Web  hindi.cri.cn
प्रणव मुखर्जी भारत के नव राष्ट्रपति बने
2012-07-23 16:45:19

भारत के नव राष्ट्रपति चुनाव का परिणाम 22 जुलाई को नई दिल्ली में घोषित किया गया, जिसके अनुसार कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता, पूर्व वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी भारी बहुमत से चुनाव जीत कर भारत के 14वें राष्ट्रपति बने, वे 25 जुलाई को पद ग्रहण की शपथ लेंगे।

22 जुलाई को घोषित चुनाव के परिणाम के मुताबिक प्रणव मुखर्जी ने 7 लाख 13 हजार 763 मत प्राप्त किए जो कुल मतों के 70 प्रतिशत रहे। राष्ट्रपति चुनाव के दूसरे उम्मीदवार पी.ए. संगमा को 3 लाख 15 हजार 887 मत हासिल हुए, जो मुखर्जी से काफी पीछे रह गए। चुनाव परिणाम की घोषणा के बाद संगमा ने अपनी हार स्वीकार कर मुखर्जी को उन की जीत पर बधाई दी। पूर्वोत्तर भारत के अल्पसंख्यक जातीय आबाद क्षेत्र से आए संगमा ने यह भी कहा कि उन की उम्मीद है कि मौजूदा चुनाव के जरिए अल्पसंख्यक जातियों के विकास केलिए समर्थन मिलेगा, किन्तु खेद की बात है कि एक स्वर्णिम मौका अपने हाथ से छूट गया।

मुखर्जी ने चुनाव परिणाम निकलने के बाद कहा था कि उन्हें लगा है कि यह मुश्किस से प्राप्त विजय है, जो पिछले हर पांचवें साल में हुए ऐसे चुनाव की भांति जबरदस्त है। अपने नए पद के बारे में उन्हों ने वचन दिया कि वे व्यावहारिक काम से इस चुनाव में उन्हें विश्वास देने वाले लोगों को साबित करेंगे कि उन्हें वोट देने के योग्य है। कांग्रेस पार्टी और उस के गठबंधन दलों को कांग्रेस पार्टी की मौजूदा विजय पर अत्यन्त खुशी महसूस हुई, क्योंकि सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी पर फिलहाल विभिन्न प्रकार का दबाव पड़ रहा है। इसलिए मौजूदा चुनाव जीतने पर कांग्रेस पार्टी को बड़ा राहत मिला। भारतीय प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पार्टी के महा सचिव राहुल गांधी और रक्षा मंत्री एंटोनी आदि कांग्रेस के अहम नेताओं ने मुखर्जा की जीत सुनने के बाद ही उन के निवास पहुंच कर उन्हें बधाई दी।

कांग्रेस पार्टी को इसलिए भी खुशी हुई है कि उस के नामजद उम्मीदवार को जीत हासिल होने के कारण पार्टी को देशभर में गठबंधन की शक्तियों के पुनर्गठन और देश में नव राजनीतिक समीकरण के लिए सुनहरा अवसर मिला है। मौजूदा राष्ट्रपति चुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी ने अपने नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन के विभिन्न घटकों को एक सूत्र में बांधा, जिससे सत्तारूढ गठबंधन की एकता और समन्वय काफी बढ़े। खासकर केन्द्र सरकार का बार बार साथ नहीं देने वाली तृणमूल कांग्रेस के अध्यक्ष, पश्चिमी बंगाल के मुख्य मंत्री ममता बनर्जी ने भी अंत में कांग्रेस के उम्मीदवार का समर्थन करने का फैसला किया, जिसका कांग्रेस पार्टी द्वारा गठबंधन के मित्र घटकों की एकता मजबूत करने का बड़ा महत्व होता है।

गठबंधन के भीतर व्यापक समर्थन मिलने के अलावा नव राष्ट्रपति चुनाव में मुखर्जी को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ( मार्क्सवादी) आदि वामपंथी दलों का समर्थन भी हासिल हुआ है। अप्रत्याशित बात यह है कि मुखर्जी को विपक्षी दलों से गठित राष्ट्रीय जनवादी गठबंधन के कुछ दलों का समर्थन भी मिला । भारतीय जनता पार्टी शासित राज्य कर्नाटक में मुखर्जी को राज्य के 50 फीसदी से ज्यादा सांसदों का समर्थन मिला, प्राप्त वोट भाजपा समर्थित संगमा से बढ़त हासिल हुई है। राष्ट्रीय जनवादी गठबंधन के भीतर जनता दल (यू) और शिवसेना ने भी खुले तौर पर मुखर्जी का समर्थन किया । जनता दल (यू) के नेता यादव ने भी कहा कि भारत के राजनीतिक क्षेत्र में 40 सालों से काम करने के इतिहास ने उन्हें नाना प्रकार की जटिल स्थितियों का निपटारा करने की क्षमता प्राप्त कराया है। वर्ष 2014 में आम चुनाव में किसी भी को विजय मिलेगी क्यों नहीं, उस समय भारत के सामने होने वाली स्थिति वर्तमान से कहीं अधिक पेचीदा होगी, तभी केवल मुखर्जी हैं, उन्हें स्थिति का मुकाबला करने में सामर्थ्य होगा।

यूं कहिए, भारत में हुए राष्ट्रपति के पद के लिए चुनाव का सत्ता के परिवर्तन पर खास असर नहीं पड़ सकता है। लेकिन इसे भी नहीं इनकार किया जा सकता है कि दूर संचार घोटाला, आर्थिक वृद्धि में गिरावट और तेज महंगाई से उलझी हुई कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व वाली वर्तमान सरकार को राजनीतिक समीकरणों के अच्छे मौके मिलेगा, जिसका 2014 के आम चुनाव पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन के तहत विभिन्न दलों को एकजुट किया जाएगा और अहम सवालों पर गठबंधन की एक आवाज निकलेगी, साथ ही अधिक से अधिक मित्रों को अपने साथ मिलाया जा सकेगा। कहा जा सकता है कि कांग्रेस पार्टी की इस विजय से 2014 के आम चुनाव के लिए कांग्रेस पार्टी की तैयारी बढ़ जाएगी।

आप की राय लिखें
Radio
Play
सूचनापट्ट
मत सर्वेक्षण
© China Radio International.CRI. All Rights Reserved.
16A Shijingshan Road, Beijing, China. 100040