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हारपीन शहर की भारत सड़क
2013-01-12 16:10:07

आज के चीन का भ्रमण कार्यक्रम में चीन के किसी रमणीक स्थल के प्राकृतिक सौंदर्य का लुत्फ लेने के बजाये उत्तर पूर्वी चीन के हेलुंगच्यांग प्रांत की राजधानी हारपीन शहर में नव स्थापित भारत सड़क के दौरे पर आप को ले चलते हैं । मुझे पता है कि आप अवश्य ही यह पूछना चाहते हैं कि चीन के सब से उत्तरी भाग में स्थित हेलुंगच्यांग प्रांत की राजधानी हारपीन शहर में एक भारत सड़क कैसे हो सकती है । जी हां , जब मैं ने यह खबर सुनी , तो मेरे मन में यह प्रश्न भी तुरंत ही उठा कि हारपीन शहर में भारत सड़क कैसे हो सकती है , यह सचमुच एक बड़ी आश्चर्यचकित बात है और इस सड़क को देखने की जिज्ञासा मेरे मन में एकदम बन बैठी । गत अगस्त में मेरी यह जिज्ञासा पूरी हो गयी।

प्रिय दोस्तो , सर्वविदित है कि भारत एक गर्मी देश है , गर्मियों में तेज धुप व ऊंचे तापमान से लोग बहुत परेशान होते हैं , पर उमस कम है और लोगों को पेड़ों की छाया में हल्की सी हवा से कुछ राहत मिल सकती है । पर चीन में गर्मियों का मौसम भारत की जितनी गर्मी नहीं तो है , पर कुछ दिनों में असहनीय उसम लोगों को ज्यादा सताती है । इस वर्ष गर्मियों में पेइचिंग का मौसम भी बहुत गर्मी और उमस से लोगों को ज्यादा तकलीफें थीं । गर्मी व उमस से बचने व राहत मिलने के लिये हारपीन शहर में बसे हमारे मित्र यांग दंपति ने हमें बार बार फोन पर वहां जाने को बुलाया । अगस्त के मध्य में मैशा समुद्री तूफान के प्रभाव में आकर पेइचिंग में इतनी गर्मी व उमस थी कि लोगों को सांस लेने तक भी कठिन था , इस से बचने के लिये एक दिन की शाम को मैं ने जल्दी डिनर के बाद मित्रों के साथ पेइचिंग पश्चिमी रेल्वे स्टेशन पहुंचे । रात के साढ़े आठ बजने पर पेइचिंग से हारपीन की ओर जाने वाली एक्सप्रेस रेलगाड़ी तेज गति से हारपीन के लिये पेइचिंग से रवाना हुई , करीब 12 घंटे की रेल यात्रा के बाद दूसरे दिन सुबह साढ़े सात बजे हारपीन शहर के रेल्वे स्टेशन पहंच गये । रहने के लिये होटल का बंदोस्त हमारे मित्र यांग ने कब से ही कर लिया है . कुछ समय के लिये विश्राम के बाद हम हारपीन शहर के सब से प्राचीन प्रसिद्ध बाइजैंटिन शैली में निर्मित रूढ़िवादी सेंट सोफिया गिरजाघर देखने गये ।

इस प्रसिद्ध बाइजैटिन शैली में निर्मित रूढ़िवादी सेंट सोफिया गिरजा घर देखने के तुरंत बाद मैं ने दंपति यांग से कहा कि मैं इस शहर में निर्मित भारत सड़क देखना चाहती हूं ।

लंच के बाद हमारे मित्र यांग ने मुझ से कहा कि उन्हों ने भारत सड़क के संस्थापक , हारपीन शहर के नान कांग डिस्ट्रिक्ट के उप प्रधान चांग से इंट्रव्यू लेने और भारत सड़क देखने का बंदोबस्त कर लिया है । दोपहर के डेढ़ बजे हम नांन कांग डिस्ट्रिक्ट के प्रशासनीय भवन पहुंच गये , वहां उप प्रधान चांग के अलावा अन्य कई अधिकारी भी हमारी प्रतीक्षा में थे । अपना परिचय देने के बाद मैं ने बेबरसी के साथ उप प्रधान चांग से कहा कि जब मैं पिछले दसियों सालों में चीन व भारत की आपसी समझ बढ़ाने की कोशिश करती आयी हूं और मेरी रूचि भी इस संदर्भ में भी है । पर चीन के सब से उत्तरी भाग में स्थित हेलुंगच्यांग प्रांत की राजधानी हारपीन शहर में भारत चीन सड़क कभी नहीं सुनी । मैं जानना चाहती हूं कि हारपीन शहर में भारत चीन सड़क कैसे हुई है , और इस सड़क की स्थापना का क्या इरादा है ।

हारपीन शहर के नान कांग डिस्ट्रिकट के उप प्रधान चांग ने इस सवाल के उत्तर में कहा कि जैसा कि आप जानते हैं कि हारपीन शहर एक विदेशी माहौस से युक्त प्रसिद्ध शहर माना जाता है , इस शहर में विदेशी वास्तु शैलियों में निर्मित विविधतापूर्ण आकार वाले भवन , गिरजाघर व सड़के देखने को मिलते ही नहीं , अतीत जमाने में बड़ी तादाद में यहूदी , जर्मन , फ्रांसिसी और रूसी इत्यादि विदेश लोग भी रहते थे , अतः यह शहर एक उत्प्रवासी शहर के रूप में भी जाना जाता है । पिछले बीसेक सालों में लागू रूपांतर व खुले द्वार नीति के माध्यम से हारपीन शहर में भी जमीन आस्मान के परिवर्तन आये हैं , इसलिये उक्त आधारों पर एक अपनी अलग पहचान वाले शहर के रूप में निर्मित करने का इरादा पैदा हो गया । हम क्रमशः नानकांग डिस्ट्रिकट में नारी सड़क , मकाओ सड़क ,रूसी सड़क , कोरिया सड़क समेत अनेक रौनकदार व्यवसायिक सड़कें निर्मित कर चुके हैं ।

उन्हों ने कहा कि चीन व भारत आज की दुनिया में सब से बड़े विकासशील देश ही नहीं , दोनों निकट पड़ोसी देश भी हैं । पिछले कई हजारों वर्षों में इन दोनों देशों के बीच परम्परागत मैत्रीपूर्ण संबंध और सहयोग बने रहे हैं , विशेषकर वर्तमान आधुनिक काल में दोनों देशों के सामने गरीबी उन्मूलन , आर्थिक विकास, देश को पुनरूत्थान बनाने और जनता का जीवन स्तर उन्नत करने का समान मिशन मौजूद है । एक शब्द में भारत व चीन ये दोनों बड़े विकासशील देश बहुत से क्षेत्रों में एक दूसरे का पूरक माने जाते हैं । इसे ध्यान में रखकर दोनों देशों की सरकारे इधर सालों में आपसी समझ , आर्थिक व व्यापारिक सहयोग व विविधतापूर्ण आवाजाही बढ़ाने पर अत्यंत महत्व देती आयी हैं और उल्लेखनीय उपलब्धियां भी प्राप्त कर चुकी हैं । पर पिछले दसियों सालों में कुछ ऐतिहासिक कारणों से इन दोनों निकट पड़ोसी देशों की आवाजाही बाधित हो गयी है , दोनों देशों की जनता एक दूसरे को बहुत कम जानती है । यदि हम हारपीन शहर के नान कांग डिस्ट्रिक्ट में एक भारत सड़क स्थापित करेंगे , तो इस अपने ढ़ंग की यह सड़क दोनों देशों के व्यापारियों के लिये निश्चित रूप से व्यापार करने और एक दूसरे को नजदीकी से समझने की भूमिका निभायेगी । इसी इरादे से प्रेरित होकर 2004 वर्ष की जुलाई को नान कांग डिस्ट्रिक्ट के पूर्व प्रधान वेइ अपने सहकारियों के साथ सर्वेक्षण के लिये नयी दिल्ली पहुंचे । नयी दिल्ली में प्रवास के दौरान उन्हों ने कुछ भारतीय व्यापारियों के साथ सम्पर्क बनाया और बड़े छोटे बाजारों को गौर से देखा , ताकि भारत के बारे में ज्यादा जानकारी प्राप्त की जा सके और हारपीन शहर में सफल भारत सड़क निर्मित करने की संभावना हो सके । भारत से स्वदेश लौटने के बाद वे भारत सड़क स्थापित करने का काम करना शुरू कर दिया और जल्द ही इस सड़क को मूर्त रूप दे दिया है । अब केवल एक समस्या बाकि रही है कि चीन व भारत दोनों देशों के दुकानदारों को आकर्षित करना है ।

उस साल के सितम्बर के शुरू में खुद उप प्रधान चांग अन्य तीन संबंधित अधिकारियों के साथ दूबारा नयी दिल्ली गये । इस बार वे कुछ भारतीय व्यापारियों , दुकानदारों और कर्मचारियों को हारपीन शहर की भारत सड़क के लिये आमंत्रित करने का उद्देश्य लिये भारत गये थे । नयी दिल्ली ठहरने के दौरान वे प्रत्यक्ष रूप से भारतीय व्यापारियों व दुकानदारों के साथ हुई बातचीत में चीन में भारी परिवर्तनों व हारपीन में स्थापित भारत सड़क से अवगत कराया , साथ ही उन्हों ने हारपीन की विदेशियों के साथ इतनी उदार नीति बतलायी कि दो सालों के भीतर दुकानों का किराया भारतीय व्यापारियों को मुक्त किया जायेगा , डिस्ट्रिक्ट सरकार इस सड़क पर नौकरी करने वाले साधारण भारतियों को भत्ता दी जायेगी और सरकारी पैसे से भारतीय कला मंडली भी बुलाई जायेगी । क्योंकि चीन को कम जानने और सामाजिक व सांस्कृतिक भिन्नताओं की वजह से कुछ व्यापारियों को चीन जाने का साहस नहीं था । लगातार 8 दिनों के अथक समझाने बुझाने से उन्हों ने कुल 12 भारतियों को बुला ही लिया । उसी साल की 28 सितम्बर को हारपीन शहर की भारत सड़क का उद्घाटन विधिवत रूप से हो गया । अब इस भारत सड़क पर ह्वा फूंग भारत सड़क प्रबंध लिमिडेट कम्पनी चीन में खुली एक भारतीय पर्यटन कम्पनी की शाखा के साथ संयुक्त पूंजी से व्यापार करने में लगी हुई है , इस के अलावा भारत रेस्त्रां , भारतीय आभूषण , भारतीय त्रेस , शोल और अन्य कई प्रकार की कला कृतियां व बर्तन आदि वस्तुएं बेची जाती हैं ।

उप प्रधान चांग ने कहा कि क्यों कि शुरू में चीन व भारत दोनों देशों की सांस्कृतिक व सामाजित धारणाओं और रहन सहन की भिन्नताओं से भारतीय वस्तुएं खरीदने वाले चीनी लोग काफी अधिक नहीं थे , पर अब यह स्थिति धीरे धीरे भारत के बारे में ज्यादा जानने के चलते बदल रही है ।

हारपीन शहर की भारत सड़क पर मैं ने कई भारतीय मित्रों से बातचीत की है , उन्हों ने एक ही स्वर में मुझ से कहा कि वे यहां बहुत खुश हैं और स्थानीय लोगों के साथ घुलमिलकर रहते हैं , कोई परेशानी भी नहीं है । उन में से एक सरदार जी ने मुझे बताया कि उन्हों ने वेबसाइट पर एक चीनी युवक से दोस्ती बनायी है , वह चीनी युवक हारपीन शहर से कोई पांच सौ किलोमीटर की दूरी पर रहता है , पर वह उन से मिलने के लिये कभी कभी हारपीन शहर जाता है । इतना ही नहीं , वे अकसर टेलिफोन पर बातचीत भी करते हैं , यह कहकर सरदार जी ने अपने मुबाइल पर उस चीनी युकव के मोबाइल का नम्बर भी दिखा दिया । यह जानने से मैं बहुत प्रभावित हुई हूं , भूमंडलीय आर्थिक विकास के चलते चीन व भारत एक दूसरे के निकट आ रहे हैं , दोनों देशों का परम्परागत भाईचारा संबंध एक नये दौर में प्रविष्ट हो गया है ।

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