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लाल याओ जाति की महिलाओं के लम्बे बाल
2012-12-05 09:12:14
दक्षिणी चीन के क्वांगशी च्वान जातीय स्वायत्त प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्र में ऐसी कई महिलाएं रहती हैं, जो अपने लम्बे चमकदार बालों को बेहद कीमती समझती हैं। उन की मान्यता में चिकने लम्बे बाल सुखमय जीवन और आकांक्षा के प्रतीक हैं। आज के चीन का भ्रमण कार्यक्रम में हम आप के साथ लम्बे बालों वाली इन महिलाओं की कहानी जानने के लिए दक्षिणी चीन के क्वांगशी च्वान जातीय स्वायत्त प्रदेश जा रहे हैं।

  वह एक सुहावना दिन था। सुबह-सुबह बहुत जल्द उठकर हम कार पर सवार होकर टेढ़े-मेढ़े रास्ते पर चल कर क्वांग शी च्वान जातीय स्वायत्त प्रदेश के लुंगची पहाड़ी क्षेत्र में प्रविष्ट हुए तो हरे-भरे पर्वतों व स्वच्छ पानी के लुभावने दृश्य के बीच लाल पोशाकों में सजी महिलाओं को नदी में अपने लम्बे बाल धोते देखा। बाल धोते हुए वे गा रही थीं, सब से पहले मैं अपने प्रेमी के लिए काले चमकदार लम्बे बालों को करती हूं कंघी, फिर हम दोनों के मधुर प्रेम के लिए और अंत में मां-बाप का एहसान न भूलने के लिए काढ़ती हूं इन्हें। हर लम्बा, चिकना बाल स्थायी व सुखी जीवन का प्रतीक है। लम्बे बालों के गुणगान का यह लोकगीत अल्पसंख्यक लाल याओ जाति की महिलाओं में बहुत प्रचलित है।

लाल याओ दक्षिणी चीन में बसी अल्पसंख्यक याओ जाति की एक शाखा है। याओ जाति अपनी महिलाओं की पोशाकों व आभूषणों की विशेषताओं के अनुसार अपनी शाखा को नाम देती है। इस क्षेत्र में बसी महिलाएं लाल पोशाक पहनना पसंद करती हैं, इसलिये इस शाखा को लाल याओ कहा जाता है। लाल याओ जाति मुख्यतः क्वांगशी च्वांग जातीय स्वायत्त प्रदेश के उत्तरी पहाड़ी क्षेत्र में आबाद है। उस की जनसंख्या 13 हजार से कुछ अधिक है। इस शाखा के लोग हान जातीय संस्कृति से प्रभावित होने के चलते हान भाषा बोलते हैं। लाल याओ जाति की लड़कियां 13 वर्ष की उम्र में बाल काटना बंद कर देती हैं और 16 की उम्र में केवल एक बार बाल काटती हैं। इस का मतलब होता है कि वे युवावस्था में प्रविष्ट हो चुकी हैं। इस के बाद वे जिंदगी भर कभी भी बाल नहीं काटतीं।

लाल याओ जाति की मान्यता है कि बाल आमतौर पर मानव के खून व भावना का निचोड़ हैं, जबकि महिलाओं के लिए वे प्राण का प्रतीक हैं। इसलिये पिछले हजारों वर्षों से लाल याओ जाति की महिलाओं में बालों को मूल्यवान समझने व लम्बे रखने की परम्परा बनी रही है। यहां की महिलाओं को अपने बालों से इतना लगाव है कि यदि कंघी करते समय बाल गिर जायें, तो वे बड़ी सावधानी से उन्हें एक-एक कर उठाकर सुरक्षित रख देती हैं। मजे की बात है कि वे अपनी बाल्यावस्था में काटे गए बालों को अपनी नानी के पास शादी के समय तक सुरक्षित रखती हैं और शादी के मौके पर उन्हें दहेज के एक जरूरी हिस्से के रूप में अपने जूड़े में बांधती हैं।

लाल याओ जाति की महिलाओं के बालों में उनके कई रहस्य छिपे होते हैं। इस जाति की युवती सुश्री फान ची छिंग ने इस बारे में बताया

हमारी याओ जाति में बालों से ही पता चलता है कि कोई महिला शादीशुदा है या अविवाहित, क्योंकि हमारे यहां महिलाओं के बाल बांधने के तरीके अलग-अलग हैं। गोल जूड़ा बांधने वाली महिलाएं विवाहित होती हैं, पर वे जिनकी संतान नहीं होती। जब किसी महिला का जूड़ा सिर के आगे बंधा हो, तो समझिए वह शादीशुदा ही नहीं है, मां भी है। मुझे देखिये, हालांकि मेरे सिर पर गोल जूड़ा है, पर यह साफे से लिपटा हुआ है, जो मेरे अविवाहित होने का प्रतीक है।

लम्बे बाल लाल याओ जाति की महिलाओं की सबसे बेशकीमती संपत्ति हैं। इस जाति की लड़कियां अपने बालों को आसानी से दूसरे लोगों को नहीं दिखातीं। आम दिनों में वे हमेशा गहरे नीले रंग के कपड़ों से अपने बालों को ढके रखती हैं। वे अपने बालों को जिस पुरूष को सब से पहले दिखाती हैं, वे उन के पति ही होते हैं।

लाल याओ जाति की महिलाओं के बाल बांधने के तरीके ही अजीब नहीं  हैं उनके बाल अत्यधिक लम्बे होते हैं। सब से लम्बे बालों की लम्बाई 1.8 मीटर तक हो सकती है। लुंगशंग क्षेत्र के ह्वांगलो याओ जातीय कस्बे में 60 से ज्यादा महिलाओं के बालों की लम्बाई 1.4 मीटर से अधिक है। उन्हों ने इस में गिनिस रिकार्ड कायम किया है। इस कस्बे में फान ची कांग नाम की एक लड़की ने बताया

लाल याओ जाति की महिलाएं अपने बालों को सुदंरता व प्राण का भाग समझती हैं और बालों को बेहद मूल्यवान मानती हैं। वे उन्हें कभी भी नहीं फेंकतीं। उन की मान्यता में बाल दीर्घायु व समृद्धि के प्रतीक हैं। उन के बाल धोने की सामग्री भी अपने ढंग की होती है जो चावल धोने के लिए इस्तेमाल किये गये पानी में जड़ी-बूटी मिला कर तैयार की जाती है। इस प्रकार का शैंपू बालों के लिए बहुत उपयोगी होता है। यहां की 70 व 80 उम्र की बूढ़ी महिलाओं तक के बाल काले व चमकदार दिखते हैं।

लाल याओ जाति की युवतियों की तीन मूल्यवान चीजें सुंदर लम्बे बाल, चांदी के आभूषण व कसीदे किये कपड़े हैं। बाल बांधने के तरीकों की तरह लाला याओ जाति की महिलाओं के कपड़ों के रंग-रूप में उनकी उम्र का रहस्य छिपा होता है। सुश्री फान ची छिंग ने बताया

लाल याओ जाति में छोटी उम्र की युवतियां मुख्यतः हाथ से बुने लाल खादी कपड़े से तैयार पोशाक पहनती हैं, बड़ी होने पर वे कसीदे किये कपड़े पहनती हैं और दादी बनने के बाद काले कपड़े। लाल याओ जाति की हरेक महिला कसीदा करने में निपुण होती है। उन के द्वारा तैयार आकृतियां अत्यंत सजीव दिखती हैं। इस जाति की महिलाएं सुंदर रंगीन साफों के अलावा चांदी के आभूषण भी बहुत पसंद करती हैं। युवती हो या वृद्धा सभी चांदी के बाले पहनने की शौकीन हैं। उनके लिए सिर पर चांदी की छोटी कंघी लगाना भी जरूरी होता है। याओ जाति की महिलाओं की विशेष पहचान ने देशी-विदेशी पर्यटकों को आकर्षित किया है। दक्षिण अफ्रीका से आये पर्यटक व्येन लीग ने कहा

लुंग ची क्षेत्र में विभिन्न चीनी अल्पसंख्यक जातियां देखने को मिलती हैं। उन की अपनी पुरानी परम्पराएं बरकरार हैं। उन के लोकगीत भी बड़े मधुर हैं। यहां की चावल की मदिरा भी बहुत सुगंधित होती है। यह जगह बहुत सुंदर और अनुपम है । 

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