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त्याओयू द्वीप के ऊपर चीनी समुद्र-निरीक्षण विमान की प्रथम उड़ान
2012-12-14 16:54:26

13 दिसम्बर को चीन पर आक्रमणकारी जापानी सेना के हाथों नानचिंग शहर में रचे नरसंहार की 75वीं वर्षगांठ है। उसी दिन, चीनी समुद्र-निरीक्षण विमान ने पहली बार त्याओयू द्वीप के ऊपर उड़ान भरी। विशेषज्ञों के अनुसार चीन की इस गतिविधि से सारी दुनिया के सामने यह घोषित किया गया है कि चीन विश्व फ़ासिस्ट विरोधी युद्ध की विजय की हिफाज़त करता है। और समुद्र में चीन के न्यायिक काम में त्रिआयाम और सूचनाकरण का विकास होगा।

13 दिसम्बर को चीनी राष्ट्रीय समुद्र ब्यूरो की वेटसाइट में यह खबर दी गयी है कि पेइचिंग समय के अनुसार उसी दिन सुबह दस बजे, चीनी समुद्र-निरीक्षण विमान बी-3837 ने चीन के त्याओयू द्वीप के ऊपर आकाश में प्रवेश किया और वहां चीन के त्याओयू द्वीप समुद्री जल क्षेत्र में गश्त लगा रहे चीनी समुद्र-निरीक्षण जहाज नम्बर 50, 46, 66, 137 से गठित बेड़े से जा मिला और समुद्र व आकाश में दो तरफ से गश्त लगायी। इस के दौरान चीनी बेड़े ने जापानी पक्ष को चेतावनी देकर चीन के अधिकार की रक्षा की और चीन सरकार का रूख घोषित करते हुए जापानी जहाज से तुरंत चीन के समुद्री प्रादेशिक क्षेत्र से हट जाने की मांग की। यह पहली बार है कि चीनी समुद्र ब्यूरो ने त्याओयू द्वीप जल क्षेत्र में एक साथ समुद्र व आकाश में गश्त लगावायी। जापानी मीडिया के मुताबिक जापान ने एफ-15 लड़ाकू विमान समेत 9 विमानों को चीनी विमान को रोकने के लिए भेजा। उसी दिन, चीनी विदेश मंत्रालय द्वारा आयोजित संवाददाता सम्मेलन में प्रवक्ता होंग रेई ने कहा कि चीनी समुद्र निरीक्षण विमान की यह उड़ान बिलकुल सामान्य है।

त्याओयू द्वीप और उस के अधीनस्थ टापू चीन की प्रादेशिक भूमि है। चीनी समुद्र-निरीक्षण विमान का वहां उड़ान भरना बिलकुल सामान्य काम है। चीन जापान से मांग करता है कि वह त्याओयू द्वीप समुद्र क्षेत्र व उस के आसमान में गैर कानूनी कार्यवाही बन्द करे।

चीनी नौ सेना के विशेषज्ञ ली ची ने मीडिया के साथ साक्षात्कार में कहा कि चीनी समुद्र-निरीक्षण विमान त्याओयू द्वीप के क्षेत्र में गश्त लगाने जाए या न जाए, तो जापान अवश्य उत्तेजना की कार्रवाई करता है। श्री ली ची का कहना हैः

चीन ने नया तरीका अपनाया अथवा नहीं, तो जापान उस के खिलाफ उत्तेजना करता रहेगा और नुकताचीनी करता रहेगा। साथ ही वह अपनी कहनी व करनी के लिए हमेशा बहाना बना देता रहता है।

चीनी समुद्र-निरीक्षण विमान व जहाजों के त्याओयू द्वीप के जल व आकाश क्षेत्र में गश्त लगाने के सवाल पर अन्य कुछ विशेषज्ञों ने भी अपना अपना रूख प्रकट किया। चीनी समाज विज्ञान अकादमी के समुद्र विज्ञान के विद्वान वांग श्याओ फेंग ने मी़डिया के साथ बातचीत में कहा कि चीनी निरीक्षण विमान हमेशा पीला सागर, दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर में गश्त लगाते हुए न्यायिक काम करते हैं । इस बार त्याओयू द्वीप के पास चीनी विमान व जहाजों की कार्यवाही से भी चीन का यह रूख जाहिर हुआ है, वह अन्तरराष्ट्रीय समुद्र-प्रबंध नियमावली के विरुद्ध नहीं है।

चीन के फुतान विश्वविद्यालय के जापान अनुसंधान केन्द्र के उपाध्यक्ष हु लिंग मिंग ने बताया कि इधर के सालों में चीन की समुद्र-निरीक्षण कार्यवाहियों से व्यक्त हुआ है कि दक्षिण चीन सागर में हो या पूर्वी चीन सागर में, अपनी प्रभुसत्ता की रक्षा करने केलिए चीन का संकल्प लगातार बढ़ता जा रहा है। श्री हु ने कहा कि नानचिंग में जापानी आक्रमणकारी सेना द्वारा किए गए नरसंहार की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर चीन ने त्याओयू द्वीप के पास अपनी नियमित गश्त गतिविधि का स्तर ऊंचा कर दिया है, इसका नैतिक व मानवीय आधार निहित है। श्री हु के विचार में चीन ने अपनी इस कार्यवाही से सारी दुनिया को जताया है कि चीन विश्व फ़ासिस्ट विरोधी युद्ध में प्राप्त विजय की हिफाज़त कर रहा है।

चीनी नौ सेना के विशेषज्ञ ली ची ने संवाददाताओं को बताया कि समुद्र में चीन के कानून पालन काम में त्रिआयामी होने और सूचनाकृत होने का रूझान बढ़ रहा है। उन्होंने कहाः

भविष्य में समुद्र-निरीक्षण या समुद्र में कानून पालन के काम में त्रिआयाम और सूचनाकरण का विकास एक आम रूझान बनेगा। वर्तमान में चीन के समुद्र-निरीक्षण तरीके सरल और एकरूपी है, भविष्य में चीन समुद्र जल क्षेत्र के अलावा समुद्र के ऊपर आकाश में भी गश्त लगाएगा, यानी आकाश में चालक रहित विमान और अन्य प्रकार के विमानों से संयुक्त गश्त सिस्टम कायम होगी जो समुद्र में खोज, तलाश व निगरानी का काम करेगी और समुद्र में न्यायिक काम संभालेगी. इस प्रकार से एक त्रिआयामी व सूचनाकृत तंत्र का विकास होगा।

विशेषज्ञों का मानना है कि चीन और जापान के बीच त्याओयू द्वीप को लेकर मुठभेड़ अल्प समय के भीतर नहीं रूक सकता, मुठभेड़ का विस्तार होने की भी संभावना है। चीन को मौका पाकर पहल करना चाहिए, साथ ही परिस्थिति को नियंत्रण से बाहर नहीं निकलने देने के लिए सावधानी बरतनी भी चाहिए।

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