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ल्यू ली छांग में प्राचीन चीनी संस्कृति की खोज
2012-09-10 16:24:50
 चीन की राजधानी पेइचिंग की आधुनिकता के बारे में आप बहुत कुछ जानते हैं, और मेरा मानना है कि इस बहुत प्राचीन शहर के इतिहास और सांस्कृतिक परम्परा की जानकारी पाने में भी आप की रुचि होगी ही। तो आज के चीन का भ्रमण कार्यक्रम में चलिए निकते हैं पेइचिंग की एक प्रसिद्ध सड़क के दौरे पर। यह दौरा आपसे पेइचिंग का ऐतिहासिक व सांस्कृतिक शोध करवायेगा।

चीन में खुला द्वार व रूपांतरण की नीति लागू होने के बाद पिछले बीसेक वर्षों में अभूतपूर्व परिवर्तन आया है। तेज आर्थिक व व्यापारिक विकास के चलते समूचे चीन में नये नजारे दिख रहे हैं। राजधानी पेइचिंग भी अपवाद नहीं है। पेइचिंग में चारों ओर चहल- पहल दिखती है और अनेक गगनचुम्बी इमारतें व डिपार्टमेंट स्टोर कतारों में खड़े हैं। पर इन ऊंची आधुनिक इमारतों के पीछे पेइचिंग के इतिहास की झलक भी देखी जा सकती है। शहर के दक्षिणी भाग की पुरानी ल्यू ली छांग सड़क शहर की प्राचीन संस्कृति का नमूना पेश करती है।

तांगा चालक मंग तेह पाओ इस वर्ष 57 वर्ष पार कर चुके हैं। पिछले दसेक सालों से वे हर रोज इस सड़क के एक सिरे से दूसरे तक आते-जाते रहे हैं और इसलिये इस से पूरी तरह वाकिफ हैं।

यह सड़क छिंग राजवंश के समय बनी। तब यहां पत्थर की एक भट्टी थी, जो विशेष तौर पर राजमहल के लिए ल्यू ली नामक रंगीन खपरैल तैयार करती थी।

मंग तेह पाओ ने भी बताया कि इस सड़क का नाम खपरैलों की इस भट्टी के कारण ही ल्यू ली पड़ा। 13वीं शताब्दी में य्वान राजवंश के समय शाही परिवार ने इसी जगह ल्यू ली खपरैल बनवाने के लिए जो भट्टी स्थापित की, वह काफी छोटी थी।17वीं शताब्दी में पेइचिंग के विस्तार के बाद यह क्षेत्र शहर में विलीन हो गया और खपरैल भट्टी को पेइचिंग के बाहर ले जाया गया, लेकिन इस क्षेत्र ने अपना पुराना नाम फिर भी बरकरार रखा।

खैर इस ने पेइचिंग की प्रसिद्ध सांस्कृतिक सड़क का रूप कैसे धारण किया आइए अब करें इस कारण की चर्चा।

17वीं शताब्दी में छिंग राजवंश के दौरान ल्यू ली छांग क्षेत्र कई शाही अधिकारियों का निवासस्थल था। इसके राजमहल के नजदीक होने से शाही परीक्षा में शामिल होने वाले युवक भी यहां ठहरना पसंद करते थे। ये शाही अधिकारी व पढ़े-लिखे युवक पुस्तक और अन्य सांस्कृतिक सामग्री खरीदने के शौकीन थे। इसे ध्यान में रखकर देश के अनेक क्षेत्रों के पुस्तकविक्रेता यहां एकत्रित हुए और पुस्तक भंडारों के लिए सुंदर मकान भी बनवाने लगे। धीरे-धीरे यहां पेइचिंग का सब से बड़ा पुस्तक बाजार सामने आया और पुस्तकों से संबंधित स्याही, कागज, कूची, के अलावा मूल्यवान पत्थर, चित्र आदि सांस्कृतिक व कलात्मक कृतियां भी बिकने लगीं।

आज की ल्यू ली छांग सड़क वास्तव में 1980 वाले दशक में निर्मित हुई। इससे इस सड़क का क्षेत्रफल बढ़कर दुगना हो गया। यह सड़क पूर्वी व पश्चिमी दो भागों में बंटी है और इस की लम्बाई 750 मीटर है। सड़क के दोनों किनारों पर खड़े सभी मकान चीन की पुरानी वास्तुशैली से युक्त हैं। वे अंदर व बाहर से पत्थर व लकड़ी की अत्यंत सूक्ष्म तराशी से सुसज्जित हैं। इनमें छिंग राजवंश के अंतिम काल की पेइचिंग की दुकानों की परम्परागत शैली देखने को मिलती है।

इस सड़क के किनारे सौ से ज्यादा दुकानें खड़ी हैं। इसके पूर्वी भाग में मुख्यतः जेड, रूबी आदि बेशकीमती पत्थर, चीनी मिट्टी के बर्तन, आभूषण व काष्ठकृतियां बिकती हैं, जबकि पश्चिमी भाग में चीनी लिपिकला की कृतियां, चित्र और सांस्कृतिक वस्तुएं। यहां आप चीन के विभिन्न ऐतिहासिक कालों की वस्तुएं खरीद सकते हैं। पर ध्यान रहे, इनमें कुछ चीजें असल की नकल होती हैं। धोखे की चिन्ता का सवाल इसलिए नहीं उठता क्योंकि दुकानदार आप को हर चीज के बारे में साफ-साफ बताते हैं और उनका दाम भी सही-सही लगाते हैं। इसलिये यहां घूमते हुए यदि आपको कोई चीज पसंद आती है, तो आप उसे निश्चिंत हो कर खरीद सकते हैं।

क्षेत्र की इतनी सारी दुकानों में से कुछ कई सौ साल पुरानी हैं। श्री चा ची रन की छिंग मी क नामक दुकान भी इनमें से एक है। यह दुकान लगभग तीन सौ साल पुरानी है । श्री चा ची रन ने अपनी दुकान की चर्चा में कहा

छिंग मी क नाम आज से कोई 650 साल पुराना है। यह नाम य्वान राजवंश के चार प्रसिद्ध चित्रकारों में से एक नी युन लिन ने सोचा था। वे वृद्धावस्था में किसी पहाड़ी स्थान में रहना चाहते थे। वहां जाने से पहले उन्हों ने अपने सभी चित्र व मूल्यवान पुस्तकें जिस भवन में सुरक्षित कीं, उसे यह नाम दिया। य्वान राजवंश के पतन के बाद छिंग राजवंश कायम हुआ तो यह बेशकीमती भवन भी नये राजा के हाथ लगा। छिंग राजवंशी राजा छ्येन लुंग ने अपनी दाई के एक बेटे को छिंग मी क का नाम दिया और आज्ञा दी कि वह ल्यू ली छांग में इस नाम से एक दुकान खोले और विशेष तौर पर विभिन्न सरकारी विभागों को स्याही, कागज आदि वस्तुएं बेचे।

छिंग मी क का व्यापार तब खूब चलता था। कोई भी सरकारी अधिकारी या सैनाधिकारी जब इस सड़क पर आता था, तो इसी दुकान में आराम से चाय पीने के बाद यहां घूमने निकलता।

आज छिंग मी क की पुरानी चहल-पहल तो लुप्त हो गयी है, पर ल्यू ली छांग का रौनक और सांस्कृतिक वातावरण अब भी बाकी है। यहां की सुव्यवस्थित रूप से खड़ी अनूठी वास्तुशैली वाली छोटी-बड़ी दुकानें देशी-विदेशी पर्यटको को आकर्षित करती हैं। स्वीडन की सुश्री मेडली फोक्ट ने बताया कि वे दूसरी बार यहां आयी हैं। उन्हें पुरानी वास्तुशैली वाली यह सड़क बहुत अच्छी लगती है।

मुझे यह जगह बहुत पसंद है। यहां का वातावरण एकदम शांत है। कहा जा सकता है कि यह चीन की प्राचीन संस्कृति की प्रतीक है। यहां चीन के विभिन्न ऐतिहासिक कालों की विविध कलात्मक कृतियां, चित्र और कई दुर्लभ वस्तुएं खरीदी जा सकती हैं।

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