हाल के वर्षों में नवोदित देशों के तेज विकास पर लोगों का ध्यान केन्द्रित हुआ। लेकिन कुछ लोग चिंतित हैं कि इससे अन्तर्राष्ट्रीय व्यवस्था में बदलाव आएगा। 1 फरवरी को उद्घाटित म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों ने इसपर चर्चा की। नवोदित देशों के प्रतिनिधियों का मानना है कि अन्तरराष्ट्रीय व्यवस्था की स्थिरता बनाए रखने के साथ साथ इसे और उचित दिशा में विकसित कराना चाहिए।
म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन के दौरान 2 फरवरी को नवोदित देश और वैश्विक संचालन शीर्षक वार्ता आयोजित हुआ। चीन, भारत और ब्राज़ील आदि देशों के प्रतिनिधियों ने अपने विचार प्रकट किए। चीनी उप विदेश मंत्री सोंग थाओ ने कहा कि चीन समेत नवोदित देशों का विकास वर्तमान प्रचलित अन्तरराष्ट्रीय व्यवस्था के ढांचे में हो रहा है। अन्तरराष्ट्रीय व्यवस्था की स्थिरता बनाए रखना विभिन्न पक्षों के साझा हित में है। चीन का विचार है कि विश्व आर्थिक और वित्तीय व्यवस्था सुधारने के जरिए विकासशील देशों का प्रतिनिधित्व और बोलने का अधिकार बढ़ाना चाहिए। यह नवोदित आर्थिक शक्ति द्वारा वैश्विक मामलों में हिस्सा लेने, अन्तरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने और जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण प्रदूषण और खाद्य सुरक्षा आदि वैश्विक चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए लाभदायक है।
भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिव शंकर मेनन ने कहा कि नवोदित देशों को प्रचलित अन्तरराष्ट्रीय व्यवस्था से लाभ मिला है। इसलिए नवोदित देश पूरी तरह बदलाव नहीं करना चाहते। भूमंडलीकरण से सभी देशों के हित जुड़े हुए हैं। भविष्य में अन्तरराष्ट्रीय संगठन और ढांचे का निर्माण मजबूत करते हुए अन्तरराष्ट्रीय कानून के अनुसार वैश्विक मामलों में लोकतांत्रिक और बहुपक्षीय व्यवस्था कार्यांवित करनी चाहिए।
(ललिता)