चीन और भारत के बीच दूसरी रणनीतिक आर्थिक वार्ता 26 नवम्बर को नई दिल्ली में आयोजित हुई। चीनी राष्ट्रीय विकास व सुधार आयोग के अध्यक्ष चांग फिंग और भारतीय योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलुवालिया ने वार्ता की सह-अध्यक्षता की।
26 नवम्बर को आयोजित दूसरी चीन भारत रणनीतिक आर्थिक वार्ता में व्यावहारिक सहयोग, ठोस बंदोबस्त और व्यावहारिक काम पर बल दिया गया, जिससे जाहिर है कि मौजूदा वार्ता में व्यावहारिक काम पर प्राथमिकता दी गयी है। चीनी राष्ट्रीय विकास व सुधार आयोग के अध्यक्ष चांग फिंग ने वार्ता के बाद संवाददाताओं से मुलाकात में कहाः
वार्ता को समग्र अर्थनीति के बारे में आदान प्रदान, संपर्क, अनुसंधान तथा समन्वय के लिए एक प्लेटफार्म का रूप दिया जाना चाहिए, साथ ही इस वार्ता को दोनों पक्षों के बीच आर्थिक व व्यापारिक क्षेत्र में व्यावहारिक सहयोग के लिए एक प्लेटफार्म बनाया जाना चाहिए।
वार्ता में दोनों पक्षों ने बारबार यह कहा है कि वर्तमान विश्व अर्थतंत्र में बढ़ती कटौती के दबाव में चीन और भारत दोनों बड़े विकासशील देशों के सामने विकास बढ़ाने की मिलती जुलती समस्या मौजूद है, दोनों को समान हितों की खोज करने, सहयोग के नए आयामों का विस्तार करने तथा एक दूसरे के प्रति अपना बाजार खोलने की कोशिश करनी चाहिए, इसकेलिए व्यावहारिक सहयोग बढ़ाना दोनों देशों के लिए फौरी जरूरी है। इसके मुद्देनजर मौजूदा वार्ता में द्विपक्षीय समग्र अर्थनीति के बारे में रायों के आदान प्रदान व समन्वय के तरीके, पूंजी निवेश, बुनियादी ढांचे, हाई टेक, ऊर्जा की कीफायत, पर्यावरण संरक्षण व ऊर्जा के क्षेत्र में व्यावहारिक सहयोग बढ़ाने के मामलों पर विशेष विचार विमर्श किया गया और तदनुरूप कार्य दल भी गठित किए गए। समग्र आर्थिक नीतियों के समन्वय की पहलु में दोनों पक्षों ने माना है कि चीन और भारत दोनों 12वीं पंचवर्षीय योजना चला रहे हैं, इसलिए समग्र आर्थिक नियंत्रण के क्षेत्र में एक दूसरे से सीख सकते हैं। इस पर भारतीय योजना आयोग के उपाध्यक्ष अहलुवालिया ने स्पष्ट रूप से कहाः
भारत और चीन के बीच बहुतसे अनुभवों का विनिमय हो सकता है जो एक दूसरे के लिए हितकारी है। भारत को चीन के बुनियादी सुविधा निर्माण तथा शहरीकरण के काम में बड़ी दिलचस्पी है, विश्वास है कि चीनी सहयोगियों को भी भारत के अनुभवों में सुरूचि है।
श्री अहलुवालिया ने विशेष तौर पर आधारभूत ढांचे के विकास सवाल का उल्लेख लिया। उन्होंने कहा कि हालांकि वर्तमान में चीनी कंपनियों को भारत के बिजली, दूर संचार और बुनियादी संस्थापनों के निर्माण के क्षेत्र में काफी बड़ी बाजार कोटा हासिल हुई है, फिर भी दोनों देशों के बीच सहयोग की बड़ी गुजाइश मौजूद है। चीनी विकास व सुधार आयोग के अध्यक्ष चांग फिंग ने भी कहा कि वार्ता का एक अहम मकसद दोनों देशों के बीच ठोस कामों में सहयोग सुदृढ करते हुए दोनों पक्षों के कारोबारों को एक दूसरे से संपर्क कायम करने का मंच प्रदान करना है। मौजूदा वार्ता में रेलवे में भावी सहयोग की चर्चा विशेषतः ध्यानार्कषक है। दोनों देशों के रेल प्राधिकरणों के बीच सहयोग की इच्छा जताने के बारे में ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। इसपर वार्ता में भाग लेने वाले चीनी विकास व सुधार आयोग के विदेश मामला विभाग के प्रधान मा शिन ने कहाः
भारत रेल सहयोग पर बड़ा महत्व देता है। मौजूदा रणनीतिक आर्थिक वार्ता में व्यावहारिक सहगोग के लिए रेलवे सहयोग मुद्दा प्राथमिक है। खासकर भारत ने रेलवे क्षेत्र में सहयोग के लिए तीन क्षेत्रों की पेशकश की है जोकि भारी ढुलाई तकनीक, एक्सप्रेस रेल लाइन और रेल जंक्शन स्टेशन । इन तीनों क्षेत्रों में चीन की शक्ति श्रेष्ठ है।
भारत द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक अपनी 12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान भारत आधारभूत ढांचे के क्षेत्र में 10 खरब अमरिकी डालर की पूंजी लगाएगा जिनमें रेल निर्माण में एक खरब 40 अरब डालर होगी। इस क्षेत्र में चीन के पास विश्व में समुन्नत तकनीकें और अनुभव है, इसलिए दोनों पक्षों में सहयोग की बड़ी संभावना है। वार्ता में सहयोग को गहरा विकसित करने के क्षेत्र में पांच पाइंट पेश हुए, यानिकी समग्र आर्थिक नीति के बारे में आदान प्रदान और परस्पर रूखों का समन्वय। दो, विकास के विचार, लक्ष्य व तरीके के क्षेत्र में एक दूसरे से सीखना। तीन, बुनियादी सुविधा विकास के क्षेत्र में व्यावहारिक सहयोग । चार, निवेश के वातावरण को बेहतर करना और निवेश का विस्तार करना। पांच, हरित व निम्न कार्बन वाले उद्योगों में सहयोग का विस्तार।
वार्ता की समाप्ति पर श्री चांग फिंग ने कहा कि जब चीन और भारत मिलकर सहयोग करेंगे और सहयोग में ईमानदारी के साथ रचनात्मक काम करेंगे, तभी साझा विकास का लक्ष्य प्राप्त होगा। भारतीय योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलुवालिया ने दावा किया कि दोनों देशों का सहयोग विश्व भर में बड़ा प्रभाव डालेगा। उनका कहना हैः
चीन और भारत की तेज आर्थिक वृद्धि विश्व अर्थव्यवस्था में परिवर्तन आने का अहम कारक है, यदि हम दोनों देश मिलकर कोशिश करेंगे तो विश्व आर्थिक निर्णय के स्तर पर हम दोनों का प्रभाव और बढ़ेगा।