कू लांग यू दक्षिण-पूर्वी चीन के फू च्येन प्रांत के शामन शहर के दक्षिण-पश्चिमी भाग में खड़ा है। इस द्वीप पर कदम रखते ही आप प्यानो की आवाज सुन सकते हैं। 1976 में निर्मित कू लांग यू घाट एक तिकोने प्यानो का रूप लिये हुए है।
कू लांग यू द्वीप बहुत बड़ा नहीं है। इसका क्षेत्रफल 17 हजार वर्गकिलोमीटर से कुछ अधिक है और आबादी बीस हजार से भी कम। पर इतनी कम आबादी के बीच यहां पांच सौ से अधिक प्यानो हैं, यानी औसतन यहां के हर 40 निवासियों के पास एक प्यानो है। यह आंकड़ा चीन में ही नहीं, विश्व में भी कम दिखता है। यहां सुबह-शाम जब भी आप किसी बड़ी सड़क या संकरी गली से गुजरते हैं, हर तरफ प्यानो की आवाज सुन सकते हैं। हमारी गाइड सुश्री यांग येन ने बताया
आमतौर पर पर्यटक दोपहर को कू लांग यू द्वीप पहुंचते हैं, पर उस समय स्थानीय निवासी काम पर गये होते हैं। ऐसे में केवल सुबह या शाम ही प्यानो की मधुर आवाज सुनी जा सकती है। तब आप इस द्वीप की किसी भी जगह पर प्यानो की सुरीली आवाज सुन सकते हैं।
आखिर पश्चिमी वाद्य प्यानो का प्रचार इस छोटे द्वीप के आम निवासियों के बीच हुआ कैसे। इस सवाल का जवाब खोजने पर पता चला कि कू लांग यू द्वीप का प्यानो के साथ रिश्ता 19 वीं शताब्दी के मध्य काल में तब जुड़ा जब ईसाई धर्म का यहां प्रचार-प्रसार शुरू हुआ। तब पश्चिमी पादरी अक्सर कू लांग द्वीप के गिरजों में धार्मिक आयोजन करते और पवित्र बाइबल गाकर सुनाते थे। ईसाई धर्म संघ ने द्वीप में कुछ स्कूल स्थापित कर ऐसे गानों को पाठ्यक्रम से भी जोड़ा। इससे धीरे-धीरे द्वीप के स्थानीय निवासियों के बीच पश्चिमी संगीत का प्रचार-प्रसार होने लगा।
आज कू लांग यू द्वीप में बहुत से ऐसे परिवार देखे जा सकते हैं, जिन के अधिकतर सदस्य प्यानो बजाने में निपुण हैं या फिर संगीतज्ञ हैं । सुश्री यांग येन ने बताया कि सप्ताहांत या छुट्टियों के दिन इन परिवारों के सदस्य एकत्र होकर छोटी पारिवारिक संगीत सभाएं भी आयोजित करते हैं।उन्होंने कहा
कू लांग यू द्वीप में ऐसे परिवारों की बहुतायत है जिनमें मां-बाप संगीत के भारी शौकीन हैं और बच्चे प्यानो बजाने में दक्ष। रात को एक साथ बैठकर उनमें से कुछ वायलिन बजाते हैं तो कुछ प्यानो की धुन पर पश्चिमी शैली के गाने गाते हैं। इस प्रकार की छोटी पारिवारिक संगीत सभाओं में बच्चों के अलावा उनके दादा-दादी, माता- पिता भी बड़ी खुशी से भाग लेकर खुले दिल से अपनी संगीत प्रतिभा दिखाते हैं। इनका माहौल अत्यंत रसिक व आनन्ददायी होता है।
लम्बे अर्से से संगीत के प्रभाव के चलते ही शायद कू लांग यू द्वीप में वाहनों का शोरगुल नहीं मालूम देता और समुद्री हवा, लहरों व प्यानो की ही आवाज सुन पड़ती है। कू लांग यू की रौनक व चहल-पहल भरी सड़कों पर भी शोर नहीं सुनाई पड़ता, बल्कि एक अपूर्व शांति का आभास होता है। सड़कों के किनारे खड़ी दुकानों के मालिक बड़े आराम से अपनी दुकान में बैठे चुपचाप सड़क से गुजरती भीड़ को देखते हैं और जब लोग उनकी दुकान में प्रवेश करते हैं, तो वे तुरंत उठ खड़े होकर उनका स्वागत करते हैं।
कू लांग यू द्वीप का प्यानो संगर्हालय भी बहुत चर्चित है। एक पहाड़ की तलहटी में स्थापित यह संग्रहालय वर्तमान चीन का ऐसा अकेला संग्रहालय है, जहां ब्रिटेन , फ्रांस , जर्मनी , अमरीका, औस्ट्रिया और औस्ट्रेलिया आदि देशों के 70 से ज्यादा दुर्लभ प्यानो प्रदर्शित हैं।
प्यानो संग्रहालय की गाइड सुश्री फान श्वांग येन ने इस स्वचालित प्यानो का परिचय देते हुए कहा तब के खानदानी अमीरों की उन बेटियों के लिए इस प्रकार के प्यानो तैयार किये जाते थे, जिन्हें प्यानो बजाना बिल्कुल नहीं आता था। इस प्रकार का प्यानो बजाने में दोनों हाथों से उसके परदे दबाने की जरूरत नहीं होती, बल्ति वादक अपने पैरों के जरिये ही प्यानो से मधुर धुन निकाल सकता है। बेशक, यह खुद के मनोरंजन का एक अच्छा साधन है।
स्वचालित प्यानो के अतिरिक्त इस संग्रहालय में और बहुत से मूल्यवान प्यानो भी सुरक्षित हैं। इनमें 19 वीं शताब्दी के मध्य काल में जर्मनी में हाथी दांत से बना प्यानो, विश्व का सब से विशाल चौकोना प्यानो आदि शामिल हैं। यहां सुरक्षित बेशकीमती प्यानो पर्यटकों को मोहे रखते हैं। पर्यटक सुश्री वेइ यू यू ने कहा
मैं संगीत शास्त्र की छात्रा हूं। मुझे प्यानो से विशेष लगाव है। आज मुझे प्यानो के बारे में इतनी अधिक जानकारी पा कर बड़ी खुशी हुई। इस प्यानो संग्रहालय में मैं ने जो कुछ देखा,सुना व सीखा, वह मेरे लिए बहुत मूल्यवान है। कू लांग यू द्वीप की यात्रा मेरे लिए एक बड़ा सुखद और अविस्मरणीय अनुभव है।