मुझे लगता है कि यह इमारत अपने ही ढंग की है। तब के चीन में यह अपनी असाधारण विशेषता के चलते बहुत नामी रही। यह इमारत हमेशा से मुझे आकर्षित करती आयी है, क्योंकि इससे मुझे चीनी इतिहास का आभास मिलता रहा है।
यह बात कही ल्यू आइ लिन नामक एक पर्यटक ने। उन्होंने जिस इमारत का उल्लेख किया, वह मध्य पेइचिंग की चार मई सड़क के नम्बर 29 अंकित भाग पर स्थित पेइचिंग विश्वविद्यालय का पुराना स्थल हुंग लऔ या लाल भवन है। हुंग लऔ में कभी पेइचिंग विश्वविद्यालय का मुख्यालय, पुस्तकालय और साहित्य कालेज हुआ करता था और यह चार मई 1919 के क्रांतिकारी आंदोलन का उद्गम स्थल भी रहा। दक्षिण की ओर खड़ी इस 87 वर्ष पुरानी चार मंजिला इमारत का डिजाइन एक पुर्तगाली इंजीनियर ने तैयार किया था, इसीलिये इस पर पश्चिमी वास्तुशैली की गहरी छाप है और यह तत्कालीन पेइचिंग का सब से आधुनिक भवन माना जाता रहा। पेइचिंग विश्वविद्यालय कब का पेइचिंग के पश्चिमी उपनगर में स्थानांतरित हो चुका है तथा चीन के सब से विश्वविख्यात विश्वविद्यालयों में से एक की मान्यता पा चुका है और हुंगलऔ राजकीय सांस्कृतिक अवशेष और चीन के नव सांस्कृतिक आंदोलन के स्मृति भवन के रूप में संरक्षित है।
हमारे गाइड सुश्री त्वान तुंग तुंग ने हुंग लऔ के बारे में बताया कि यह नीचे से ऊपर तक लाल पत्थरों से निर्मित है, इसीलिये लोग इसे हुंग लऔ यानी लाल भवन के नाम से पुकारते रहे हैं।
दरअसल यह इमारत पिछले अनेक वर्षों से यदि लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी रही है तो उस का कारण इसका लाल रंग ही नहीं है, वहां काम या अध्ययन कर चुकी हस्तियां भी हैं। इन हस्तियों ने जिस आदर्श व परिश्रम से यहां विभिन्न खोजें कीं, उनका हुंग लऔ में पढ़ने वाले छात्रों पर ही नहीं , चीनी इतिहास पर भी भारी प्रभाव पड़ा। हुंग लऔ स्मृति भवन की उप प्रधान सुश्री क्वो चुन इंग ने बताया कि कभी हुंगलऔ में चीन के अनेक प्रगतिशील विचारक व इतिहास पुरुष एकत्रित थे।
उन्होंने कहा कि हुंगलऔ ने पेइचिंग विश्वविद्यालय को नये विचारों व नये विभूतियों को जन्म देने वाला स्थल बनाया। इस तरह एक अद्भुत ओजस्वी विश्वविद्यालय प्रकाश में आया। यहां एकत्र बहुत से प्रगतिशील बुद्धिजीवी चीन के सुधार में जुटे थे। इसलिये हुंगलऔ को समकालीन चीन का प्रतीक माना जा सकता है।
नये चीन के संस्थापक स्वर्गीय माऔ त्से तुंग हुंगलऔ में रह चुकी अनेक ऐतिहासिक हस्तियों में से एक थे। माओ त्से तुंग हुंग ने अपने जन्मस्थान हूनान से पेइचिंग आने पर पहली बार हुंग लऔ के पुस्तकालय में प्रबंधक की नौकरी पाई। हुंगलऔ की पहली मंजिल की वह जगह जहां कभी स्वर्गीय माओ त्से तुंग काम करते थे, आज तक हू ब हू सुरक्षित है।
हुंगलऔ के अलावा एक ऐतिहासिक दौर से जुड़ी चार मई सड़क भी कम चर्चित नहीं है। यह सड़क बहुत लम्बी तो नहीं है, पर इसके पश्चिमी भाग पर चार मई आंदोलन की याद में खड़ी एक विशाल मूर्ति इसे अत्यंत भव्य बनाती है। यह पुस्तक रूपी मूर्ति तब युवाओं को विज्ञान के अध्ययन के लिए प्रेरित करने के लिए खड़ी की गई थी। चार मई सड़क के दोनों किनारों पर पुस्तकों की कई निजी दुकानें भी हैं। प्रसिद्ध चीनी ललित कला भवन भी इसी क्षेत्र में खड़ा है। इस भवन में श्रेष्ठ चीनी समकालीन चित्र व लोक कलाकृतियां संग्रहीत हैं।
चार मई सड़क से दक्षिण की ओर दसेक मिनट का रास्ता तय करने पर आप पेइचिंग के दूसरे प्रसिद्ध वास्तु थ्येनआन मन मंच तक पहुंच सकते हैं। एक अक्तूबर 1949 को स्वर्गीय माओ त्से तुंग ने इसी मंच से दुनिया को नये चीन की स्थापना की सूचना दी थी।
थ्येनआनमन पहले छंग थ्येनमन कहा जाता था। वह 15 वीं शताब्दी के मिंग राजवंश में स्थापित हुआ। 17 वीं शताब्दी में छिंग राजवंश काल में उसे थ्येनआनमन नाम दिया गया।
उस समय के थ्येनआनमन चौक का क्षेत्रफल 11 हैक्टर था। चौक पूर्व, पश्चिम और दक्षिण में लाल चारदीवारी से घिरा था और साधारण लोगों को उसके अंदर जाने की सख्त मनाही थी। थ्येनआनमन मंच की ऊंचाई 34 मीटर है और वह विश्वविख्यात प्राचीन राजप्रासाद का मुख्य द्वार भी रहा है। इसकी छत पर लगे सुनहरे खपरैल धूप में खूब चमकते हैं। छिंग राजवंश काल में इस मंच से राजा के महत्वपूर्ण आदेश जारी किये जाते रहे। नये चीन की स्थापना के बाद थ्येनआनमन मंच में चार बार के पुनर्निर्माण के बाद नया निखार आया और वह भव्य समारोहों के आयोजन का महत्वपूर्ण केंद्र बन गया।
थ्येनआनमन चौक विश्व का सब से विशाल चौक है। पर्यटक इस मंच पर खड़े होकर स्वर्णजल सेतु और थ्येनआनमन चौक के आसपास निर्मित गगनचुम्बी इमारतें भी देख सकते हैं। मंच पर इतालवी पर्यटक सुफिली ने उसकी प्रशंसा में कहा थ्येनआनमन चौक बहुत विशाल और सुंदर है। थ्येनआनमन मंच का क्षेत्रफल कितना बड़ा है। यह राजमहल जितना सुंदर है। यह मंच आज तक इतनी अच्छी तरह सुरक्षित है जो बहुत प्रशंसा की बात है। इसने मुझ पर गहरी छाप छोड़ी है। मुझे यह बहुत प्रिय है।