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दलाई गुट की राजनीतिक साजिश की पोल खुल गयी
2012-12-21 16:55:57

चालू वर्ष में सछ्वान प्रांत के तिब्बती क्षेत्र में लगातार आत्मदाह वारदातें खड़ी हुईं , जिसे से अनेक जीते जागते प्राण क्षण भर में आग की लपटों में भस्म हो गये। आत्मदाह वारदात घटित होने से लोगों को आश्चर्य और खेद होने के साथ साथ मानव जाति की विवेक व नैतिक रेखा के लिये एक चुनौती भी है। वर्तमान में मामलों की जांच के साथ साथ असलीयत की पोल भी खुल गयी है। पुलिस के अनुसार सछ्वान प्रांत के तिब्बती क्षेत्र में घटित आत्मदाह घटनाएं दलाई गुट ने बाहर में रच डाली हैं, देश के भीतरी व्यक्तियों ने इस का रुप धारण करने और बाहर में संबंधित सूचनाएं सूचित करने का जिम्मा उठा दिया है। उद्देश्य है कि अंतर्राष्ट्रीय लोकमत का ध्यान आकर्षित किया जाये और तथाकथित तिब्बत की स्वाधीनता के लिये लोकमत तैयार किया जाये।

आत्मदाह घटनाएं घटित होने के बाद सछ्वान प्रांत के सुरक्षा ब्यूरो ने तुरंत ही पुलिस बलों को जुटाकर मामलों की जांच करने की पूरी कोशिश की। अब रोरांगकुंगछ्यो समेत दो प्रमुख संदिग्ध अपराधियों को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने इस का पता लगाया है कि संदिग्ध अपराधी रोरांगकुंगछ्यो ने देश के भीतर मठ में अपने हैसियत व प्रभाव के जरिये ये बेहूदा दलील फैलाई है कि आत्मदाह धार्मिक सिद्धांत के उल्लंघन नहीं है और आत्मदाहक वीर ही है, साथ ही यह दावा भी किया है कि वह बाहर में आत्मदाह करने वाले का प्रचार प्रसार करने और उस के परिजनों की प्रतिष्ठा उन्नत करने में समर्थ भी है। आत्मदाह घटना खड़ी करने के लिये उस ने अपने भतीजे रोरांगत्सेरांग के साथ दूसरे व्यक्तियों को आत्मदाह करने का उकसावा कर दिया।

चोपा एक 19 वर्षीय चरवाहा है , उस ने रोरांगकुंगछ्यो और रोरांगत्सेरांग के उकसावे में आकर अबा कांऊटी के मेलमा टाऊनशिप आत्मदाह कर लिया । संवाददाता को हिरासत केंद्र में रोरांगत्सेरांग के साथ बातचीत करने में पता लगा है कि चोपा और रोरांगत्सेरांग दोनों रिश्तेदार भी हैं। पर चोपो को आत्मदाह घटना खड़ी करने में क्यों चुना गया , तो रोरांगत्सेरांग का कारण अत्यंत आश्चर्यजनक है।"मेरी बीवी का पिता चोपा के पिता का सगा भाई है। चोपा एक बदमाश है, वह जिद्दी ही नहीं, धूम्रपान व शराब पीने का लती भी है , लोग उसे नापसंत करते हैं।"

इसी तरह रोरांगत्सेरांग ने रोरांगकुंगछ्यो की मदद कर निष्ठुर रुप से उन की नजर में इस बदमाश चोपा को आत्मदाह के जरिये मार डाल दिया है ।

देश के भीतर आत्मदाहकों की खबर मिलने के बाद विदेश में निर्वासित दलाई लामा और कुछ समद्रपारी तिब्बती संगठनों ने आत्मदाह घटना के प्रति जो प्रतिक्रिया व्यक्त की , उस की रफ्तार चौंका देने वाली ही नहीं , अपने चरम पर भी है। दलाई ने अनेक बार ब्यान देकर आत्मदाहकों के अभिप्राय की पुष्टि की और उन के साहर की सराहना भी की। रोरांगकुंगछ्यो ने पुलिस को बताया कि उस ने बाहर में दलाई गुट की स्वाधीन तिब्बत संगठन के प्रेस सम्पर्क दल के मुख्य सदस्य त्वो आन और सानमुतान जैसे व्यक्तियों के आदेश पर कार्यवाही की है। 

आत्मदाह घटना घटित होने से पहले उस ने आत्मदाहक की व्यक्तिगत व पारिवारिक सूचनाएं दर्ज की और तस्वीरें भी ले लीं , साथ ही यह आश्वासन भी किया है कि यदि आप आत्मदाह कर देंगे , तो आप की सूचना अवश्य ही भारत में भेजी जायेगी । आत्मदाह के बाद उस ने तुरंत ही मोबाइल आदि साधनों के माध्यम से आत्मदाहक की तस्वीर , तत्काल स्थल और परिवार से संबंधित सूचनाएं विदेश में निर्वासित स्वाधीन तिब्बत संगठन को भेज दी हैं।"त्वो आन और सानमुतान इन दोनों व्यक्तियों ने मुझे यह काम दिया है, उन्होंने मुझ से आत्मदाहक के प्रचार प्रसार के लिये संबंधित सूचनाएं पूर्ण रुप से उन्हें भेजने को कहा। उन के उकसावे में मैंने यह काम किया है, उन के बिना मैं यह काम नहीं कर सकता।"

दलाई गुट ने अपने राजनीतिक उद्देशय के लिये तिब्बती क्षेत्रों के युवाओं को अपने माता पिता व समाज को निराशा करने और अपने प्राण की उपेक्षा करने के लिये प्रोत्हासन दिया । आत्मदाह से समाज को नुकसान पहुंचा ही नहीं , बल्कि इन युवाओं के घरवालों को भी बड़ा दुख हुआ है । भिक्षु कोपाई ने उकसावे में आकर आत्मदाह कर दिया है । उस के घरवाले कोपी ने संवाददाता से कहा:"कोई भी अभिभावक अपने बच्चे को आत्मदाह करने नहीं देता है, मुझे पता नहीं है कि वे क्या कठिनाइयों में हैं, माता पिता उन्हें कोई भी परेशान नहीं करते, पेट भर खाने व पर्याप्त कपड़े पहनने में कोई दिक्कत नहीं है , उन्होंने ऐसा क्यों किया।"

उन की तुलना में इस साल 16 साल वाला सोलांगच्यांगत्चो काफी भाग्यशाली है । आत्मदाह के दौरान समयानुकूल बचाव से वह बाल-बाल बच गया । इस दुःखांत ने इस किशोर के दिल में घर कर लिया है। उस ने संवाददाता से कहा:"आइंदे आत्मदाह करने देने वाला कोई भी क्यों न हो, मैं नहीं कर दूंगा, उस समय मैं जरा सा हैरान नहीं था, अब याद आने से ऐसा लगता है मानो एक भाले ने अपने दिल में चुभो दिया हो, बड़ा दर्द है, बहुत पछतावा है।"

दूसरों को आत्मदाह का उकसावा देने वाले संदिग्ध अपराधी रोरांगत्सेरांग को अब बहुत पछतावा हो गया है । उस ने कहा कि उस का घर बहुत गरीब है , जबकि चाचा रोरांगकुंगछ्यो ने मठ में अपना स्थान बना दिया है । उस ने पैसे उधारने की सुवाधा के लिये अपने चाचा का हाथ बटाया है । रोरांगत्सेरोंग के दिल में उकसावे में आकर आत्मदाह करने वाले लोग बहुत मूर्ख हैं।"मैंने पहले कभी भी नहीं सोचा कि आत्मदाहक तिब्बत जाति का वीर है। अब मैंने गौर से सोचने से भी नहीं माना है कि वे तिब्बत जाति का वीर है। मेरे ख्याल से वे बहुत मूर्ख हैं। यदि पहले मालूम हुआ कि इसी संदर्भ में सूचना जुटाना गैरकानूनी है, मैं यह काम हरगिज नहीं करुंगा। राज्य ने हमारी भलाई में मकान बनवाने और बोनस बांटने इत्यादि नेक काम किये हैं। मुझे गलती हो गयी है ।" 

लगातार आत्मदाह वारदातें घटित होने पर तिब्बती लामा बौद्ध धार्मिक व्यक्तियों ने अपनी चिन्ता व परेशानी जतायी है । सर्वविदित है कि बौद्ध धर्म दयायुक्त है और वह अहिंसा को अपने मौलित उपदेश मानता है , तिब्बती लामा बौद्ध धर्म में यह बढिया परम्परा बनी रही है । रोरांगकुंगछ्यो ने दूसरों के प्राणों की उपेक्षा करने और उन्हें निष्टुर व चरम हठकंडों से आत्महत्या करने का उकसावा दिया है , यह बौद्ध धर्म के केंद्रीय महत्व के खिलाफ ही नहीं , बौद्ध धर्म के मौलित उपदेशों को मनमनाने ढंग से भी रौंद डाला गया है । छांग ल्ये मठ सछ्वान प्रांत के अबा प्रिफेक्चर की राजधानी मालखांग के छांग ल्ये पर्वत पर अवस्थित है । इस मठ के भिक्षु त्सेवांग ने संवाददाता से कहा:"सचे बौद्ध धर्म के अर्थ में आत्मदाह बहुत बुरा है। शरीर अपने आप का ही नहीं, माता पिता ने दिया है, उस की रक्षा करनी चाहिये। लोगों को नुकसान पहुंचाना सब से बड़ा अपराध है, प्रथम मौलित उपदेश हत्या ही है ।"  

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