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उत्तर भारत के अधिकांश क्षेत्र बिजली संकट से प्रभावित
2012-07-31 17:18:58

 राजधानी नयी दिल्ली समेत उत्तर भारत में तीस जुलाई को उत्पन्न गम्भीर बिजली संकट से करीब तीस करोड़ नागरिक प्रभावित हुए । इस बिजली दुर्घटना से भारत में बिजली आपूर्ति और बुनियादी आधारभूत संस्थापनों के निर्माण की कमजोरी एक बार फिर पुष्ट हो गयी है , पर इस के साथ ही भारत सरकार ने निकट भविष्य में आयातित बिजली उपकरणों से ऊंचा चुंगीकर वसुलने का निर्णय कर लिया है , जिस से भारतीय बिजली आधारभूत संस्थापनों के निर्माण पर असर पड़ेगा ।

भारत के स्थानीय समय के अनुसार तीस जुलाई की सुबह करीब ढाई बजे राजधानी नयी दिल्ली , हरियाण , पंजाब , राजस्थान , उत्तरांचल , मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश समेत नौ राज्यों में हद से अधिक बिजली लेने की वजह से बिजली आपूर्ति ठप हुई और समूचा उत्तर भारत मूलतः अंधेरे में पड़ गया । राजधानी नयी दिल्ली में सिर्फ दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा अपनी अलग बिजली आपूर्ति सिस्टम की वजह से बच गया । उत्तर ग्रिड परिचालन के पावर सिस्टम आँपरेशन ग्रुप के सीईओ सूनी ने बिजली आपूर्ति ठप होने की पुष्टि की है और यह बताया है उत्तर ग्रिड अब पूर्व व पश्चिम ग्रिडों से बिजली उधारने में संलग्न है , नयी दिल्ली अहम विभागों की बिजली आपूर्ति को सुनिश्चित बनाने के लिये भूटान से पन बिजली का आयात करने की कोशिश में है ।

बिजली संकट के प्रभाव से उत्तर भारत में बड़ी तादाद में रेल गाड़ियां लेट हुईं या बंद हो गयीं , कई वातानुकूलित एक्सप्रेस ट्रेनों को बीच रास्ते में रुकना पड़ा , यात्रियों को रेल गाड़ियों में पांच घंटे से ज्यादा समय में गर्मी जैसी दिक्कतों का सामना करना पड़ा । नयी दिल्ली की मैट्रो ट्रेनों का परिचालन भी सुबह सुबह बंद हो गया, पूरे शहर में लाल व हरी लाइटों की बिजली गुम होने की वजह से सोमवार सुबह ट्रैफिक जाम हुए और यातायात ठप होने के कगार पर पड़ा । बिजली संकट होने के बाद भारतीय केंद्रीय बिजली मंत्रालय सुबह साढे पांच बजे बिजली आपूर्ति सिस्टम को ठीक करने में लग गया , केंद्रीय ऊर्जा मंत्री सुशिल कुमार शिंदे ने प्रत्यक्ष रुप से बिजली आपूर्ति मामलों का निपटारा किया , उन्होंने एक तरफ संकट के कारण का पता लगाने के लिये संबंधित व्यक्तियों से कमेटी गठित करने को कहा है , दूसरी तरफ बिजली आपूर्ति की बहाली के लिये नाना प्रकार वाले माध्यम अपनाने का आदेश दिया है । तीस जुलाई की सुबह करीब आठ बजे रेल , मैट्रो , अस्पतालों और महत्वपूर्ण सरकारी प्रशासनिक विभागों में बिजली की आपूर्ति बहाल हो गयी , सुबह दस बजे के आसपास नयी दिल्ली आदि अधिकांश भागों में क्रमशः बिजली की आपूर्ति बहाल होने लगी ।

यह संकट भारत में हाल के 11 साल में सब से गम्भीर बिजली दुर्घटना माना जाता है , जिस से उत्तरी ग्रिड के तीस करोड़ वासियों को तेज गर्मियों में 8 घंटे की परेशानियों को सहना पड़ा । वर्तमान में भारतीय बिजली पावर मंत्रालय की प्रारम्भिक जांच पड़ताल से मालूम हुआ है कि उत्तरी ग्रिड में खराबी पैदा होने से यह दुर्घटना हुई है , खराबी का कारण है कि विभिन्न राज्यों में हद से अधिक बिजली लेने से फ्रिकवेंसी बढ़ गयी , अंत में पूरे ग्रिड में बिजली आपूर्ति की व्यवस्था ठप हो गयी ।

हालांकि बिजली की कमी से इतनी विशाल गम्भीर दुर्घटना देखने को कम मिलती है , पर भारत में छोटे पैमाने पर बिजली गुम होने की घटनाएँ आम बात है ।

वास्तव में इधर सालों में भारतीय अर्थव्यवस्था के तेज विकास के चलते भारत की बिजली उत्पादन व बिजली आपूर्ति व्यवस्थाएं वास्तविक आवश्यकताओं को पूरा करने में असमर्थ हुई हैं । हालांकि सरकार ने बिजली पावर क्षेत्र में धन राशि बढाने और आधारभूत संस्थापनों का निर्माण करने पर जोर दिया है , लेकिन नीची क्षमता और निर्माण अवधि के कारण नयी बिजली उत्पादन क्षमता भारी मांगों को पूरा करने में असक्षम है , जिस से बिजली पावर की कमी बनी हुई है ।

ध्यान देने योग्य की बात यह है कि शांगहाई बिजली , हारपिन बिजली , शानतुंग विजली निर्माण और पूर्वी बिजली आदि चीनी विद्युत उपक्रमों ने भारतीय बाजार में प्रविष्ट किया है , इस से निश्चित हद तक भारत के बिजली आधारभूत संस्थापनों के निर्माण को गति मिली है । संबंधित आंकड़ों के अनुसार 2004 के बाद चीनी बिजली उपकरण भारत के नये बिजली साज सामान मंडी का 40 प्रतिशत बनते हैं । 2012 से 2017 तक निर्माणधीन 76 हजार मेगावाट जनरेटर क्षमता में 60 प्रतिशत बिजली उपकरण चीनी निर्माता मुहैया करते हैं।

पर खेदजनक बात यह है कि भारत सरकार के मंत्रिमंडल की आर्थिक कमेटी ने इसी माह की 19 तारीख को आयातित बिजली उपकरणों से विधिवत रुप से 21 प्रतिशत चुंगीकर लेने का अनुमोदन दिया है । इस कदम से निस्संदेह भारत में चीनी बिजली उपक्रमों के विकास पर प्रत्यक्ष रुप से असर पड़ेगा ही नहीं , बल्कि भारतीय बिजली आधारभूत संस्थापनों की निर्माण प्रक्रिया भी प्रभावित होगी , जिस से मूलतः बिजली आपूर्ति संकट नहीं सुलझता , इस से बढ़कर भारतीय औद्योगीकरण प्रक्रिया व निर्माण उद्योग के उत्थान को प्रभावित भी किया जाएगा ।

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