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चीनी तिब्बती विद्याध्ययन तिब्बती क्षेत्र की सेवा पर कायम
2012-08-02 17:22:59

 पांचवीं पेइचिंग अंतर्राष्ट्रीय तिब्बती विद्या संगोष्ठी दो अगस्त को पेइचिंग में शुरु हुई । भारत , जापान , जर्मनी , अमरीका और आँस्ट्रेलिया आदि 21 देशों व क्षेत्रों से आये 267 तिब्बती विद्या विद्वान इस तीन दिवसीय संगोष्ठी में देशी विदेशी तिब्बती विद्या जगतों के नवीनतम अनुसंधान परिणामों का प्रदर्शन व आदान प्रदान कर रहे हैं । उद्घाटन समारोह में चीनी विद्वानों ने चीनी तिब्बती विद्याध्य़यन के मकसद को तिब्बती क्षेत्र की सेवा दोहरायी और तिब्बती संस्कृति के आत्मविश्वास और सजगता पर भी जोर दिया ।

चीनी तिब्बती विद्याध्ययन केंद्र के महा निर्देशक लाग्पा फ्योंजोंग ने उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि 2008 में हुई चौथी पेइचिंग अंतर्राष्ट्रीय तिब्बती विद्या संगोष्ठी से लेकर अब तक तिब्बती जातीय समाज व तिब्बती विद्याध्ययन में नया विकास व परिवर्तन हुआ है । इधर सालों में तिब्बती विद्याध्ययन का परिणाम एक के बाद एक सामने आया है , तिब्बती विद्या के सुयोग्य व्यक्तियों को प्रशिक्षित किया गया है , परम्परागत संस्कृति का उचित ढंग से संरक्षण हुआ है , विद्या का आदान प्रदान व सहयोग भी लगातार विकसित होता गया है । 

तिब्बत विद्या तिब्बती सांस्कृतिक गठन का अध्ययन करने वाला विज्ञान ही है , तिब्बती संस्कृति का विकास तिब्बती जाति के विकास के अनुरुप है । तिब्बती विद्याध्ययन के लिये सांस्कृतिक सृजन पर जोर देना आवश्यक है , हमें तिब्बती सांस्कृतिक गठन व विकास नियम के अध्ययन के आधार पर अपनी अवधारणा , दायरा व नियम पेश करना चाहिये , ताकि तिब्बती विद्या की सैद्धांतिक प्रणाली बन जाये ।

वास्तव में तिब्बती विद्याध्ययन तिब्बती सांस्कृतिक आधार का अध्ययन ही नहीं , बल्कि तिब्बती जातीय समाज के विकास का महत्वपूर्ण सैद्धांतिक समर्थन भी करता है । लापाफ्योंजोंग ने कहा कि तिब्बत और सछ्वान , युन्नान , कानसू और छिंगहाई इन चार प्रांतों के तिब्बती क्षेत्रों के सामाजिक विकास व परिवर्तन ने तिब्बती विद्याध्ययन के विकास को बढावा दिया है और तिब्बती विद्याध्ययन के लिये बड़ी तादाद में नवीनतम मुद्दे भी प्रस्तुत किये हैं ।

चीनी तिब्बती विद्याध्ययन केंद्र के महा निर्देशक ने जोर देकर कहा कि तिब्बत और सछ्वान , युन्नान , कानसू और छिंगहाई प्रांतों के तिब्बती क्षेत्रों की सेवा और चीनी निर्माण की सेवा तिब्बती विद्याध्ययन का उद्देश्य है और तिब्बती विद्याध्ययन के परिणामों को आंकने का मापदंड भी है ।

उन्होंने कहा कि आइंदे चीनी तिब्बती विद्याध्ययन को तिब्बत और सछ्वान , युन्नान , कानसू और छिंगहाई प्रांतों के तिब्बती क्षेत्रों के आर्थिक व सामाजिक विकास और सांस्कृतिक समृद्धि की पृष्ठभूमि तले तिब्बती विद्या के विकास नियम के अनुसार बढावा दिया जायेगा । 

हम सांस्कृतिक विरासत और समाज की सेवा की तिब्बती विद्याध्ययन व विकास अवधारणा को गहन रुप से अमल में लाएंगे । मानव जाति की श्रेष्ठ संस्कृति का विरासत के रुप में ग्रहण करेंगे और सामाजिक प्रगति व सांस्कृतिक विकास के लिये तिब्बती विद्याध्ययन का ज्यादा योगदान बढा देंगे। संगोष्ठी में प्रस्तुत सामग्री के अनुसार विद्याध्ययन ने तिब्बती सांस्कृतिक संरक्षण व विरासत को भी बढावा दिया है ।

पता चला है कि चीन की केंद्रीय सरकार ने तिब्बती संस्कृति के संरक्षण को बड़ा महत्व दिया है । इधर सालों में चीनी केंद्रीय सरकार ने भारी धन राशि व बेशुमार सोना व चांदी जोड़कर पोताला महल व लोपलिंका मठ आदि प्राचीन ऐतिहासिक स्थलों व तिब्बत के दसियों प्रमुख सांस्कृतिक अवशेषों को मरम्मती व संरक्षित कर दिया ।

चीनी तिब्बती सांस्कृतिक संरक्षण व विकास संघ के उपाध्यक्ष स्टार ने कहा कि तिब्बती संस्कृति में अभूतपूर्व समृद्धि व विकास देखने को मिला है ।

केंद्रीय जन सरकार हमेशा तिब्बती सांस्कृतिक संरक्षण व विकास को बड़ा महत्व देती आयी है , जिस से भारी मानवीय व भौतिक शक्तियां व धन राशि जोड़कर कानूनी , आर्थिक व प्रशासनिक माध्यमों के जरिये तिब्बती संस्कृति में अभूतपूर्व फलता फूलता नजारा नजर आया ।

पेइचिंग अंतर्राष्ट्रीय तिब्बती विद्या संगोष्ठी चीनी तिब्बती विद्या जगत द्वारा नियमित रुप से आयोजित विशाल अंतर्राष्ट्रीय विद्या सम्मेलन है , 1991 वर्ष से लेकर अब तक चार बार बुलाया गया है । वर्तमान में यह संगोष्ठी देशी विदेशी तिब्बती विद्या जगतों द्वारा नवीनतम अनुसंधान परिणामों को दर्शाये जाने का मंच ही नहीं , तिब्बती विद्या विद्वानों के बीच विद्या के आदान प्रदान और सहयोग का मच भी बन चुकी है ।

मौजूदा संगोष्ठी का प्रमुख मुद्दा तिब्बती सामाजिक परिवर्तन और अंतर्राष्ट्रीय तिब्बती विद्या विकास का रुझान ही है । संगोष्ठी में तिब्बती जाति के इतिहास , धर्मों , संस्कृत , तिब्बती चिकित्सा व औषधि , संस्कृति , सामाजिक आर्थिक विकास आदि विषयों पर विचार विमर्श किया जा रहा है । यह संगोष्ठी चार अगस्त तक चलेगी ।

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