फिलहाल, विदेशी मिडिया में यह बहुचर्चा हो रही है कि अमेरिका मौद्रिक युद्ध बढ़ा रहा है अर्थात वह चीन जापान मुठभेड़ का बेजा फायदा उठाकर चल पूंजी को चीन से निकलवाने की कोशिश में है ताकि चीनी मुद्रा के अंतरराष्ट्रीकरण की गति रोकी जाए।
विश्व में वित्तीय संकट पैदा होने के बाद यह आम अनुमान चल रहा है कि 2020 तक चीन आर्थिक विकास के क्षेत्र में अमेरिका से आगे निकलेगा और विश्व में सब से बड़ी स्वतंत्र अर्थव्यवस्था बन जाएगा। इसी प्रकार के अंदाजे के आधार पर लोग समझते हैं कि 2020 तक चीन की मुद्रा रनमिबी की शक्ति अमेरिकी डालर के बरोबर होगी और अन्तरराष्ट्रीय मौद्रिक व्यवस्था में प्रमुख मुद्रा बनेगी। इस परिकल्पना से प्रेरित होकर कुछ चीनी व विदेशी विद्वानों, नीति नियामकों और पूंजी निवेशकों ने चीनी मुद्रा रनमिनबी के अन्तरराष्ट्रीकरण का एक ऐसा शानदार रूपरेखा खींचा है जिस की पृष्ठभूमि में चीन व अमेरिका के बीच मौद्रिक युद्ध छिड़ने की संभावना है, क्योंकि ये लोग मानते हैं कि अन्तरराष्ट्रीय मौद्रिक व्यवस्था का सौ सालों का इतिहास लोह व लहू से सना हुआ युद्ध का इतिहास है और कुंजीभूत अन्तरराष्ट्रीय मुद्रा का बदलाव अन्तरराष्ट्रीय राजनीतिक व्यवस्था में सत्ता की तब्दील के साथ साथ होता है।
बेशक, विश्व के सब से बड़ी नवोदित अर्थव्यवस्था चीन के तेज विकास और विश्व की वर्तमान सबसे बड़ी विकसित अर्थव्यवस्था अमेरिका के आर्थिक ह्रास से यह जाहिर हो सकता है कि अन्तरराष्ट्रीय व्यवस्था में सत्ता का केन्द्र युगांतरकारी तौर पर बदल रहा होगा। दरअसल, चीन के आर्थिक पैमाने के निरंतर तेज विस्तार के परिणामस्वरूप चीन का बाजार उस के पड़ोसी देशों और सारी दुनिया तक के लिए एक प्रबल आकर्षण बन गया है और चीनी मुद्रा के रनमिनबी देश से बाहर चलकर अन्तरराष्ट्रीय बाजार में स्वीकृत होने का रूझान आया है।
फिर भी, अन्तरराष्ट्रीय मौद्रिक विकास के इतिहास की दृष्टि से रनमिनबी का कब और किस स्तर पर अन्तरराष्ट्रीय रिजर्व मुद्रा बन जाना केवल चीन के आर्थिक विकास के पैमाने, चीन की अपनी नीतिगत इच्छा तथा अन्तरराष्ट्रीय विद्वानों की परिकल्पना पर निर्भर नहीं करेगा। रनमिनबी का अन्तरराष्ट्रीकरण मुख्यतः खुले चीनी बाजार के विकास व सुधार की प्रगति पर निर्भर करता है। चीनी जन बैंक के उप गवर्नर ई कांग ने हाल ही में आई एम एफ वार्षिक सम्मेलन में बताया कि रनमिनबी के अन्तरराष्ट्रीकरण की गति रनमिनबी के प्रति अन्तरराष्ट्रीय बाजार की मांग पर निर्भर करती है, इस की विकास प्रक्रिया बाजार के नियमों के मुताबिक होगी और इस का स्तर चीन के व्यापार व निवेश की अन्तरराष्ट्रीकृत गहराई व व्यापकता पर आधारित है।
खासकर यह गौरतलब है कि चीन में सुधार व खुले द्वार का कार्य शीतयुद्ध काल में शुरू हुआ है तथा प्रशांत महासागर के एक गर्म जल प्रवाह की भांति समुद्रतटीय क्षेत्रों के मौसम को प्रभावित करता है, पिछले 30 सालों में चीन के चलते प्रशांत क्षेत्र विश्व का सब से बड़ा कंटेक्टर परिवहन का क्षेत्र बन गया। इसी के दौरान चीन विश्व उद्योग का केन्द्र बन गया, साथ ही साथ चीन विश्व में मालों, जन संसाधन और पूंजी के लेनदेन केन्द्र की भूमिका अदा करने लगा। इस का अर्थ यह हुआ है कि चीन ने एक ऐसा काल विकसित कर दिया है जिसमें विश्व अर्थव्यवस्थाएं एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं और एक दूसरे पर निर्भर करती हैं। ऐसे ही काल में चीन का बाजार आश्चर्यचकित तेज गति से विकसित हो रहा है और वह विश्व बाजार का एक अभिन्न अंग बन गया है। यदि चीन के शेयर बाजार और हांगकांग शेयर बाजार की कुल पूंजी रकम को जोड़ा गया, तो चीन का शेयर बाजार विश्व में नम्बर एक होगा। यदि चीन के शांगहाई, जङचाओ व ताल्यान के वायदा बाजारों को मिलाया जाए, तो चीन का यह बाजार भी विश्व के प्रथम स्थान पर है। इन दोनों के अलावा चीन के पास 30 खरब अमेरिकी डालर का विदेशी मुद्रा भंडार भी है और 40 खरब चीनी य्वान का रणनीतिक पूंजी निवेश भी, जो विश्व के आर्थिक विकास से सीधा जुड़ा हुआ है।
पिछले 30 सालों में चीन का निर्माण, चीन का निवेश, चीन का बाजार, चीन की पूंजी और चीन की श्रमशक्ति विश्व में स्वीकृत होने के बाद विश्व अर्थव्यवस्था की इंजन बन गयी है जिससे विश्व अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली है, ऐसे में विश्व चीनी मुद्रा व उस का अन्तरराष्ट्रीकरण स्वीकार कर लेने लगा है । असल में 2011 जनवरी में चीनी और अमेरिकी नेताओं के संयुक्त वकतव्य में अमेरिका ने कहा है कि वह अन्तरराष्ट्रीय व्यापार व वित्तीय क्षेत्र में व्यापक प्रयोग के रूप में रनमिनबी का मध्य काल तक अन्तरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का एस डी आर मुद्रा बनने के लिए
समर्थन करेगा। चीन विश्व के साथ मिल जुड़ होने के दौरान रनमिनबी का अन्तरराष्ट्रीकरण बाजार व विश्व की शांति पर निर्भर करता है, अतीत का युद्ध से बदल देने का रास्ता बंद होना होगा। यानी अब मानव जाति मौद्रिक मामले में युद्ध का त्याग कर देगी। अमेरिका की मौद्रिक युद्ध के जरिए चीनी मुद्रा के अन्तरराष्ट्रीकरण को रोकने की कोशिश अवश्य विफल होगी।