विश्व के सब से ऊंचे स्थान यानी चीन के छिंगहाई तिब्बत पठार पर निर्मित सब से बड़ी विद्युत ट्रांसमिशन परियोजना में काम शुरू हुए अब पूरा एक साल हो चुका है, इस के प्रयोग में आने से तिब्बत में बिजली की समस्या काफी हद तक हल हुई, खासकर सर्दियों के मौसम में बिजली का अभाव सवाल दूर हो गया और स्थानीय निवासियों को जीवन में बड़ी सुविधा प्राप्त हुई है।
श्रीमती ज़ासान ल्हासा के तहत एक गांव के साधारण किसान परिवार की मालिकन है, उस के घर में फ्रिजर, वाशिंग मशीन और तीन टीवी सेट हैं, इन के अलावा घी चाय बनाने का एक विद्युत उपकरण भी है।
वह कहती है कि पहले जब मां जी घी चाय बनाती थी, एक बार आधे घंटे की जरूरत थी। अब मैं बनाती हूं, विद्युत उपकरण से तीन मिनट में सभी काम पूरा होता है, काफी सुविधाजनक है।
लेकिन पहले, तिब्बत में बहुत सी जगहों पर बिजली का अभाव होता था, खासकर सर्दियों के दिन, अकसर बिजली कट जाती थी। निवासियों के जीवन में बिजली की गारंटी के लिए कारखानों और खानों में बिजली की सप्लाई बन्द की जाती थी, जिससे उत्पादन बन्द करना पड़ता था। तिब्बत के सब से बड़े सीमेंट कारखाने के डिप्टी मेनेजर तुंग चीशेंग ने बिजली के अभाव की समस्या की याद करते हुए कहाः
उस समय, बिजली विभाग बिजली की सप्लाई के बारे में विशेष प्रबंध करता था यानी हमारी कंपनी जैसे कारोबारों, जिनमें बिजली की खपत अधिक थी, को बिजली की सप्लाई बन्द कर देता था, हमें मशीनों का रखरखाव करने के लिए कहा जाता था। एक साल हमारे सीमेंट प्लांट में उत्पादन पहली नवम्बर से अगले साल के 15 मार्च तक बन्द होना पड़ा, करीब पांच महीनों में सीमेंट का उत्पादन बन्द रहा था।
तिब्बत में बिजली का अभाव इसी कारण से बनता था, क्योंकि वहां स्थानीय बिजली घर पन बिजली संसाधन पर निर्भर करता है और लम्बे अरसे से देश के अन्य क्षेत्रों के बिजली ट्रांसमिशन नेटवर्क से जुड़ा भी नहीं रहता था। तिब्बत में आर्थिक विकास की गति तेज होने के साथ साथ तिब्बत में बिजली की कमी की समस्या और बड़ी साबित हुई, खासकर सर्दियों के मौसम में नदी व झील में पानी के कम होने के समय वहां बिजली की कमी की समस्या और अधिक गंभीर हुई, कभी कभी बिजली का अभाव 50 प्रतिशत तक पहुंचता था, जिससे तिब्बती जनता के जीवन और स्थानीय आर्थिक विकास दोनों बाधित हो गये।
2010 में छिंगहाई तिब्बत पठार पर डीसी विद्युत ट्रांसमिशन परियोजना का निर्माण शुरू हुआ, तिब्बत को पर्याप्त बिजली आपूर्ति के लिए 30 हजार बिजली निर्माताओं ने इस परियोजना में भाग लिया, सारा निर्माण दिसम्बर 2011 में पूरा हो गया और 30 नवम्बर 2012 तक इस बिजली परियोजना से तिब्बत को 60 करोड़ यूनिट बिजली सप्लाई की जा चुकी है, जिससे ल्हासा और उस के पड़ोसी क्षेत्रों में बिजली के अभाव की समस्या हल हो गई है और इस के दौरान बिजली की सप्लाई फिर कभी नहीं कटती। बिजली की आपूर्ति की गारंटी होने के बाद वहां स्थानीय कारोबारों का व्यापार भी जोरों पर विकसित हुए। ल्हासा शहर के एक ब्युटि सैलून के मेनेजर चा क्वोफिंग ने वर्तमान की बिजली की सुविधा की चर्चा में कहाः
पहले, यहां सर्दियों के मौसम में अकसर बिजली काटी जाती थी, कभी कभी दिन भर बिजली नहीं आती थी। अब यह समस्या हल हो गयी और हमारे सैलून में ग्राहकों की संख्या भी बढ़ गयी है, पहले दिन में कोई सौ लोग आते थे, अब रोज तीन सौ लोग आते हैं।
छिंगहाई तिब्बत बिजली ग्रिड के प्रयोग में आने के फलस्वरूप तिब्बत में स्थानीय निवासियों और कारोबारों को बिजली की सुविधा की गारंटी हुई है, साथ ही तिब्बत में कमजोर पारिस्थितिकी संरक्षण को भी मदद मिली है। राष्ट्रीय बिजली ग्रिड की तिब्बती बिजली कंपनी के डिप्टी जनरल मेनेजर काओ यिंग युन ने कहाः
इस परियोजना के अंतर्गत पर्यावरण व जल संसाधन के संरक्षण के लिए 37 करोड़ य्वान की विशेष पूंजी दी गयी है, जिसका इस्तेमाल लोगों को पर्यावरण संरक्षण के बारे में शिक्षा देने, वनस्पतियों की रक्षा करने, ठोस कचरों का निपटारा करने तथा जल के बहाव व मिट्टी के कटाव पर नियंत्रण के काम में किया गया। हम ने कचरों को निपटारे के लिए बाहर भेजवाया, 80 स्थलों पर वनस्पतियों के विशेष बीजों के विकास के लिए प्रयोग किया गया और सफलता मिलने के बाद यहां बुवाई की गयी। परियोजना में पर्यावरण संरक्षण के लिए ताप बिजली घर का निर्माण नहीं किया गया और देश के अन्य स्थानों से तिब्बत को बिजली ट्रांसफर कर पहुंचायी जाती है, जिससे इस साल के नवम्बर तक कुल 60 करोड़ यूनिट की बिजली सप्लाई की गयी है जोकि 19 लाख 50 हजार टन कार्बन डाइआक्साइड कम निकास के बराबर है।
छिंगहाई तिब्बत डीसी बिजली ट्रांसमिशन परियोजना के सफल निर्माण के बाद पिछले एक साल में तिब्बत में आकाश पहले की ही तरह साफ नीला रहता है, सड़कों पर लाइटें रात में फिर नहीं बुझतीं, स्थानीय निवासियों के घर में बिजली उपकरण काम में आए हैं और कारखानों में उत्पादन फिर कभी नहीं बन्द होता।
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