संयुक्त राष्ट्र मौसम परिवर्तन ढांचागत संधि के हस्ताक्षर देशों के 18वें सम्मेलन यानी दोहा मौसम परिवर्तन सम्मेलन में भाग लेने वाले चीनी प्रतिनिधि मंडल के प्रथम उप नेता, प्रमुख चीनी मौसम परिवर्तन प्रतिनिधि सू वी ने 25 नवम्बर को दोहा में मीडिया को इंटरव्यू दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि दोहा सम्मेलन में क्योटो प्रोटोकोल के दूसरे चरण के वायदों को मूर्त रूप देगा।
मीडिया के साथ इंटरब्यू में श्री सू वी ने कहा कि दोहा मौसम परिवर्तन सम्मेलन के तीन प्रमुख कार्य है, जिनमें क्योटो प्रोटोकोल के दूसरे चरण के वायदों, बाली कार्य योजना में प्राप्त सहमतियों तथा डर्बान प्लेटफार्म में कुछ बुनियादी सिद्धांतों पर प्राप्त सहमतियों को मूर्त रूप दिया जाएगा। तीनों कार्यों में से क्योटो प्रोटोकोल के दूसरे चरण के वायदे को अमली जामा पहनना सबसे महत्वपूर्ण है और सब से कठिन सवाल भी है। श्री सू ने कहाः
देखने में तो लगता है कि क्योटो प्रोटोकोल के दूसरे चरण की समस्या डर्बान सम्मेलन में हल हो चुकी है, इस साल के दोहा सम्मेलन में उस पर अमल के लिए एक स्पष्ट संशोधन मसोदा प्राप्त हो सकेगी और प्रदूषण निकासी में कटौती के लिए विकसित देशों के लक्ष्य निश्चित किए जा सकेंगे, लेकिन अभी तक विकसित देशों द्वारा प्रस्तुत प्रदूषण निकासी में कटौती के लक्ष्य काफी अपर्याप्त है। ऐसी स्थिति में एक ऐसी व्यवस्था कायम करना अत्यन्त मुश्किल है जिससे आने वाले सालों में प्रदूषण निकासी में कटौती के लिए विकसित देशों के लक्ष्य निर्धारित किए जाए।
श्री सू वी ने कहा कि ग्रीन हाउस गैस का मौसम परिवर्तन पर बड़ा असर पड़ता है, वर्तमान में वायु मंडल में फैली ग्रीन हाउस गैस मुख्यतः विकसित देशों द्वारा अपने औद्योगिकीकरण के दौरान निर्बंध रूप से छोड़ी गयी हैं, इसलिए विकसित देशों को इसकेलिए मुख्य जिम्मेदारी उठानी चाहिए। श्री सू वी का कहना हैः
जलवायु बदलाव का प्रभाव मुख्यतः गैस निकासी में नहीं होता है, मुख्य प्रभाव ग्रीन हाउस गैस की घनता से पैदा होता है और गाढ़ा ग्रीन हाउस गैस से मौसम ज्यादा परिवर्तित होता है। इसी दृष्टि से विकसित देशों की जिम्मेदारी प्रमुख है। वर्तमान मौसम परिवर्तन मुख्यतः पिछले 200 सालों में विकसित देशों द्वारा अपने औद्योगिकीकरण के दौरान निर्बंध रूप से छोड़ी गयी ग्रीन हाउस गैस के गाढ़ा होने के कारण हुआ है, मौसम परिवर्तन का मुख्य यही कारण है। और इस सवाल के समाधान के लिए मुख्य दबाव भी यही है।
क्योटो प्रोटोकोल का दूसरा चरण इस साल के अंत में समाप्त होगा, इसलिए 26 नवम्बर को कतर के दोहा में उद्घाटित मौसम परिवर्तन सम्मेलन एक संक्रमणकारी सम्मेलन माना जाता है। इसपर श्री सू वी ने कहाः
दोहा सम्मेलन क्योटो प्रोटोकोल को मूर्त रूप देने वाला सम्मेलन है, इस का मुख्य एजेंडा पहले प्राप्त सहमतियों को अमली जामा पहनना है। वास्तव में दोहा सम्मेलन एक संक्रमणकारी सम्मेलन है जिसमें पहले संपन्न हुए बंदोबस्तों को अच्छी तरह अंजाम किया जाएगा। यह दोहा सम्मेलन का एक काम है। दूसरे काम में दोहा सम्मेलन में भावी एजेंडा बनाया जाएगा यानी बहुपक्षीय वार्ता आगे जारी रखी जाएगी और संबंधित सवालों पर आगे बंदोबस्त किया जाएगा। कोशिश यह है कि एक अच्छी व्यवस्था कायम की जाए ताकि मौसम परिवर्तन के दौरान उत्पन्न होने वाली विभिन्न समस्याओं का समाधान किया जा सके।