दोस्तो, हम अब तक दक्षिणी, दक्षिण-पश्चिमी, पूर्वी और उत्तर-पूर्वी चीन के अनेक प्रसिद्ध रमणीक पर्यटन स्थल हो आये हैं। इन में से कुछ पर्यटन स्थलों की आपके मन पर अब भी छाप बाकी है, इसका हमें एहसास है। इसे ध्यान में रखते हुए हमने आप को चीन के अन्य मनमोहक पर्यटन स्थलों और ऐतिहासिक शहरों की जानकारी देने का मन बनाया है। उम्मीद है कि आप चीन का भ्रमण कार्यक्रम हमेशा की तरह नियमित रूप से सुनते रहेंगे और हमें समर्थन देना जारी रखेंगे। तो आज चलें चीन के मध्य-उत्तरी भाग में स्थित शानसी प्रांत की राजधानी थाईय्वान के दौरे पर।
सुबह हो या शाम थाईय्वान की किसी भी सड़क, पार्क, या चौक जैसी सार्वजनिक जगह पर स्थानीय लोगों का पसंदीदा औपेरा सुना जा सकता है। शानसी प्रांत के इस प्राचीन औपेरा को स्थानीय लोग प्यार से शानसी बांग च कहते हैं।
हम आप को बता ही चुके हैं कि थाईय्वान शहर, जो शानसी प्रांत की राजधानी है, मध्य चीन में स्थित है। यह शहर कोई दो हजार पांच सौ वर्ष पुराना है। हालांकि आधुनिक चीन के तेज विकास के चलते इधर शहर में भारी परिवर्तन आया है और जगह-जगह भीड़ बढ़ी है, पर इस की गलियों में इतिहास का प्रभाव फिर भी साफ दिख जाता है।
पूर्व से पश्चिम की ओर जाती इंग चेह सड़क की चौड़ाई 80 मीटर से अधिक है और यह थाईय्वान को उत्तर व दक्षिण दो भागों में बांटती है। इस नवनिर्मित सड़क पर खड़े होकर चारों तरफ नजर दौड़ाने पर आप प्राचीनता व आधुनिकता के मेल को महसूस कर सकते हैं। शहर के पहली मई चौक पर गगनचुम्बी आधुनिक इमारतों की कतार खड़ी है तो उस के उत्तर-पश्चिमी भाग में लाल दीवारों व हरे खपरैलों वाला प्राचीन छुन यांग भवन भी ज्यों का त्यों अपनी जगह स्थित है। कोई हजार वर्ष पुराना यह भवन चीन के ताओ पंथ का एक मठ है। कई आंगनों वाला यह प्राचीन मठ चीन की विशेष वास्तुकला व उद्यान कला का नमूना माना जाता है। यहां पहुंचकर आप स्वयं को शोर-शराबे से दूर एक शांतिमय वातावरण में पाते हैं।
इंग चेह सड़क से पश्चिम की ओर आगे बढ़ने पर आप को प्राचीन शैली वाली सड़क देखने को मिलेगी। ल्यू श्यांग मार्ग नामक इस सड़क पर शहर की कई पुरानी प्रसिद्ध दुकानें ही नहीं हैं अनेक आधुनिक डिपार्टमेंट स्टोर भी खड़े हैं। यहां आप आधुनिक तरीके से बड़े आराम से खरीदारी कर सकते हैं और चाहें तो पुरानी दुकानों में शहर के विशेष पकवानों और खास मनोरंजक कार्यक्रमों का मजा भी ले सकते हैं। कहा जा सकता है कि थाईय्वान आने वाले हर किसी व्यक्ति को यहां का माहौल रोचक लगता है। निजी काम से थाईय्वान आने वाली सुश्री रन रूंग के अनुसार
थाईय्वान की सड़कों पर घूमने में बड़ा मजा आता है। सड़कों के किनारे उगे हरेक पेड़ पर एक तख्ती लगी हुई है, जिस पर उस पेड़ की उम्र तक अंकित है। ऐसा मैं ने पहली बार यहीं देखा। शहर की छोटी गलियों में आधुनिक तरीके से सजी पुस्तकों की दुकानें भी हैं। इन दुकानों में संगीत की मधुर लय के बीच पुस्तक खरीदने पर मन खुश होता है। इतना ही नहीं, यहां के कई छोटे रेस्त्राओं में बहुत स्वादिष्ट खाना भी मिलता है।
थाईय्वान के इतिहास का शहर के दक्षिण-पश्चिमी भाग में स्थित चिन मंदिर से घनिष्ठ संबंध है। इस मंदिर का हर पेड़ इस शहर की प्राचीनता की याद दिलाता है। यहां खड़े कोई दो हजार वर्ष पुराने देवदार के पेड़ आज भी हरे-भरे दिखते हैं और थाईय्वान की प्रत्येक ऋतु के साक्षी रहे हैं। थांग राजवंशी सम्राट ली श मिन द्वारा सातवीं शताब्दी में लिखित शिलालेख यहां आज भी सुरक्षित है। इस में इस सम्राट के थाईय्वान में शक्तिशाली थांग राजवंश की स्थापना करने के बुलंद हौसले का विवरण मिलता है। सुंग राजवंश के सम्राट द्वारा कई हजार वर्ष पहले अपनी मां की याद में बनवाये गये मातृ भवन में स्थापित 44 सुंदरियों की मूर्तियां अब भी बड़ी सजीव लगती हैं।
चिन मंदिर का निर्माण ईसा पूर्व 11 वीं शताब्दी में हुआ था। अनेक बार पुनर्निर्मित होने के बाद उस ने एक भवन समूह का रूप ले लिया। इस के हर भवन, मंडप, सेतु के पीछे एक कहानी या किम्वदंती है। पेइचिंग से आये पर्यटक निंग छी वन ने इसके दर्शन का अपना अनुभव इस तरह बताया
चिन मंदिर में बहुत से प्राचीन ऐतिहासिक अवशेष सुरक्षित हैं। हालांकि यह मंदिर बड़ा नहीं है, पर शानसी प्रांत की समृद्ध संस्कृति का सार कहा जा सकता है। इसकी पुरानी इमारतें, सांस्कृतिक अवशेष और सुंदर प्राकृतिक दृश्य सब कुछ देखने लायक है।
चिन मंदिर का नान लाओ झरना विशेष आकर्षण का केंद्र है। इस के बारे में एक बहुत रोचक किम्वदंती है। कहते हैं कि ल्यू नाम की एक युवती की शादी चिन मंदिर के पास स्थित कू थांग नामक गांव के एक युवक से हुई। शादी के बाद वह सास के आदेश पर प्रतिदिन कुएं से पानी लेने के लिए घर से बाहर जाने को बाध्य हुई। कुआं गांव से बहुत दूर था, इसलिए वह दिन में सिर्फ एक बार ही पानी ला पाती। एक दिन वह पानी लेकर घर वापस लौट रही थी कि एक बूढ़ा अपने घोड़े के साथ उस के सामने आ खड़ा हुआ और उससे घोड़े को पानी पिलाने का अनुरोध करने लगा। इस पर वह बिना हिचकिचाये उसे पानी पिलाने पर राजी हो गयी। पर घोड़े ने जब पानी की दोनों बाल्टियां पी डालीं तो वह यह सोच कर बेहद चिंतित हो उठी कि खाली बाल्टियों के साथ घर लौटने पर उसे सास की गाली खानी पड़ सकती है। उसके पास पानी लाने के लिए समय भी नहीं बचा था। उसकी यह दुविधा देखकर घोड़े के बूढ़े मालिक ने उसे एक चाबुक भेंट किया और कहा कि इस चाबुक की एक फटकार बड़े से बड़े बर्तन को अपने आप पानी से भर देगी। खैर वह बड़ी चिन्तित घर लौटी और जब चाबुक को बर्तन पर फटका तो उसमें तुरंत पानी उमड़ आया। पर आखिर सास को यह रहस्य मालूम हो ही गया। एक दिन जब वह अपने मायके गयी हुई थी, तब सास ने चाबुक को बर्तन पर बार-बार फटका। इससे हुआ यह कि पानी उमड़ा तो फिर रुका ही नहीं। यह देखकर सास डर गयी और उसने तुरंत उसे घर वापस बुला भेजा। घर लौटकर वह पानी को बहने से रोकने के लिए बर्तन के ऊपर जा बैठी, और पानी बर्तन के नीचे लगातार बहता रहा। कहते है कि नान लाओ तभी से कल-कल करता बह रहा है।
थाईय्वान चीन का अंदरूनी शहर है। सौभाग्य से पीली नदी की एक सहायक नदी फन ह इस शहर के बीचोंबीच होकर बहती है। पीली नदी की यह सहायक नदी इस शहर को जीवन के लिए पर्याप्त पानी की प्रदान करती है। इस नदी के किनारे निर्मित फनह उद्यान एक अच्छा विश्राम और क्रीड़ा स्थल है। इस की लम्बाई 6 किलोमीटर है और चौड़ाई पांच सौ मीटर। इसके बीच में एक नाला है और नाले के दोनों किनारों पर एक विशाल हरा उद्यान। थाईय्वानवासी अवकाश का समय यहां बिताना पसंद करते हैं। फनह नदी के पास रहने वाले काओ श्यो चन ने बड़े गर्व से बताया
फनह उद्यान ने 2002 में संयुक्त राष्ट्र आवास पर्यावरण पुरस्कार प्राप्त किया। यह उद्यान थाईय्वान म्युनिसिपलिटी ने एक अरब, 20 करोड़ य्वान की धनराशि से निर्मित किया। यहां विभिन्न प्रकार के पेड़ उगाये गये हैं और साथ ही तरण ताल, संगीत मंच आदि संस्थापनों का भी प्रबंध किया गया है। इस से यह क्रीड़ा, विश्राम और मनोरंजन का एक बहुद्देशीय केंद्र बन गया है।