हें आशा है कि ज्यादा से ज्यादा लोग उनके साथ समाज सेवा के कार्य में शामिल होंगे। वास्तव में काओ लेले का वेतन बहुत ज्यादा नहीं है। फ़िनलैंड व ऑस्ट्रेलिया में फुटबाल खेलते समय हर साल उनकी आय 3 लाख युआन थी। 12 मई को आए भूकंप के बाद उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में अपने देश के लिये 1 लाख 50 हजार युआन का चंदा दिया। और आशावान् स्कूल की स्थापना के लिये उन्होंने और 1 लाख से ज्यादा युआन खर्च किए। काओ लेले ने अपने लिये कोई महंगी गाड़ी नहीं खरीदी, लेकिन उन्होंने आशावान् स्कूल के बच्चों के लिये एक स्कूली बस ज़रूर खरीद ली। उन्हें आशा है कि हर बच्चे को स्कूल जाने के लिये लंबा सफर पैदल पूरा करने की ज़रूरत नहीं है। इस पर जब संवाददाता ने पूछा कि एक स्कूली बस की कीमत कितनी है?तो उन्होंने जवाब दिया कि 1 लाख 95 हजार 8 सौ युआन है।

संवाददाताः तो आपके ख्याल से यह महंगा है या सस्ता?

काओ लेलेः पूरे बाजार में यह दाम ज़रा महंगा है, लेकिन उस क्वालिटी बहुत अच्छी है।

संवाददाताः हालांकि स्कूली बस बच्चों के लिये बहुत उपयोगी है, लेकिन स्कूली बसों का इस्तेमाल करने वाले स्कूलों की संख्या बहुत नहीं है। आपने इसे क्यों खरीदा?

काओ लेलेः अमेरिका में लगभग सभी स्कूलों में बसे होती हैं। इसलिये मैंने उस स्तर के लिहाज से बस खरीदी। मैं इस स्कूल का प्रबंधन कर रहा हूं, तो अच्छी तरह से यह काम करना चाहता हूं। मैंने देखा कि बच्चे हर रोज रास्ते पर ट्रक में आते हैं, जो बहुत खतरनाक है। मैं यह स्थिति जल्द ही सुधारना चाहता था। अब स्कूली बस है, और दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि मैंने एक अच्छा और ज़िम्मेदार ड्राइवर का चयन किया। बच्चों को अच्छी तरह से देखभाल करने की दृष्टि से मैं सबसे उच्च मापदंड के आधार पर काम कर रहा हूं। जब तक मैं अपनी क्षमता से कर सकता हूं, तब तक मैं बच्चों के लिये अपनी पूरी कोशिश करूंगा।

साथ ही काओ लेले ने अन्य खेल सितारों व समाजसेवियों से सामाजिक कार्यों में भाग लेने की अपील की। उन्हें अकेले गेहूं के खेत का रक्षक बनना ठीक नहीं लगता। उन्होंने कहा कि आम लोगों की भलाई करना हमारा एक कर्तव्य है। हम प्रसिद्ध सितारे हैं, हमें पैसे कमाकर समाज के लिए कुछ खर्च करना चाहिए। मुझे आशा है कि अन्य लोग भी मेरी तरह इस सार्थक कार्य में हिस्सा लेंगे।

संवाददाता द्वारा काओ लेले का इन्टरव्यू लेने के बाद उसे लगा कि उनके दिल में बच्चों के प्रति गहरा स्नेह है। और उनके विचार भी बहुत स्पष्ट व मजबूत हैं। एक फुटबाल सितारे के रूप में वे सामाजिक काम में लगे हैं। यह चीन में बहुत ज्यादा नहीं है। काओ लेले ने चीनी फुटबाल में एक सकारात्मक ऊर्जा डाल दी है। और फुटबाल मैदान के बाहर भी हम उनका प्रकाश देख सकते हैं।

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