14 सितंबर को भारत सहित दुनिया के कई देशों में हिंदी दिवस मनाया गया। इस मौके पर पेइचिंग स्थित भारतीय दूतावास में भी कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस दौरान वक्ताओं ने हिंदी के महत्व पर ज़ोर देते हुए कहा कि हमें हिंदी को आगे ले जाना होगा।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जदयू के अध्यक्ष शरद यादव ने अपने ठेठ अंदाज़ में अंग्रेज़ी बोलने में गर्व करने वालों पर कटाक्ष किए। इतना ही नहीं वे खुद को पेइचिंग स्थित दूतावास में हिंदी में भाषण देने वाला पहला भारतीय नेता भी करार दे गए। शायद वे अपनी तुलना अटल बिहारी वाजपेयी से करना चाहते थे, जिन्होंने 1978 में संयुक्त राष्ट्र(यूएन) में हिंदी में भाषण देकर वाहवाही लूटी थी। उन्होंने कहा कि कौन कहता है कि हम हिंदी बोलते हुए विकास नहीं कर सकते?चीन का उदाहरण देते हुए शरद बोले कि वे पिछले कुछ दिनों में जहां भी गए, सभी जगहों पर नेता चीनी(मैंडरिन) भाषा में ही संवाद कर रहे थे। इससे जाहिर होता है कि चीनी लोगों को अपनी भाषा पर गर्व है, और इसके चलते चीन तेज़ी से विकास भी कर रहा है।
वहीं पेइचिंग विश्वविद्यालय में हिंदी के प्रोफेसर अनिल राय ने भी हिंदी के इस्तेमाल और उसके विकास पर ज़ोर दिया। जबकि पेइचिंग विश्वविद्यालय के दक्षिण एशिया विभाग के निदेशक प्रोफेसर च्यांग चिंग ख्वेई ने हिंदी सीखने के अपने अनुभव बताए, एक तरह से वे भारतीय लोगों को अधिक से अधिक हिंदी बोलने व उसका प्रयोग करने की नसीहत भी दे रहे थे।
हिंदी दिवस के इस कार्यक्रम में चीन में हिंदी का अध्ययन कर रहे छात्रों और भारतीय वक्ताओं ने भी भाषण दिए व कविता पाठ किया। इस मौके पर कई भारतीयों और हिंदी से ताल्लुक रखने वाले विदेशियों ने भी शिरकत की।
हिंदी दिवस एक नज़र में
हिन्दी दिवस भारत में हर वर्ष 14 सितंबर को मनाया जाता है। और आज के ही दिन 14 सितंबर, 1949 को संविधान सभा ने यह निर्णय लिया कि हिन्दी की खड़ी बोली ही भारत की राजभाषा होगी । और इसी के चलते हिन्दी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के उद्देश्य से वर्ष 1953 से हिंदी दिवस का आयोजन होता है।
भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने संविधान सभा में 13 सितंबर, 1949 के दिन बहस में भाग लेते हुए ये महत्वपूर्ण बातें कही थी। कि.किसी विदेशी भाषा से कोई राष्ट्र महान नहीं हो सकता। दूसरी कोई भी विदेशी भाषा आम लोगों की भाषा नहीं हो सकती। और भारत को एक शक्तिशाली राष्ट्र बनाने, अपनी आत्मा को पहचाने के लिए हमें हिन्दी को अपनाना चाहिए।
अनिल आज़ाद पाण्डेय