चीनी विदेश मंत्री यांग च्येछी ने 31 अक्तूबर को पेइचिंग में सीरिया सवाल के लिए संयुक्त राष्ट्र-अरब लीग के विशेष प्रतिनिधि लखदार ब्राहिमी के साथ वार्ता की। चीनी पक्ष ने सीरिया सवाल के राजनीतिक समाधान को बढ़ावा देने के लिए चार ठोस सुझाव पेश किए जिसमें सीरिया के सभी पक्षों के बीच फायरबंदी और हिंसा की रोकथाम, राजनीतिक संक्रमण के बारे में रोड मैप को जल्द से जल्द बनाना, विशेष प्रतिनिधि ब्राहिमी के मध्यस्थता कार्य का पूरा अन्तरराष्ट्रीय समर्थन और कारगर कदम से सीरिया में मानवीय संकट से निपटना जैसे विषय शामिल हैं। संबंधित विशेषज्ञों का कहना है कि हालांकि अभी सीरिया में हिंसक कार्यवाही नहीं रूकी हैं, किन्तु बाहरी सैनिक हस्ताक्षेप का त्याग करने की संभावना है। इस प्रकार चीन ने जो चार सूत्रीय सुझाव पेश किया है, वह चीन के रूख को मूर्त रूप देगा और ब्राहिमी के मध्यस्थता प्रयास के लिए प्रबल समर्थन भी है।
सीरिया संकट हुए अब 19 महीने हो चुके हैं, इस के दौरान चीन सीरिया सवाल के बारे में प्रस्तुत अपने छह सूत्रीय सुझावों में हो, अथवा हर बार के सलाह व वार्ता में, हमेशा फायरबंदी और हिंसा की रोकथाम को अहम प्रस्ताव के रूप में प्रस्तुत किया करता है। इसबार ब्राहिमी के साथ वार्ता में चीन ने फिर से यह प्रस्ताव पेश किया और उसे मूर्त रूप भी दिया गया यानिकी अलग अलग इलाके में और चरणों में प्रभावकारी तौर पर फायरबंदी लागू की जाए, इसके बाद फायरबंदी क्षेत्र का विस्तार किया जाए, विरोधी पक्षों को एक दूसरे से अलग कर दिया जाए और अंत में पूरे देश में सभी प्रकार की सशस्त्र मुठभेड़ों और हिंसक कार्यवाहियों का अंत कर दिया जाए।
मध्य पूर्व सवाल के विशेषज्ञ, ईरान स्थित पूर्व चीनी राजदूत श्री ह्वा लिमिंग के अनुसार चीन का यह प्रस्ताव समयानुकूल और प्रासंगिक है, इस का कारण यह है कि यद्यपि सीरिया में विभिन्न युद्धरत पक्षों में समझौता बनाना मुश्किल है, तथापि पश्चिम ने सीरिया में फौजी दखलंदाजी करने का रूख त्याग दिया है और सीरिया की स्थिति राजनीतिक समाधान की दिशा में बढ़ने लगी है। उन्होंने कहाः
अमेरिका फौजी दखलंदाजी का अपना विकल्प छोड़ चुका है। सीरिया के विरोधी पक्ष के अन्य कुछ समर्थक सऊदी अरब और कतर आदि भी सिर्फ पैसा मुहिया करते है, जबकि सीरियाई विरोधी पक्ष के कट्टर समर्थक तुर्की अकेले कुछ खास कर नहीं सकता। सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्य
और विश्व के बड़े देश के रूप में चीन ने सीरिया सवाल पर अपने प्रस्ताव पेश किए और ब्राहिमी को चीन की यात्रा पर आमंत्रित किया, जिससे जाहिर है कि चीन इस मामले में अपनी सकारात्मक भूमिका अदा कर रहा है।
चीन के प्रस्ताव में यह सुझाव दिया गया है कि सीरिया के संबंधित पक्ष अपना अपना पूर्णाधिकार प्राप्त प्रतिनिधि भेजें और विशेष प्रतिनिधि ब्राहिमी और अन्तरराष्ट्रीय समुदाय की मदद में राजनीतिक संक्रमण का रोड मैप बनाने पर सलाह मशविरा करें। इस पर पेइचिंग विदेशी भाषा विश्वविद्यालय के प्रोफेसर श्वो क्वोछिंग ने कहा कि सीरिया सवाल पर चीन हमेशा मामले के राजनीतिक समाधान केलिए सभी हितकारी उपायों का समर्थन करता आया है, चीन एक पक्ष का समर्थन, दूसरे पक्ष का विरोध करने का रूख कभी भी नहीं अपनाता।
अब तक सीरिया सरकार को देश में कुछ जनता का समर्थन मिलता रहा है। वस्तुगत दृष्टि से देखा जाए, तो सीरिया में राज्यतंत्र की निरंतरता बनी रहना भी उचित है, सरकार के प्रमुख नेता बदले जा सकते है, किन्तु देश का राज्यतंत्र पूर्ण रूप में नहीं तोड़ा जाना चाहिए। विपरीत उदाहरण के रूप में ईराक को ले लें, वहां राज्यतंत्र पूरी तरह तोड़ा गया, सेना, पुलिस और सरकार सभी भंग की गयी थी, जिससे वहां की सत्ता रिक्त होने की हालात हुई और सत्ता छीनने केलिए विभिन्न पक्षों में संघर्ष चल रहा है, इसका नदीजा खतरनाक होगा। सीरिया में सत्ता की निरंतरता बनाए रखना समुचित भी है और इस का जनाधार भी है।
सीरिया संकट से कई लाख सीरियाई लोग शरणार्थी बनें और उन की स्थिति अत्यन्त दूभर पड़ी। इस के बारे में चीन ने अपने प्रस्ताव में कहा कि शरणार्थी सवाल का राजनीतिकरण करना ठीक नहीं है, मानवीय सहायता को सैनिक प्रयोग के लिए नहीं बनाया जाना चाहिए। प्रोफेसर श्वो ने कहा कि तुर्की में भागे शरणार्थियों को बशर सत्ता के खिलाफ इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे सीरिया व तुर्की के संबंधों में तनाव बढ़ा है।
श्री ह्वा लीमिंग के अनुसार चीनी प्रस्ताव सीरियाई जनता के हितों व मध्यपूर्व की शांति के हित में पेश किया गया है । उन्होंने कहाः
इस साल के शुरू में सुरक्षा परिषद में पश्चिम व सऊदी अरब के प्रस्ताव मसौदे पर मतदान में चीन ने वीटो दिया, इसे अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को चीन के रूख पर गलतफहमी हुई और चीन की आलोचना की गयी। लेकिन आधा साल बाद, अब अन्तरराष्ट्रीय समुदाय समझ गया है कि चीन का रूख जिम्मेदाराना है, चीन के वीटो से लीबिया युद्ध की स्थिति सीरिया में नहीं दोहरायी गयी और अब राजनीतिक समाधान की आस भी प्रकट हुई है। चीन चाहता है कि ब्राहिमी इस मौके का लाभ उठाकर निरंतर प्रयास करते रहेंगे और चीन उन का पूर्ण समर्थन करता रहेगा।