खाई फूंग चीन का एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक शहर है। कोई हजार वर्ष पहले चीन के उत्तरी सुंग राजवंश के नौ राजाओं ने इस शहर को अपनी राजधानी बनाया। कई सदियां गुजर गयीं, पर इस शहर के अनेक प्राचीन सांस्कृतिक अवशेष अब तक सुरक्षित हैं और इसकी तत्कालीन समृद्धि व शानदार इतिहास का परिचय देते हैं। इधर के कुछ सालों में चीन के तेज आर्थिक विकास के साथ-साथ काफी बड़ी संख्या में चीनी पर्यटकों ने खाई फूंग की प्राचीनता को दर्शनीय महसूस करने के बाद यहां घूमने आना शुरू किया है। आइये उनके साथ हम भी चलें शहर की पुरानी म्युनिसिपल सरकार देखने।
मध्य चीन के ह नान प्रांत के पूर्वी भाग में स्थित खाई फूंग शहर चीन की सात प्राचीन राजधानियों में से एक रहा है। वह कभी चीन का राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक केंद्र था और उसकी गिनती तत्कालीन विश्व के सबसे रौनकदार शहरों में होती थी। पीली नदी के निचले भाग में स्थित खाई फूंग 6 बार गम्भीर बाढ़ का शिकार रहा और उसका अनेक बार पुनर्निर्माण हुआ। इसलिये खाई फूंग के प्राचीन भवनों की वास्तुशैली अलग-अलग ढंग की ही नहीं है, उनमें सामंती चीन के विभिन्न राजवंशों की वास्तुशैलियों का भी प्रभाव है।
शहर के केंद्र में स्थित राजभवन वह स्थान है जहां से अतीत में शासक उसका शासन चलाते थे। सुंग राजवंश काल में इस राजभवन का आकार सब से बड़ा रहा। खेद की बात है कि वह असली राजभवन कब का ही जमीन में धंस गया है। आज जो राजभवन पर्यटक देखते हैं, वह 2003 में उस के खंडहर पर पुनर्निर्मित भवन है। पर आकार और वास्तुशैली की दृष्टि से वह सुंग राजवंश के राज भवन की अनुकृति ही है। इस राजभवन का क्षेत्रफल चार हैक्टर है और उस की प्राचीन वास्तुशैली व भव्यता लोगों के आकर्षण का केंद्र बन गयी है।
देश-विदेश के कोने-कोने से आने वाले मेहमानों के स्वागत में राजभवन का बड़ा द्वार हर सुबह संगीत के साथ खुलता है। इस द्वार का मंडप वहुत ऊंचा व भव्य है। भवन जिस चारदीवारी से घिरा है वह शहरी दीवार जैसी मोटी है। संगीत के साथ हृष्ट-पुष्ट रक्षक बड़े-बड़े डग भरते हुए द्वार से बाहर निकलते हैं और फिर उस के दोनों ओर गम्भीर मुद्रा में खड़े हो जाते हैं। यह रस्म सुंग राजवंश कालीन राजभवन के नियमित कामकाज को दोहराती है। आज यह भवन खाई फूंग की म्युनिसिपल सरकार के कार्यालय के बजाय इस शहर का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। इसकी दिखने में टिकाऊ मोटी चारदीवारी एक दिखावा भर है। यह किसी भी प्रहार की रोकथाम नहीं कर सकती। लोग इसे असुरक्षित शहरी दीवार कहते हैं।
पुराने चीन में आम तौर पर शहर की रक्षा दीवार मजबूत ही नहीं, बहुत चौड़ी व समतल भी होती थी। शहर की रक्षा के लिए दीवार पर घोड़ों के दौड़ने लायक विशेष रास्ता भी निर्मित किया जाता था। इस तरह हमलावरों के मुकाबले के लिए घोड़ों के जरिए भारी शस्त्र दीवार तक पहुंचाये जाते थे। लेकिन खाई फूंग के राजभवन की चारदीवारी सीढ़ीनुमा है और इतनी संकरी है कि उस पर एक समय में केवल दो व्यक्ति ही साथ-साथ चल सकते हैं। सुनने में आया कि पर्यटकों के लिए इस प्रकार की दीवार विशेष तौर पर बनायी गयी, ताकि वे सुविधाजनक रूप से उस पर चढ़ सकें।
खाई फूंग की इस चारदीवारी पर आप को तलवार, बंदूक व लकड़ी के खंभा आदि नहीं दिखेंगे। इसके पूर्वी भाग में प्राचीन कालीन समय मापक यंत्र रखा हुआ है और पश्चिमी भाग में वह बड़ा ढोल खड़ा है, जिस का प्रयोग लोगों को समय बताने के लिए किया जाता था। दीवार के मोड़ों पर कई सुंदर मंडप खड़े हैं। हरेक मंडप के नीचे पत्थर की छोटी गोल मेज व बेंच है, ताकि पर्यटक वहां रुक कर आराम कर सकें।
असुरक्षित दीवार से नीचे उतर कर मैं पूर्वी भाग में स्थित गुप्त ड्रैगन महल नामक भवन के सामने पहुंची। इस भवन के लिए प्रयुक्त महल शब्द को देख कर मुझे बहुत आश्चर्य हुआ। जहां तक मेरी जानकारी है, प्राचीन सामंती चीन में केवल शाही परिवार का भवन ही महल कहला सकता था, इसके विपरीत चलने वाले भवन निर्माता सख्त सजा ही पाता। यहां सिर्फ एक राजकीय संस्था थी, फिर इस भवन के महल कहलाने का रहस्य क्या था। पूछने पर मालूम हुआ कि कोई एक हजार वर्ष पहले उत्तरी सुंग राजवंश काल में राजा रन चूंग व उनके बेटे चन चूंग समेत तीन राजा राजगद्दी पर बैठने से पहले इस राजभवन में काम करते रहे थे। राजा चन चूंग ने अपने शासन काल में पिता रन चूंग की याद में इस भवन को पुनर्निर्माण के बाद गुप्त ड्रैगन महल नाम दिया। इस भवन की छत के पीले रंग के खपरैल आज भी चमकते नजर आते हैं। हमारे साथ चल रही गाइड सुश्री चाओ ना ने कहा
खाई फूंग के राजभवन में जितने छोटे-बड़े भवन दिखते हैं, उन में से सिर्फ इसी महल पर पीले खपरैल बिछे हैं। उस जमाने में पीला रंग शाही परिवार का शुभचिन्ह था और राजाधिकार का प्रतीक भी। इस का भी एक कारण है कि इस भवन में तीन राजाओं की मूर्तियां रखी हैं। भवन के नाम का निहितार्थ यह है कि यहां बेमिसाल प्रतिभाशाली व्यक्ति पैदा होते हैं।
गुप्त ड्रैगन महल के प्रमुख कक्ष के बीचोंबीच इन तीन राजाओं की मूर्तियां खड़ी हैं। दोनों ओर रंगीन भित्तिचित्र हैं, जिन में उन के नेतृत्व में बाहरी हमलावरों के खिलाफ लड़ी गई लड़ाई और उनमें विजय की खुशियां मनाने का चित्रण है। पर ऐतिहासिक तथ्य यह है कि सुंग राजवंश के राजा खासे कमजोर थे और बाहरी हमलावरों से डरते थे। राजमंत्रियों और बड़े भूतियों के समर्थन से ही वे हमलावरों को पीछे खदेड़ पाये। पर वे शस्त्र विद्या के बजाय शिक्षा को अधिक महत्व देते थे। खाई फूंग राजभवन का विशेष परीक्षाकक्ष आज भी ज्यों का त्यों खड़ा है। यह एक दुमंजिला इमारत है। इसकी दूसरी मंजिल पर परीक्षक देव की मूर्ति खड़ी है, जब कि पहली मंजिल तब परीक्षाकक्ष था। कक्ष के भित्तिचित्रों में सुंग राजवंश काल की पूरी परीक्षा व्यस्था चित्रित है। भित्तिचित्रों की श्रृंखला कुल 15 खंडों में बंटी है।इन में छात्रों के नामांकन से लेखऱ परीक्षा के तीन दौरों और उस में उत्तीर्ण व विफल होने से जुड़े विवरण हैं। कुछ भित्तिचित्रों में छात्र दिलोजान से किताब पढ़ते दिखते हैं तो कुछ परीक्षा की सोच में डूबे नजर आते हैं। इनके बीच परीक्षा में उत्तीर्ण होने पर छात्रों में अपार खुशी होने और विफल होने पर परेशानी में पड़ने का दृश्य भी दिख जाता है। ये चित्र देखने में वाकई बड़ा मजा आता है।