Web  hindi.cri.cn
मनमोहक छिंग मिंग शान ह उद्यान
2012-08-13 16:43:04

दोस्तो , जैसा कि आप जानते हैं कि आज से कोई एक हजार वर्ष पहले के सामंतवादी सुंग राजवंश के काल में खाई फूंग शहर राजधानी की हैसियत से बहुत रौनकदार रहा , इसीलिये वह अब पर्यटन का एक चर्चित आकर्षित केंद्र बन गया है । पहले हम चीन का भ्रमण कार्यक्रम में आप के साथ मध्य चीन के ह नान प्रांत के इसी प्राचीन शहर खाई फूंग के सुप्रसिद्ध तत्कालीन राजकीय भवन देखने और लोकप्रिय स्वच्छ व निस्वार्थ शासक पाऔ कुंग के दर्शन करने गये । पर आज हम आप के साथ इसी शहर में पुनर्निर्मित मनमोहक छिंग मिंग शांग ह उद्यान का दौरा करने जा रहे हैं ।

चीन की राजधानी पेइचिंग के प्राचीन प्रासाद म्युजियम में देश का अद्भुत बेशकीमती चित्र छिंग मिंग शांग ह नामक एक बहुत विशाल चित्र सुरक्षित है । यह विशाल चित्र आज से कोई 900 साल से पहले बनाया गया है । चित्र में मुख्य तौर पर चीन के उत्तर सुंग राजवंश की राजधानी ब्येन ल्यांग यानी खाई फूंग के चहल पहल व्यापारिक माहौल व अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य का चित्रण किया गया है । चीन के इतिहास पर उत्तर सुंग राजवंश की स्थापना ईस्वी दस वीं सदी में शुरू हुई , फिर करीब दो सौ वर्ष गुजर कर 12 वीं सदी में उस का पतन हुआ । आज उस समय की राजधानी ब्येन ल्यांग यानी आज के ह नान प्रांत के खाई फूंग शहर में इसी छिंग मिंग शांग ह नामक विशाल चित्र के आधार पर एक अपने ढंग का उद्यान निर्मित हो गया है , इसी उद्यान का दौरा करने के साथ साथ आप को यह आभास दिया जा सकता है कि आधुनिक माहौल से अलग होकर प्राचीन सुंग राजवंश में प्रवेश कर गये हो । अच्छा अब हम इस उद्यान को देखने चलते हैं ।

छिंग मिंग शांग ह उद्यान उत्तर खाई फूंग शहर में निर्मित हुआ है , उस का क्षेत्रफल लगभग 33 हैक्टर है , जिस का तीस प्रतिशत जलीय क्षेत्रफल का है , साथ ही इस उद्यान में चार सौ से अधिक सुंग राजवंश की वास्तु शैलियों से युक्त मकान खड़े किये गये हैं ।

प्रिय दोस्तो , सुबह 9 बजने पर उद्यान के मुख्य द्वार के सामने चहल पहल मचने लगता है और चारों ओर व्याप्त उल्लासपूर्ण पर्यावरण से अनगिनत लोगों को मोह लिया जाता है ।

जब छिंग मिंग शांग ह उद्यान का मुख्य द्वार खुलता है , तो सामने खड़ी एक करीब 6 मीटर ऊंची मूर्ति नजर आ सकती है , यह मूर्ति छिंग मिंग शांग ह नामक विशाल चित्र के रचियता – उत्तर सूंग राजवंश के सुप्रसिद्ध चित्रकार चांग च त्वान की है । इस मूर्ति में यह चित्रित किया गया है कि चित्रकार चांग च त्वान बेहद विनम्र दीखते हैं , उन की पैनी नजरें बहुत दूर तक निहाती रही है , मानो वे खाई फूंग शहर के मनोहर दृश्य की खोज कर रहे हों , साथ ही हाथ में चित्र लिये दूर से आये पर्यटकों को खाई फूंग शहर की तत्कालीन समृद्धि व भव्यता दिखाने में लीन हों ।

चित्रकार चांग च त्वान द्वारा रचित छिंग मिंग शांग ह नामक चित्र में मुख्यतः सैकड़ों सालों से पहले खाई फूंग शहर की भव्यता व समृद्धिशाली दृश्यों का चित्रण किया गया है , जिस में घाटों पर जलीय परिवहन की व्यस्ता ज्यादा नजर आती है । क्योंकि उस समय खाई फूंग शहर में जलीय परिवहन अत्यंत विकसित था , ब्येनह नदी तत्काल में खाई फूंग शहर को देश के दूसरे क्षेत्रों से जुड़ाने वाला प्रमुख मार्ग ही थी । हमारे साथ आयी गाइड सुश्री चंग च्वान ने परिचय देते हुए कहा कि सुंग राजवंश काल में खाई फूंग की आबादी 16 लाख तक पहुंच गयी थी । उस समय खाई फूंग शहर में ब्येन ह नदी नामक एक नहर खोदी गयी , इसी नहर की वजह से खाई फूंग शहर ने तत्काल के अन्य दो प्रसिद्ध शहर छांग आन व लो यांग की जगह लेकर सुंग राजवंश की राजधानी का रूप ले लिया ।

पहले मैं ने सोचा कि सिर्फ छिंग मिंग शांग ह नामक विशाल चित्र में खाई फूंग शहर के तत्कालीन रौनकदार दृश्य देखने को मिलता है । लेकिन इस उद्यान ने सचमुच ही मुझे अचंभे में डाल दिया है । क्योंकि पुनर्निर्मित घाट पर खड़े होकर आप को नदी में मालों से भरे सुंगराजवंश में प्रचित जहाज एक के बाद एक चलते दिखाई देते हैं , जबकि नदी के तट पर अनेक जहाज लंगर डाले हुए माल उतारे जाने का दृश्य नजर आते हैं ।

घाट से होकर हम इस उद्यान की विशेषता वाली सांसारिक सड़क आ पहुंचे । यह सड़क छिंग मिंग शांग ह नामक चित्र के अनुसार उस जमाने के खाई फूंग शहर दैनिक जीवन के नमूने के रूप में निर्मित हुई है । गाइड सुश्री चंग च्वान का कहना है कि इस सड़क पर कुल 15 विशेष वर्कशाप स्थापित हुए हैं , मजे की बात है कि इन वर्कशापों ने अपनी अपनी यह विशेष पहचान बना ली है कि हरेक वर्गशाप में अपनी विशेष वस्तुएं पर्यटकों के सामने तैयार कर बेची जाती हैं ।

सुश्री चंग के साथ हम इन बड़े सुंदर ढंग से सजे वर्कशाप देखने गये । ये सभी वर्कशाप बड़े नहीं कहे जा सकते , करीब 20 वर्गमीटर वाली दुकानों में अनेक किस्मों वाली प्राचीन स्थानीय वस्तुएं रखी गयी हैं और वहां कार्यरत सभी व्यक्ति सुंग राजवंश काल के पोशाकों से सुसज्जित हुए हैं । इसी प्रकार का माहौल बेशक आप को सैकड़ों सालों से पहले के सुंग राजवंश वापस लौटने का आभास करा देता है । सांसारिक सड़क की एक दुकान में मैं ने बेर पेड़ की लकड़ी से बनी एक कंघी खरीद ली । कंघी बनाने वाली युवती ने मझ से कहा कि बेर पेड़ की लकड़ी बहुत टिकाऊ ही नहीं , वह मुहब्बत का प्रतीक भी है , यदि यह कंघी अपने मनपसंद व्यक्ति को भेंट की जाये , तो दोनों के बीच प्रेमभाव हमेशा के लिये बना रहेगा ।

इस उद्यान में आज से सैकड़ों साल पहले के ऐतिहासिक नजारे नजरों की पुनरावृति देखने को मिलती है । उदाहरण के लिये उस जमाने की ग्रामीण चाय घर , बार , मिट दुकान , मंदिर , कठपुतली औपेरा

और आटे से बनायी अनेक रूपों वाली आकृतियां आदि आदि , देखने में बड़ा मजा आता है । इतना ही नहीं , यहां की तीस से अधिक सूक्ष्म कसादाकारी कलाएं देखकर मुझे बड़ा आश्चर्य भी हुआ । इस उद्यान के कर्मचारी ब्येन चुन ने कहा

ब्येन ल्यांग की कसादाकारी कला चीन की चार प्रसिद्ध कसीदारियों से पहले ही उत्पन्न हुई , क्योंकि यह कला उत्तर सुंग राजवंश से शुरू हुई है । उस समय उत्तर सुंग राजवंश का अंतिम राजा लिपि और चित्र कलाओं का शौकिन था , इसलिये राजमहल में तीन सौ महिला कसादाकारी करती थीं । उत्तर सुंग राजवंश का पतन होने के बाद ये महिलाओं ने दक्षिण चीन जाकर इन कलाओं का प्रचार प्रसार किया । फिर इस के दो सौ साल बाद यानी मिंग राजवंश की शुरूआत में सूचाओ की कसादा कला पैदा हुई , धीरे धीरे हूनान प्रांत की श्यांग कसीदा व क्वांगतुंग प्रांत की य्वे कसीदा कलाओं का जन्म हुआ ।

यदि आज से कोई 900 साल से पहले चित्रकार चांग च त्वान ने खाई फूंग का मनोहर दृश्य अपने छिंग मिंग शांग ह नामक चित्र में चित्रित किया , तो आज इसी चित्र के आधार पर तैयार उद्यान ने उस जमाने का अद्भुत दृश्य लोगों के सामने ला खड़ा कर दिया है ।

आप की राय लिखें
Radio
Play
सूचनापट्ट
मत सर्वेक्षण
© China Radio International.CRI. All Rights Reserved.
16A Shijingshan Road, Beijing, China. 100040