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दलाई लामा की जापान यात्रा से उन की देशद्रोही वाले चेहरे का पर्दाफाश
2012-11-14 17:07:08

राजनीतिक निर्वासित शख्य दलाई लामा ने हाल ही में जापान की दस दिवसीय यात्रा की। यात्रा के दौरान उन्होंने कुछ जापानी राजनीतिक व्यक्तियों से मुलाकातें कीं और अनेक बार चीन विरोधी भाषण भी दिए जिसे दक्षिणपंथी जापानियों से समर्थन मिला। दलाई लामा लम्बे अरसे से देश का विभाजन करने की कार्यवाहियोंमें लिप्त रहे हैं और धार्मिक नेता की आड़ में चीन का विरोध करने वाली विदेशी शक्तियों के साथ मिलीभगत करते रहे हैं। चीन सरकार हमेशा उन की पृथक्कवादी कार्यवाहियों का डटकर विरोध करती आयी है और चीनी विदेश मंत्रालय ने अनेक मौकों पर स्पष्ट कर दिया है कि तिब्बत सवाल बिलकुल चीन का आंतरिक मामला है। जापान में दलाई की कुत्सित हरकतों से साबित हुआ है कि वे धार्मिक बहाने से चीन का विभाजन करने वाला एक देशद्रोही है।

असल में दलाई लामा की मौजूदा जापान यात्रा से पहले उन की कई बार जापान यात्रा हो गयी थी। लेकिन वर्तमान समय में चीन जापान संबंध संवेदनशील काल में आया है, ऐसे में उन की इस दस दिन की लम्बी जापान यात्रा के पीछे निश्चय ही उन की कुचेष्टा छिपी हुई है। इसे लेकर चीन के शांगहाई अन्तरराष्ट्रीय मामला अध्ययन केन्द्र के दक्षिण एशिया व मध्य एशिया अनुसंधान प्रतिष्ठान के प्रमुख वांग ते ह्वा ने संवाददाताओं के साथ बातचीत में कहाः

दलाई लामा ने पिछले साल तथाकथित निर्वासित सरकार के प्रमुख का पद त्याग दिया था। किन्तु उन की राजनीतिक कार्यवाही पहले से भी कहीं सक्रिय बढ़ी है, अन्तरराष्ट्रीय समर्थन, खासकर जापान से समर्थन पाने के लिए वे और दौड़धूप करने लगे। चूंकि जापान के साथ उन का गहरा संबंध है, विशेषकर जापान की दक्षिणपंथी शक्तियों और जापान की आतंकवादी शक्ति ओम शिनरी क्यो के साथ उन की खास रिश्ता है, दलाई लामा ही ने ओम शिनरी क्यो का नामकरण किया था। अब दलाई इस मौके, जब कि त्याओयू द्वीप सवाल के कारण चीन और जापान के बीच संबंध तनाव में पड़े हैं, का बेजा फायदा लेकर जापान से समर्थन पाने की कोशिश में हैं, यात्रा के दौरान उन्होंने जापान की चापलुसी करने में कोई कसूर नहीं छोड़ा, उन की चाह है कि इससे तिब्बतियों व तिब्बत की स्वतंत्रता के लिए जापान से हिमायत हासिल हो।

अपनी मौजूदा यात्रा के दौरान दलाई लामा ने अनेक धार्मिक गतिविधियां कीं, योगोहामा में उन्होंने एक पत्रकार सम्मेलन बुलाया, जिसमें उन्होंने त्याओयू द्वीप को सेन्काकू द्वीप समूह करार कर दिया। ओकिनावा में उन्होंने अंग्रेजी भाषा में बयान दिया और जापानी सीनेट में भी भाषण दिया। इन कार्यवाहियों का विश्लेषण करते हुए श्री वांग तेह्वा ने कहा कि दलाई चाहते हैं कि इन के जरिए वे राजनीतिक तौर पर अपना उल्लू सिद्ध कर सकेंगे। श्री वांग का कहना हैः

मेरे विचार में वे अपने तथाकथित तिब्बत स्वाधीनता कार्य के लिए ज्यादा समर्थन व सहानुभूति प्राप्त करने की हरचंद कोशिश कर रहे हैं, बेशक, इससे वे धन दौलत या अन्य कुछ चीजें भी हासिल करना चाहते हैं। साथ ही वे आम लोगों का समर्थन मिलना भी चाहते हैं।

13 नवम्बर की सुबहा, दलाई लामा ने जापान के सीनेत भवन में भाषण दिया, जिसमें 140 जापानी सांसद उपस्थित थे। मौके पर उपस्थित सांसदों ने तिब्बत समर्थक सांसद गठबंधन भी स्थापित किया । इसपर श्री वांग तेह्वा का कहना है कि जापानी दक्षिणपंथियों की यह कोशिश बिलकुल ख्याली पुलाव सैबित होगी।

दलाई लाम मामला और तिब्बत मसला हमेशा पश्चिम के हाथों में एक पत्ता रहा है। अब जापान भी उसे अपने हाथ में लेना चाहता है और कोशिश करता है कि दलाई जैसे इस पत्ते के जरिए त्याओयू द्वीप सवाल पर चीन पर दबाव डालेगा। जापान का यह मकसद भी है कि चीन का विभाजन किया जाए। वास्तव में अब जापान की राजनीति दक्षिणपंथी बनने जा रही है और जापान का सैन्यवादी साया अभी दूर नहीं हुआ है, वे दलाई लामा से मदद पाकर अपना लक्ष्य पूरा करने का दिवास्वप्न देख रहे हैं।

उसी दिन, जब दलाई लामा जापान के सीनेट भवन में बोल रहे थे, चीनी विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट शब्दों में यह कहा कि चीन किसी भी देश या किसी भी व्यक्ति द्वारा दलाई लामा की चीन विरोधी कार्यवाही को समर्थन देने का दृढ़ विरोध करता है। जापानी दक्षिणपंथी शक्ति खुले तौर पर दलाई लामा की चीन विरोधी कार्यवाहियों का समर्थन करती हैं, इसकी चीन कड़ी निन्दा करता है।

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