चीनी प्रधान मंत्री वन चाबाओ ने 19 नवम्बर को कंबोडिया की राजधानी नोम पेन्ह में भारतीय प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात की।
वन चाबाओ ने कहा कि चीन और भारत का एक दूसरे के सभ्यता वाले प्राचीन पड़ोसी और दुनिया में दो सब से बड़ी आबादी वाले देश के नाते पुनरुद्धान की राह पर चल निकलना असाधारण मायने रखता है। इस प्रक्रिया में चीन और भारत शांतिपूर्वक साथ-साथ रहते हुए करीबी सहयोग किए हैं। परिणामस्वरूप द्विपक्षीय संबंध दिनोंदिन घनिष्ठ होते गए हैं, रणनीतिक सहयोग-साझेदारी स्थापित की गई है, सीमा-विवाद के समाधान के लिए राजनीतिक मार्गदर्शक सिद्धांत तय किए गए हैं, सीमांत क्षेत्रों में शांति एवं स्थिरता बनी रही है, द्विपक्षीय व्यापार का तेजी से विकास हुआ है और गैरसकारी आवाजाही बहुत बढ़ी है। प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय मामलों में दोनों देशों ने हाथ में हाथ मिलाकर समान हितों की रक्षा की है। इन सब से दोनों देशों की जनता लाभांवित हुई है और विश्व शांति एवं समृद्धि को बढ़ावा मिला है।
वन चाबाओ का कहना है कि चीन और भारत दोनों देशों को अपने-अपने विकास के रणनीतिक मौकों का फायदा उठाकर आपसी लाभ वाले सहयोग को और आगे ले जाना चाहिए। ऐसा करने के लिए यह जरूरी है कि एक, रणनीतिक आर्थिक वार्ता की व्यवस्था के तहत समष्टिगत आर्थिक नीति पर अधिक राय-मशविरा किया जाए, दो, आधारभूतस सुविधाओं के निर्माण में सहयोग को बढाया जाए, तीन, पूंजी-निवेश के लिए अच्छा नीतिगत और सामाजिक वातावरण तैयार किया जाए, चार, सहयोग की गुणवत्ता एवं स्तर को उन्नत किया जाए और पांच, द्विपक्षीय व्यापार मजबूत किया जाए।
श्री मनमोहन सिंह ने सर्वप्रथम चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की 18वीं राष्ट्रीय कांग्रेस के सफल आयोजन पर बधाई दी। उन्होंने कहा कि भारत-चीन दोस्ती का बहुत पुराना इतिहास है। दोनों देशों के बीच रणनीतिक सहयोग-साझेदारी की स्थापना के बाद से वार्तालाप और सहयोग की व्यवस्था परिपूर्ण होती गई है और सहयोग का दायरा विस्तृत होता गया है। अंतर्राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय मामलों में दोनों देशों के बीच घनिष्ठ विचार-विमर्श से विकासशील देशों के समान हितों की रक्षा को भी जबरदस्त बल मिला है। भारत चीन के साथ द्विपक्षीय रिश्तों को और भी ऊचे स्तर पर पहुंचाने की उभय कोशिश करेगा।