तिब्बती चिकित्सा और औषधियां बर्फीले पठार पर बसे लोगों ने पीढ़ी दर पीढ़ी के व्यवहारों में एक विशेष चिकित्सा व औषधि प्रणाली तैयार कर ली है । पेइचिंग में आयोजित पांचवीं अंतर्राष्ट्रीय तिब्बती विद्या संगोष्ठी में विद्वानों और चिकित्सकों ने तिब्बती चिकित्सा व औषधियों की विरासत और विकास पर विचार विमर्श किया । चीनी तिब्बती विद्याध्ययन केंद्र के तिब्बती चिकित्सा व औषधि अनुसंधान प्रतिष्ठान के प्रधान और चिकित्सक चुंगकोचा का मानना है कि रोगियों में हरित उपचार की धारणा के रुचि के चलते तिब्बती चिकित्सा धीरे धीरे अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में लोकप्रिय होने लगा है । उन्हें उम्मीद है कि समूची मानव जाति को तिब्बती चिकित्सा की सेवा व इलाज उपलब्ध कराने के लिये सारी दुनिया में लोकप्रिय बनाया जायेगा । लेकिन तिब्बती चिकित्सा की मौजूदा स्थिति यह है कि तिब्बती चिकित्सा और औषधियों को सिर्फ मंगोलिया और मध्य एशिया के देशों में मान्यता मिली है , सारी दुनिया में लोकप्रिय बनाना काफी मुश्किल है ।
चिकित्सक चुंग को चा का जन्म उत्तर पश्चिम चीन के कानसू प्रांत के तिब्बती क्षेत्र के एक चरवाहे परिवार में हुआ है , 48 वर्षीय चिकित्सक चुंगकोचा अब तक विभिन्न जातियों के 50 हजार से अधिक रोगियों का इलाज कर चुके हैं । उन की दृष्टि से पुराने ऐतिहासिक तिब्बती चिकित्सा पद्धति व औषधियों ने छिंगहाई तिब्बती पठार पर बसे तिब्बती जातीय लोगों समेत अन्य सभी जातीय लोगों की वंशवृद्धि में निर्णायक भूमिका निभायी है ।
चिकित्सक चुंगकोचा का विचार है कि तिब्बती चिकित्सा पद्धति में प्रकृति मेडिसिन के विषय को छोड़कर दर्शन शास्त्र और जातीय सांस्कृतिक पृष्ठभूमि भी शामिल है । आम तौर पर आहार , रहन सहन और औषधियों के सेवन व बाहरी उपचार इन चार निदान उपायों के जरिये रोगों का इलाज किया जाता है , इसी तरह का उपचार बहुत असरदार है ।
उन का कहना है कि आधुनिक चिकित्सा प्राकृतिक विज्ञान की एक अवधारणा मात्र ही है , जबकि चीनी चिकित्सा व तिब्बती चिकित्सा इस विज्ञान का अभिन्न अंग भी हैं । तिब्बती चिकित्सा आम तौर पर आहार , रहन सहन , औषधियों के सेवन और बाहरी उपचार इन चार उपायों से रोगों का इलाज करता है , इसी प्रकार वाला उपचार व निदान सुरक्षा ही नहीं , बहुत असरदार भी है ।
वर्तमान में तिब्बती क्षेत्रों के ग्रामीण इलाकों में तिब्बती चिकित्सा को ज्यादा स्थानीय किसान व चरवाहे अपना धरोहर मानते हैं । इस के साथ ही इस सुरक्षित व विशेष उपचार को दूसरी जातियों की ओर से मान्यता भी मिल गयी है , बहुत ज्यादा रोगियों में तिब्बती चिकित्सा पद्धति के रुचि भी हैं । गत सदी के 90 वाले दशक में पेइचिंग , थ्येनचिन और शांगहाई आदि क्षेत्रों में क्रमशः तिब्बती अस्पताल स्थापित हुए हैं । साथ ही तिब्बती चिकित्सा पद्धति ने दस साल पहले अमरीका , यूरोप , जापान और दक्षिण पूर्व एशिया में चिकित्सा संस्थाएं या अनुसंधान केंद्र भी कायम कर दिया । मंगोलिया और मध्य एशिया के देशों में विशेष तिब्बती चिकित्सा विभाग भी खोले गये हैं । वर्तमान में स्वीटजरलैंड में तिब्बती औषधि कारखाना भी स्थापित हुआ है । ब्राजिल व चिली आदि देशों ने विशेष तौर पर तिब्बती चिकित्सा पद्धति सीखने के लिये अपने चिकित्सकों को चीन में भेज दिया ।
चिकित्सक चुंगकोचा ने कहा कि अब में विदेशों में तिब्बती चिकित्सा पद्धति को मान्यता प्राप्त हो गयी है ।
विदेशों में तिब्बती चिकित्सा विभाग भी खुल गये हैं , मसलन पूर्व सोवियत संघ में काफी ज्यादा चिकित्सा विभाग स्थापित हुए , इतना ही नहीं , विशिष्ट तिब्बती चिकित्सा अनुसंधान संस्थाएं भी थीं , मंगोलिया में भी हैं , विदेशों में तिब्बती चिकित्सा धीरे धीरे चर्चित होने लगा है । ब्राजिली प्रतिनिधि मंडल ने 26 चिकित्सकों को लेकर तिब्बती चिकित्सा सीखने के लिये हमारे यहां आया था । 2010 में लातिन अमरीकी देशों से आये 29 चिकित्सक विशेष तौर पर तिब्बती चिकित्सा का अध्ययन करने के लिये हमारे यहां 6 दिन ठहरे , उन्होंने तिब्बती चिकित्सा पद्धति में बड़ी दिलचस्पी दिखाई है ।
लेकिन चीनी परम्परागत चिकित्सा पद्धति की तरह तिब्बती चिकित्सा को सारी दुनिया में व्यापक मान्यता प्राप्त करना काफी कठिन है । इस की चर्चा में चिकित्सक चुंगकोचा ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय मापदंड तिब्बती चिकित्सा व औषधियों को सारी दुनिया में लोकप्रिय बनाने का सब से प्रमुख कारण है ।
अंतर्राष्ट्रीय मापदंड मुख्यतः पश्चिमी चिकित्सा को ज्यादा महत्व देता है , जिस से पश्चिमी दवाओं के लिये बहुत ज्यादा मापदंड और निदान मापदंड तैयार हुए हैं , इसी संदर्भ में हम ने अपने पामदंड भी तैयार किये हैं , हमारे ये पामदंड उन के मापदंडों से अलग हैं । इसलिये चीनी व तिब्बती औषधियां दवाओं की हैसियत के बजाये खाद्य पदार्थों के रुप में उन के बाजारों में प्रविष्ट कर सकती हैं । उन्होंने कहा कि अब चीन ने कुछ तिब्बती चिकित्सकों को पढ़ने के लिये विदेशों में भेज दिया है , आशा है कि वे वहां पर पढ़ने के साथ साथ तिब्बती चिकित्सा पद्धतियों को सारी मानव जाति में लोकप्रिय बना देंगे ।