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दक्षिणी चिनच्यांग का शहर हत्येन
2012-11-21 10:42:37
 दोस्तो, आप ने सिनच्यांग के दौरे के हमारे कार्यक्रम में एक छोटे शहर हथ्येन का नाम सुना होगा। शायद आप को यह भी मालूम हो कि उत्तर-पश्चिमी चीन के सिंच्यांग वेवुर स्वायत्त प्रदेश में स्थित यह शहर प्राचीन रेशम मार्ग का महत्वपूर्ण कस्बा और जेड का उत्पादक होने की वजह से विश्वविख्यात है। आज के चीन का भ्रमण कार्यक्रम में हम आप के साथ यह प्रसिद्ध शहर देखने चलते हैं।

हथ्येन शहर सिन्च्यांग वेवुर स्वायत्त प्रदेश के दक्षिणी भाग में स्थित है। इस का पुराना नाम यूथ्येन था। हम सिंच्यांग वेवुर स्वायत्त प्रदेश के प्रसिद्ध तारिम बेसिन में 5 सौ 22 किलोमीटर लम्बी रेगिस्तानी सड़क नापने के बाद बेसिन के दक्षिणी भाग में स्थित हथ्येन पहुंचे। इस छोटे से शहर के अधिकतर निवासी इस्लाम धर्म पर विश्वास करने वाले वेवुर लोग हैं। यह चीन में बौद्ध धर्म के प्रसार का पुराना केंद्र भी रहा। इतिहासविदों के अनुसार यूथ्येन पूर्व व पश्चिम को जोड़ने वाले रेशम मार्ग का एक महत्वपूर्ण कस्बा था और भारत से चीन में बौद्ध धर्म के प्रचार- प्रसार का प्रथम पड़ाव भी। बौद्ध धर्म ईसापूर्व पहली शताब्दी में भारत से चीन के हथ्येन आया। उस समय बौद्ध धर्म के अपने उत्थान पर होने के चलते हथ्येन के सभी निवासी इस धर्म पर विश्वास करने लगे और हथ्येन बाहर के अनगिनत भिक्षुओं और विद्वानों का आकर्षण केंद्र बना। आज चीन के भीतरी इलाकों में सुरक्षित चीनी भाषा में अनुदित अनेक महत्वपूर्ण बौद्ध सूत्रों की मूल रचनाएं इसी क्षेत्र में पायी जाती हैं। इतना ही नहीं, इस क्षेत्र की खुदाई में बड़ी तादाद में मिले बौद्ध धर्म के भवनों के खंडहर और बौद्ध धर्म की हजार साल पुरानी सांस्कृतिक कृतियां भी बेहद आश्चर्यजनक हैं। हथ्येन में रहने वाली सुश्री त्वानली ने बड़े गर्व के साथ हथ्येन के पास स्थित प्राचीन शहर निया का परिचय दिया

कोई दो हजार दो सौ वर्ष पहले के हान राजवंश काल के ऐतिहासिक ग्रंथ में प्राचीन शहर हथ्येन का उल्लेख मिलता है। पिछली शताब्दी के तीस वाले दशक में एक अंग्रेज ने ताकलामाकन रेगिस्तान के सर्वेक्षण के दौरान निया के खंडहरों का पता लगाया।

हथ्येन का सब से प्रसिद्ध ऐतिहासिक सांस्कृतिक दर्शनीय स्थल पूर्व के पाम्पाई नगर के नाम से मशहूर निया का खंडहर ही है। निया आज से दो हजार साल पहले प्राचीन रेशम मार्ग के दक्षिणी पथ पर स्थित एक रौनकभरा नगर था। अज्ञात कारणों से यह प्राचीन शहर एक ही रात में नष्ट हो कर लुप्त हो गया। निया के खंडहरों में अब तक बहुत से मकान उसी हालत में सुरक्षित हैं, जिस हालत में उन के मालिक उन्हें त्याग कर चले गए थे। किसी मकान की खिड़की अधखुली हालत में है, तो किसी का दरवाजा खुला दिखता है। लगता है कि उन के मालिक किसी भी क्षण वापस आ सकते हैं।

हालांकि यह प्राचीन रौनकदार शहर एक ही रात में लुप्त हो गया, पर रेतों में दबा इसका खंडहर आज तक लोगों को एक मर्मस्पर्शी कहानी सुनाता है। हथ्येन में रेशम उद्योग फलता-फूलता देखा जा सकता है। एक रेशमी कपड़ा मिल में हमारी मुलाकात एक पाकिस्तानी पर्यटक नौनिहल शाह से हुई। उन्हों ने बताया

पाकिस्तान सिन्यांग के बहुत नजदीक है। यहां बनी रेशम की कालीनें जैसी कलात्मक वस्तुएं बहुत पहले से हमारे देश में चर्चित रही हैं। मुझे याद है कि हमारे यहां किसी परिवार में यहां का रेशमी कालीन होना बड़े गर्व की बात मानी जाती थी। इस मिल में मैं इतने अधिक सुंदर रेशमी उत्पाद देखकर बहुत प्रभावित हुआ हूं। जी हां, हथ्येन में उत्पादित उच्च कोटि के रेशम उत्पाद रेशम मार्ग के पास के बहुत से देशों में बेचे जाते हैं।

हथ्येन में उत्पादित रेशम की वस्तुओं को विदेशों में तो दाद मिलती ही है, इस क्षेत्र में उत्पादित जेड भी कम मशहूर नहीं है।

हथ्येन चीन का नामी जेड उत्पादक है। जेड पत्थर चीन में अत्यन्त कीमती और निराला माना जाता है, जो शुद्धता, समृद्धि और शुभता का प्रतीक है। चीन के सभी सामंती सम्राटों की मुहरें हथ्येन के जेड से बनाई गईं। हथ्येन आने वाले सभी चीनी और विदेशी स्थानीय जेड वर्कशापों का दौरा करते हैं। वे खुद अपनी आंखों से जेड पर तराशी होते देखते हैं एवं जेड का कोई न कोई शिल्प खरीद कर ही वापस जाते हैं। यहां के जेड के शिल्प समूचे चीन में ही नहीं, स्वीडन, इटली, ब्रिटेन और फ्रांस आदि देशों में भी बेचे जाते हैं। हथ्येन के जेड के शौकिया संग्राहक वांग खुन ने बताया

हथ्येन में उत्पादित जेड चीन में ही नहीं, सारी दुनिया में विख्यात हैं। यहां के जेड विश्व के सब से शुद्ध अपारदर्शी जेड माने जाते हैं। हम हथ्येन वासी अपने यहां उत्पादित जेडों पर बड़ा गर्व महसूसते हैं। हम अपने घरों में जेड की वस्तु का होना सम्मान की बात समझते हैं। श्री वांग ने कहा कि हथ्येन जेड की दो किस्में होती हैं, एक किस्म के जेड वे हैं जो खुनलुन पर्वत के हिमगर्भ में करोड़ों वर्षों से दबे रहे हैं और दूसरे वे जो पहाड़ों से निकलने वाली जल में हजारों वर्षों तक डूबे रहे। इस से जेड पत्थर के रंग में अतुल्य कोमलता आती है। हथ्येन के जेड अपारदर्शी होते हैं और हाथ में लेने पर किसी कुमारी के हाथ का आभास देते हैं।

चीनी लोगों की मान्यता है कि जेड सुशील और स्वच्छ स्वभाव के प्रतिनिधि हैं और उत्तम और श्रेष्ठ व्यक्तित्व के प्रतीक भी। इस बारे में शिल्पकार श्री मा श्वी वु को गहरा अनुभव है। उन्हों ने बताया कि जेड में पांच श्रेष्ठ तत्व होते हैं, जिन में स्वच्छता और स्पष्टता प्रमुख है। जेड नक्काशी का काम करने वाले शिल्पकारों का भी चरित्र श्रेष्ठ होना चाहिए। भद्रता और ईमानदारी किसी भी काम के लिए जरूरी होती है। मैं अपने शिष्यों को बराबर बताता हूं कि हमें बेईमानी से पैसा कमाने से हमेशा दूर रहना चाहिए।

इस साल शिल्पकार मा श्वे वु की उम्र 48 साल है।वे बाल्यावस्था से ही मिट्टी से बिल्ली व कुत्ते की मूर्ति बनाने के शौकीन थे। स्कूल में वे सब से तेज और होशियार विद्यार्थी रहे और उन्हें तब कागज पर चित्र खींचना बहुत पसंद था। उनके पिता ने उनका यह शौक देख कर उन्हें जेड नक्काशी सीखने भेजा। इस तरह मा श्वे वु सुप्रसिद्ध जेड शिल्पकार हान चील्यांग के शिष्य बने। श्री हान ची ल्यांग अतीत में पेइचिंग के राजप्रासाद में जेड नक्काशी कर चुके थे। उन की कलाकृतियों में शाही दरबार की शान दिखती है। उन से मा श्वी वु ने जेड नक्काशी की शाही शैली सीखी। पिछली शताब्दी के अस्सी वाले दशक से चीन में जेड नक्काशी का काम फिर जोरों से विकसित हुआ तो श्री मा श्वी वु ने अपना वर्कशाप स्थापित किया और दो जेड पत्थरों के आधार पर अपना निजी जेड नक्काशी उद्योग शुरू किया।

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